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राजनीति : लोकसभा चुनाव में साख बचाने के लिए करनी होगी कड़ी मशक्कत

सपा-बसपा गठबंधन से कांग्रेस के बाहर रहने से सियासी समीकरण बदल सकते हैं। चुनाव नतीजों में भी बदलाव के आसार हैं।

By RashidEdited By: Published: Wed, 16 Jan 2019 01:56 AM (IST)Updated: Wed, 16 Jan 2019 06:15 AM (IST)
राजनीति : लोकसभा चुनाव में साख बचाने के लिए करनी होगी कड़ी मशक्कत
राजनीति : लोकसभा चुनाव में साख बचाने के लिए करनी होगी कड़ी मशक्कत

मुरादाबाद। सपा-बसपा गठबंधन से कांग्रेस के बाहर रहने से सियासी समीकरण बदल सकते हैं। चुनाव नतीजों में भी बदलाव के आसार हैं। सियासी दिग्गज चाहे जो भी नजीर पेश करें, लेकिन सभी दलों को लोकसभा चुनाव में अपनी साख कायम रखने के लिए मशक्कत करनी होगी। क्षेत्रीय राजनीति में भी उतार-चढ़ाव आ सकता है।

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समीकरण गड़बड़ाने के हैं आसार

तीन राज्यों में कांग्रेस का परचम लहराने से क्षेत्रवार चुनावी समीकरण गड़बड़ाने के आसार हैं। वोटों के बंटवारे के बीच सारा दारोमदार उम्मीदवार की शख्सियत पर निर्भर करेगा। यानी, गठबंधन को स्वच्छ छवि का उम्मीदवार उतारना पड़ेगा। गठबंधन की नैया पार लगाने में प्रत्याशी की छवि भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। हालांकि, सपा के कद्दावर नेता मुहम्मद आजम खां भी इस बारे में अपनी राय जाहिर कर चुके हैं। कांग्रेस के गठबंधन में शामिल न होने से दोनों दलों के परंपरागत वोट की जमीन खिसक सकती है। सबसे ज्यादा घमासान मुरादाबाद लोकसभा सीट पर होगा। 2014 के लोकसभा चुनाव में इसी सीट पर सपा प्रत्याशी डॉ. एसटी हसन ने भाजपा के सर्वेश कुमार सिंह को टक्कर दी थी। इस सीट पर बसपा के उम्मीदवार ने लगभग 1.60 लाख, कांग्रेस उम्मीदवार ने करीब 19 हजार और पीस पार्टी उम्मीदवार ने कमोबेश 40 हजार वोट हासिल किए थे। फिलवक्त परिस्थितियां घुमावदार हैं। भाजपा अपने प्रत्याशी को रिपीट करेगी या नहीं। जिम्मेदार तो यही कर रहे हैं, लेकिन भाजपा में नामांकन तक प्रत्याशी सुनिश्चित नहीं हैं।

कांग्रेस दे सकती है चुनौती

2014 में हुए लोस चुनाव और मौजूदा दौर के सियासी समीकरण बदले हुए हैं। कांग्रेस इस चुनाव में अपने को बेहतर साबित करने के प्रयास में है। किसानों के कर्ज माफी जैसा मुद्दा वह लोस चुनाव में भी इस्तेमाल कर सकती है। जबकि, गठबंधन के पास सपा-बसपा शासन में किए गए विकास कार्य और उम्मीदवार की स्वच्छ छवि का हथियार ही कारगर होगा। भाजपा, गठबंधन उम्मीदवार की छवि के सहारे ही अपनी नैया पार लगा सकते हैं।

कांग्रेस में उम्मीदवारों की कतार

गठबंधन से बाहर होने पर कांग्रेस ने सूबे की सभी लोस सीटों पर उम्मीदवार उतारने का एलान किया है, जिसके तहत उम्मीदवारों की लंबी कतार है। प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर, राष्ट्रीय नेता राशिद अल्वी भी इस सीट से चुनाव लडऩे के इच्छुक हैं। प्रदेश सचिव विनोद गुंबर, जिलाध्यक्ष डॉ. एपी सिंह, रिजवान कुरैशी भी दावेदारों में शामिल हैं।

दूसरी पार्टी के बुलावे का इंतजार कर रहे नाखुश

सपा से मायूस दावेदार भी कांग्रेस का दरवाजा खटखटाने का प्रयास कर सकते हैं। इसमें बसपा नेता भी दूसरी पार्टी में जाने की तैयारी कर रहे हैं। भाजपा से किसी ने दावेदारी नहीं की है। पूर्व सांसद चंद्रविजय सिंह के चुनाव लडऩे की दावेदारी की चर्चा है, लेकिन अभी उनकी ओर से कोई दावे नहीं किए हैं। हालांकि, वे लोकतांत्रिक कांग्रेस की सीट पर जीत चुके हैं और भाजपा में आलाकमान से गहरे रिश्ते हैं।

गठबंधन के उत्सव में बेमेल ताल

बसपा सुप्रीमो मायावती के जन्मदिवस पर गठबंधन की ताकत दिखाने का बेहतरीन मौका था। सपा-बसपा के गठबंधन के बाद यह पहला मौका था, जब बसपा सुप्रीमो का जन्मदिन दोनों पार्टियों के कार्यकर्ता मिलकर मना रहे थे। लखनऊ में दोनों बड़े नेताओं की प्रेसवार्ता के बाद जो जोश पार्टी कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शित किया था, वह बसपा सुप्रीमों के जन्मदिवस पर नहीं दिखाई दिया।

पहुंचे थे चुनिंदा पदाधिकारी

आंबेडकर पार्क में आयोजित कार्यक्रम में समाजवादी पार्टी के चुनिंदा कार्यकर्ता और पदाधिकारी पहुंचे थे, जबकि इसी कार्यक्रम से सपा के तीन विधायकों ने दूरी बनाकर रखी। इस कार्यक्रम में समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष राजीव सिंघल, बिलारी विधायक मुहम्मद फहीम के साथ ही सपा के पूर्व लोकसभा प्रत्याशी डॉ.एसटी हसन मंच पर मौजूदगी दर्ज कराने पहुंचे थे, लेकिन ज्यादातर पदाधिकारियों ने दूरी बनाकर रखी। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने स्पष्ट शब्दों में पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को पूरा सहयोग प्रदान करने के निर्देश दिए थे, लेकिन पहले ही कार्यक्रम में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं का जोश ठंडा दिखा। जिस बड़ी ताकत का अहसास कराते हुए दोनों पार्टियों के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने गठबंधन का एलान किया था। वह नहीं दिखाई दिया। गठबंधन के पहले इस बड़े उत्सव में दोनों पार्टियों की ताल बेमेल दिखाई दी।

मेरी तबीयत नहीं थी ठीक

मेरी तबीयत काफी खराब हो गई थी, जिसके कारण कार्यक्रम में नहीं पहुंच पाया। सपा-बसपा का यह गठबंधन भाजपा को सूबे से साफ कर देगा।

हाजी रिजवान, विधायक, कुंदरकी

समय से नहीं मिला आमंत्रण

बसपा सुप्रीमो के कार्यक्रम का आमंत्रण देरी से मिलने के कारण नहीं पहुंच पाया। अगर समय पर आमंत्रण की जानकारी मिलती जो जरूर पहुंचता। हम सभी गठबंधन को मजबूत करने का काम कर रहे हैं।

नवाब जान, विधायक, ठाकुरद्वारा

पैर में है दिक्कत

बीते कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहा हूं। पैर में दिक्कत होने के चलते कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सका। यह गठबंधन ऐतिहासिक जीत हासिल करेगा।

हाजी इकराम कुरैशी, विधायक, मुरादाबाद देहात 


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