नए सत्र में नहीं चलेगी पब्लिक स्कूलों की मनमानी, अध्यादेश को अच्छी तरह पढ़ लें
एक अप्रैल से नया सत्र शुरू हो रहा है। पब्लिक स्कूलों में प्रवेश को लेकर लंबी लाइन लग रही हैं। कई स्कूलों में नो एंट्री के बोर्ड लग गए हैं। इन स्कूलों में पंजीयन से लेकर फीस वसूली म
मुरादाबाद, जेएनएन। एक अप्रैल से नया सत्र शुरू हो रहा है। पब्लिक स्कूलों में प्रवेश को लेकर लंबी लाइन लग रही हैं। कई स्कूलों में नो एंट्री के बोर्ड लग गए हैं। इन स्कूलों में पंजीयन से लेकर फीस वसूली में मनमानी हर साल होती है। पिछले साल स्कूल संचालकों की मनमानी रोकने के लिए प्रदेश सरकार ने अध्यादेश लागू किया था। अध्यादेश को अच्छी तरह पढ़ लें। अगर इसकी शर्तों से ज्यादा फीस वृद्धि की गई तो पहले स्कूल प्रशासन से शिकायत करें। वहां 15 दिनों में सुनवाई नहीं होती है तो जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बनी समिति से लिखित में शिकायत दर्ज करा सकते हैं। यह शिकायत डीआइओएस कार्यालय में कराई जाएगी। अगर अध्यादेश की शर्तों से ज्यादा फीस वसूल होती है तो पांच लाख रुपये जुर्माना वसूलने से लेकर स्कूल की मान्यता रद हो सकती है।
स्कूल पांच फीसद फीस व चार फीसद उपभोक्ता मूल्यांक दर ही बढ़ाएंगे
प्रदेश सरकार ने पिछले साल अध्यादेश में प्रावधान किया था कि कोई भी पब्लिक स्कूल पिछले साल की फीस में पांच फीसद वृद्धि और चार फीसद उपभोक्ता मूल्यांक दर मिलाकर नौ फीसद तक वृद्धि कर सकता है। पहले 15 फीसद तक स्कूल प्रशासन द्वारा फीस बढ़ाई जाती थी। पिछले साल अध्यादेश जारी होने के बाद भी कई स्कूलों ने फीस नहीं घटाई थी जबकि अध्यादेश में शर्त थी कि बढ़ी हुई फीस को समायोजित किया जाएगा। अभिभावकों को पिछले साल की फीस भी देखने की जरूरत है। अगर नौ फीसद से ज्यादा और सालाना 20 हजार से ज्यादा फीस वृद्धि की तो उसे समायोजित कराने का अधिकार उसके पास है।
वेबसाइट पर देखें अध्यादेश
-प्रदेश सरकार ने पिछले साल अध्यादेश वेबसाइट पर अपलोड कर दिया था। जिसमें कई बिंदु ऐसे मिलेंगे जो पब्लिक स्कूलों की मनमानी रोकने को बहुत जरूरी हैं। अध्यादेश कानून पब्लिक स्कूलों में चिपकाने का आदेश था, लेकिन किसी भी पब्लिक स्कूल ने ऐसा नहीं किया। वेबसाइट पर जारी इस अध्यादेश को पब्लिक स्कूल अभी भी गोपनीय बनाने का प्रयास कर रहे हैं ताकि चोर दरवाजे से अभिभावकों की जेब काट सकें।
अध्यादेश की शर्तें
-सालाना फीस 20 हजार से ज्यादा नहीं हो सकती।
-पांच फीसद फीस व चार फीसद उपभोक्ता मूल्यांक दर ही ले सकते हैं।
-पांच साल से पहले यूनिफार्म नहीं बदलेंगे।
-किताबें किसी एक दुकान से खरीदने को बाध्य नहीं करेंगे।
-वैकल्पिक शुल्क बस, बोर्डिंग, मेस, डाइनिंग, शैक्षणिक भ्रमण और अन्य फीस तभी ली जाएगी जब छात्र इन सेवाओं का इस्तेमाल कर रहा होगा।
स्कूलों को 15 दिन में करना होगा निस्तारण
-स्कूल प्रशासन 15 दिन में अध्यादेश से अधिक फीस बढ़ोतरी पर सुनवाई नहीं करता है तो मंडलीय समिति के समक्ष अभिभावक जा सकते हैं। मंडलीय समिति स्कूल प्रशासन से फीस अध्यादेश की शर्त के अनुसार लेने को बाध्य करेंगे अगर फिर भी नहीं मानते हैं तो पहली बार में एक लाख रुपये जुर्माना वसूला जाएगा और दूसरी बार में पांच लाख रुपये। फिर भी नहीं माने तो तीसरी बार में स्कूल की मान्यता रद की जाएगी।
स्कूलों को देना होगा ब्योरा
फीस बढ़ोतरी को लेकर प्रदेश सरकार ने अध्यादेश जारी किया था। मानकों के विपरीत फीस वसूल की जाती है तो अध्यादेश के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। इस साल कितनी फीस बढ़ाई इसका ब्योरा भी स्कूलों को देना होगा।
-प्रदीप कुमार द्विवेदी, डीआइओएस।