Lockdown in Moradabad : मुरादाबाद में पुलिस ने रोकी जिलाध्यक्ष की गाड़ी, पूछने पर बोले-कार्यालय पर झंडा लगाना है Moradabad News
नुमाइंदगी करने वाली के प्रतिनिधि अपने घर पर तो फार्मों का सत्यापन नहीं कर रहे। कभी कहीं किसी के पास जाते हैं। कुछ कोनिगम कार्यालय बुलवाकर उनके फार्मों का सत्यापन कर रहे हैं।
मुरादाबाद (प्रेमपाल सिंह)। सत्ताधारी पार्टी के जिला सदर को लेकर असमंजस की स्थिति आए दिन बनी रहती है। लॉकडाउन के चलते जिनकी पहचान नहीं हो सकी है, उनके लिए ज्यादा संशय है। हुआ यूं कि जिला सदर ने एक प्रशासनिक अफसर मैडम को फोन किया। कई बार के बाद फोन उठा। फोन रिसीव करते ही आवाज आई कौन? यह सुनकर जिला सदर ने अपना नाम बताया। मैडम ने जिला सदर के नाम का नंबर फीड होने और उनका नाम भी बता दिया। जिला सदर बोले कि, वह तो महानगर के हैं। बातचीत के बाद अपने पास मौजूद लोगों से कहने लगे कि मेरे ही पद का दुरुपयोग हो रहा है। इसकी शिकायत ऊपर तक होगी। यहां रोज आना नहीं हो पाता है। इसका फायदा उठाया जा रहा है। यह पहली बार नहीं हुआ। पार्टी में संगठन या अनुषांगिक संगठन का कोई अध्यक्ष हो, यहां अपनी गाड़ी और परिचय में जिलाध्यक्ष ही लिखता आया है।
संगठन की नहीं सुनी
लॉकडाउन में संगठन की कम चल रही है, जिनकी चल रही है उनकी वाहवाही हो रही है। मामला कुछ पुराना है लेकिन, सत्ता से जुड़ा है। दरअसल हुआ यूं कि छह अप्रैल को पार्टी कार्यालय जाने के लिए सदर निकले। कुछ दूरी तय कर पाए होंगे कि पुलिस ने कमल के फूल का झंडा लगी गाड़ी रोक ली। हनक में थे, शीशा उताकर कर बोले कि पार्टी कार्यालय पर झंडा लगाना है। पुलिस बोली पता नहीं है कि लॉकडाउन है। अपने घर ही लगा लो। जबरदस्ती करने पर पुलिस कार्रवाई को तैयार, फिर क्या था कार सवार ने अपने आका को फोन लगाया, जिनकी कृपा उनपर है। उनका तो रुतबा चलता है। प्यार से भी डंडे से भी। सो फोन पर बात की। अनुरोध किया तो पुलिस ने जाने की अनुमति दे दी, तब पता चला कि अब सिस्टम बदल गया है। संगठन की नहीं सत्ता की चलती है।
आपदा में सिफारिश नहीं चली
कोरोना योद्धा दिन रात ड्यूटी कर रहे हैं। घर परिवार छोड़कर संक्रमण से लोगों को बचा रहे हैं। इसी महकमे में खुद के कोरोना संक्रमित होने के खौफ में छुट्टी चाहते हैं। इसके लिए सिफारिश लगवाने से बाज नहीं आ रहे हैं। पड़ोसी जनपद के सैदनगली में रहने वाले ने तो ओएसडी से सिफरिश लगवाकर फोन करवाया दिया। फोन ओएसडी ने किया या नहीं, इस पर भी पूरी तरह से संशय है। वहीं केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना से जुड़े एक चिकित्सक ने शहर के एक जनप्रतिनिधि से फोन करवा दिया। दोनों को शायद पता नहीं था कि संक्रमण काल में महकमे के मुखिया को अपार शक्ति मिली हुई है। सिफारिश करवाने वालों को बुलाकर साफ कर दिया गया कि काम बहुत है आपदा का समय है। ड्यूटी करेंगे तभी लोग सुरक्षित रहेंगे, अभी तो छुट्टी नहीं मिल सकती है। फिलहाल तो सिफारिश कराने वाले दोनों ड्यूटी कर रहे हैं।
बंदूक से डर से सन्नाटा
कोरोना संक्रमण को लेकर लॉकडाउन में सरकार ने जरूरतमंदों के लिए खजाना खोल दिया है। विभिन्न योजनाओं के तहत धनराशि मिल रही है। राशन पहुंच रहा है। चल रही रसोई से पैकेट तक पहुंचाए जा रहे हैं। ठेले, रेहड़ी वालों के लिए 1000 रुपये की घोषणा की गई तो नगर निगम द्वारा फॉर्म भरवाए गए। क्षेत्र के लोग अपने-अपने नुमाइंदों के पास पहुंचे। चूंकि फार्मों का सत्यापन होना था, इस सबके बीच कोरोना का खौफ भी था। एक क्षेत्र की नुमाइंदगी करने वाली के घर पर मजदूरों की भीड़ पहुंच गई। नजारा देखकर उनके ससुर अंदर जाकर लाइसेंसी बंदूक उठाकर ले आए। इसको देखकर भीड़ दहशत में आ गई, कुछ ही देर बाद वहां सन्नाटा पसर गया।