जानकर आप भी हो जाएंगे हैरान, यूरिया से कम होगा बसों का प्रदूषण, डीजल की खपत भी होगी कम
अब यूरिया फसलों की पैदावार बढ़ाने तक ही सीमित नहीं रह गया है
मुरादाबाद (प्रदीप चौरसिया) : अब यूरिया फसलों की पैदावार बढ़ाने तक ही सीमित नहीं रह गया है, अब वाहन से होने वाले प्रदूषण को कम करने का काम भी करेगा। नए वाहन यूरो फोर व यूरो सिक्स में प्रदूषण को कम करने के लिए यूरिया का अलग चैंबर बना होगा। रोडवेज प्रबंधक ने कार्यशाला के सुपरवाइजर को नए वाहनों का प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है। वायू प्रदूषण पर नियंत्रण को पूरी दुनिया प्रयासरत दुनिया भर में वायू प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए प्रयास किया जा रहा है। भारत में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) भी इसके लिए कड़े नियम बनाए हैं। एनजीटी ने भारत में यूरो थ्री वाहन बनाने का प्रतिबंध लगा दिया है। इस व्यवस्था के बाद वाहनों से होने वाले प्रदूषण में मामूली कमी आई है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में तो 10 साल पुराने वाहनों पर पाबंदी लगा दी गई है। बनाना पड़ेगा अलग से चैंबर सरकार के दिशा-निर्देश पर आधुनिक वाहन यूरो फोर और यूरो सिक्स में प्रदूषण को रोकने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। वाहन के डीजल टैंक के बगल में ही यूरिया का चैंबर बनाया जाएगा। डीजल की क्षमता का 15 फीसद यूरिया चैंबर में रखा जाएगा। वाहन का धुआं यूरिया के चैंबर से होकर गुजरेगा। धुएं से निकलने वाला सल्फर डाईआक्साइड और नाइट्रोजन आक्साइड के सूक्ष्म कणों को यूरिया बाहर नहीं निकलने देगा। इससे वायू कम प्रदूषित होगा।
रोडवेज प्रबंधन शीघ्र ही इस तरह के वाहनों की आपूर्ति करने जा रहा है। इस तरह की बसों के खराब होने पर उसे ठीक करने के लिए डिपो के कार्यशाला के सुपरवाइजर को कानपुर में ट्रेनिंग दी जा रही है। सुपरवाइजर को यूरिया कैसे काम करेगा, उपकरण कैसे होंगे, क्या खराबी आ सकती है, इसे कैसे ठीक किया जा सकता है, आदि के बोर में बताया जाएगा। मुरादाबाद को मिलेंगी बसें : सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक मुरादाबाद डिपो संदीप कुमार नायक ने बताया कि शीघ्र ही यूरिया से प्रदूषण को रोकने व वाली बसें मुरादाबाद को आपूर्ति की जाएंगी। सुपरवाइजर अन्य तकनीकी कर्मियों को नई व्यवस्था की जानकारी देंगे। यूरिया प्रदूषण को रोकने के साथ 15 फीसद तक डीजल की खपत भी कम करेगा। दिन में भीड़, रात में खाली चल रहीं बसें दिन में धूप होने के कारण बसों में यात्रियों की संख्या बढ़ी है जबकि रात में सर्दी से बचाव की कोई व्यवस्था न होने की वजह से यात्रियों की संख्या कम हो गई है। सहालग खत्म होने के बाद रोडवेज प्रशासन रात में कम ही बसें चलाएगा। रोडवेज की नई या पुरानी बसों में हवा आने से रोकने की कोई व्यवस्था नहीं है। खिड़की पर शीशे तो लगे हैं, लेकिन दो शीशों के बीच रबड़ न होने से असानी से हवा बस के अंदर आती रहती है। वर्तमान में सहालग का समय चल रहा है। लिहाजा बसों में दिन में यात्रियों की संख्या काफी रहती है। दिन में मुरादाबाद से दिल्ली, बिजनौर, सहारनपुर, अलीगढ़, आगरा, लखनऊ मार्ग पर यात्रियों की संख्या ज्यादा रहती है। इन मार्गो पर चलने वाली बसों में 80 फीसद यात्री सफर करते हैं। रात होते ही ठंडक बढ़ जाती है, बस के अंदर हवा आने से यात्री कांपने लगते हैं, लिहाजा रात में यात्रियों की संख्या कम हो गई है। अधिकांश यात्री रात में ट्रेनों में सफर कर रहे हैं। सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक (पीतल नगरी) शिव बालक ने बताया कि सहालग खत्म होने के बाद रात में चलने वाली बसों की संख्या कम कर दी जाएगी।