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रेड जोन में प्राण वायु, ऐसे तो कम हो जाएगी आयु

प्रदूषण से मुरादाबाद की हवा में पीएम-10 के पार्टिकल के कारण शुद्ध हवा जहरीली हुई।

By JagranEdited By: Published: Tue, 03 Nov 2020 03:25 AM (IST)Updated: Tue, 03 Nov 2020 03:25 AM (IST)
रेड जोन में प्राण वायु, ऐसे तो कम हो जाएगी आयु
रेड जोन में प्राण वायु, ऐसे तो कम हो जाएगी आयु

मुरादाबाद,जासं : प्रदूषण से मुरादाबाद की हवा में पीएम-10 के पार्टिकल के कारण शुद्ध हवा जहरीली हो गई है। मुरादाबाद रेड जोन से बाहर नहीं निकल पा रहा है। क्षेत्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ही नहीं नगर निगम भी प्रदूषण की रोकथाम को कोई प्रयास नहीं कर रहा है। इन दोनों विभागों में रोकथाम के कोई तालमेल भी नहीं हैं। सोमवार को मुरादाबाद में प्रदूषण के हालत और बिगड़ गए। देश का सबसे प्रदूषित शहर 393 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब इंडियन एयर क्वालिटी द्वारा दर्ज किया गया। पीएम-10 की मात्रा बढ़ने से प्रदूषण से शहर में शुद्ध हवा जहरीली हो गई है। पर्यावरण अभियंता की जिम्मेदारी अस्थाई रूप से निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता के पास है। इस दोहरी जिम्मेदारी से प्रदूषण की रोकथाम सिर्फ खानापूरी है। चार साल पहले पर्यावरण अभियंता की नियुक्ति हुई थी लेकिन,उनका स्थानांतरण होने से अभी तक स्थाई नियुक्ति नहीं हुई है। शहर में करीब 4000 पीतल की भट्टियां है, जिनसे कार्बनडाई आक्साइड व कार्बन मोनो आक्साइड जैसी जहरीली गैसें शुद्ध आक्सीजन को भी जहरीला बनी रही हैं।

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महानगर सीमा से बाहर जल रहा ई-कचरा शहर के लिए खतरा

ई-कचरा पर नियंत्रण के प्रयास नाकाफी हैं। प्रतिदिन रामगंगा के उस पार भोजपुर थाना क्षेत्र में ई-कचरा जलते हुए देखा जा सकता है लेकिन, शहर की पुलिस अपने क्षेत्र से बाहर जलने पर कार्रवाई नहीं करती। इसी का फायदा उठाकर दिल्ली के सीलमपुर से मुरादाबाद लाकर ई-कचरा जलाया जा रहा है। शहर में छापेमारी करने से पहले ही ई-कचरा कारोबारी को सूचना मिल जाती है, जिससे वह ई-कचरा ठिकाने लगाने की जुगत में लग जाते हैं।

फैल रहीं बीमारियां

शहर की हवा लगातार जहरीली बनी रहने के कारण जहरीले पार्टीकल्स सांसों के माध्यम से हमारी शरीर में पहुंच रहे हैं। इससे दमा, कैंसर, हार्टअटैक और त्वचा संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं। पीतल की भट्ठियों पर काम करने वाले श्रमिक सर्वाधिक इन बीमारियों की चपेट में हैं।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सिर्फ नाम का विभाग

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड विभाग सिर्फ नाम का है। शहर में पीतल की भट्टियों से निकलता धुआं प्रदूषण विभाग के अफसरों को नहीं दिखता। शहर में इनकी चिमनियां इतनी नीची हैं कि सर्दी के दिनों में मौसम में नमी के कारण प्रदूषण की परतें ऊपर नहीं जा पातीं। दुमंजिला, तीन मंजिला आवासों के बीच में अगर दस फीट ऊंची चिमनी लगी हैं तो उनसे निकलता धुआं खिड़कियों के जरिए भीतर घुसने से सांस लेना भी मुश्किल है।

देश के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर

मुरादाबाद 393

बल्लभगढ़ 388

पानीपत 386

जींद 376

बागपत 374

अंबाला 373

कुरुक्षेत्र 369

कैथल 360

गाजियाबाद 355

मुजफ्फर नगर 348


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