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फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज चलाने वाले उवैश के घर में पुलिस ने खंगाले दस्‍तावेज, सऊदी अरब और दुबई की कॉल की जाती थी ट्रांसफर

नोएडा और मुरादाबाद में फर्जी टेलीफोन एक्‍सचेंज चलाने वाले उवैश आलम के घर पर पुलिस ने छापेमारी की। इस दौरान 25 सिम ऐसे मिले जिनके नंबरों को रगड़कर मिटा दिया गया था ताकि इन नंबरों के बारे में कोई जानकारी न हो सके।

By Narendra KumarEdited By: Published: Sun, 30 May 2021 08:52 AM (IST)Updated: Sun, 30 May 2021 08:52 AM (IST)
फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज चलाने वाले उवैश के घर में पुलिस ने खंगाले दस्‍तावेज, सऊदी अरब और दुबई की कॉल की जाती थी ट्रांसफर
आरोपित की पत्नी बोली-मुझे नहीं मालूम क्या करते थे काम।

मुरादाबाद, जेएनएन। फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज के माध्‍यम से सरकार को करोड़ों रुपये की चपत लगाने वाले उवैश आलम केे घर पर छापेमारी के दौरान पुलिस को चौंकाने वाले चीजें म‍िली हैं। ट्रांसपोर्ट नगर में पकड़े गए मोबाइल के निजी सर्वर एक्सचेंज का संचालक तीन साल में करोड़ों रुपये की संपत्ति का मालिक बन गया। मूलरूप से भोजपुर थाना क्षेत्र के लालूवाला गांव निवासी उवैश आलम ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद कुछ दिनों तक अमेरिकी साफ्टवेयर कंपनी में काम किया था। तीन साल पहले उसने गांव की जमीन को बेचने के बाद ट्रांसपोर्ट नगर में कोेठी बनवाई थी। इस कोठी के ग्राउंड फ्लोर में उसने ईएलआइ इंडिया कंपनी का दफ्तर खोला था। नोएडा पुलिस के द्वारा इस मामले का पर्दाफाश होने के बाद देश की खुफिया एजेंसियों नींद उड़ गई है। इस मामले की जांच आइबी के अधिकारी भी कर रहे हैं।

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शनिवार को करीब सात बजे पुलिस ने उवैश के ट्रांसपोर्ट नगर के आवास में छापेमारी की थी। इस छापेमारी के दौरान घर में आरोपित की पत्नी हिना के साथ ही दो छोटे बच्चे मौजूद थे। पुलिस ने आवास में करीब चार घंटे तक सर्च आपरेशन चलाया। इस दौरान बड़ी संख्या में इलेक्ट्रानिक उपकरण के साथ बीएसएनएल के सिम बरामद किए गए। पुलिस ने जब इन सिम की आइडी खोजने का काम शुरू किया तो सभी सिम की आइडी फर्जी मिली। वहीं, 25 सिम ऐसे मिले जिनके नंबरों को रगड़कर मिटा दिया गया था, ताकि इन नंबरों के बारे में कोई जानकारी न हो सके।

सऊदी और दुबई की काल ट्रांसफर की जाती थी

मुरादाबाद में मिले निजी सर्वर एक्सचेंज से दुबई, सऊदी अरब और कतर की कॉल को सिम बॉक्स के जरिए ट्रांसफर करके बात कराई जाती थी। ऐसे में विदेश से बात करने वाले को केवल भारत के अंदर काल करने का जो रेट होता था, उतने पैसे ही देने पड़ते थे। वहीं, इस प्रक्रिया से सबसे ज्यादा नुकसान भारत संचार मंत्रालय को हो रहा था। वहीं जिन कॉल को ट्रांसफर किया जाता था, उनके बारे में पुलिस भी पता नहीं लगा सकती थी। क्योंकि सीडीआर रिपोर्ट में दुबई से काल करने वाले व्यक्ति का कोई डाटा ही नहीं होता था। इस खेल के माध्यम से प्रतिमाह करोड़ों रुपये का चूना भारत सरकार को लगाया जा रहा था। वहीं, भारत की आंतरिक सुरक्षा के साथ भी खिलवाड़ किया जा रहा था।

ये होता है सिम बॉक्स

सिम बॉक्स में एक साथ कई सिम लगाए जा सकते हैं। तकनीकी टीम के अधिकारियों ने बताया कि जिस तरह मोबाइल में एक, दो या तीन सिम लगाकर बात करने की सुविधा प्रदान होती है। वैसे ही सिम बॉक्स में एक साथ 32 से लेकर 64 सिमों का प्रयोग किया जा सकता है। इन्हीं सिम बॉक्स के जरिए इंटरनेशनल वाइस कॉल को लोकल सिम में ट्रांसफर करके स्थानीय लोगों से सीधे बात करने की सुविधा दी है।

पुलिस को सर्वर एक्सचेंज से म‍िले ये सामान 

सात सिम बॉक्स, एक लैपटॉप, एक यूपीएस, चार ऑफ्टीकल फाइबर केबिल, आठ छोटी बैटरी, 11 सीपीयू, 10 टीएफटी मॉनीटर, आठ कीबोर्ड और माउस, 20 पावर केबिल, दो हार्डडिस्क, 224 एंटीना, पांच नेटवर्क केबिल, दो मोबाइल फोन, पांच राउटर, 187 बीएसएनएल के सिम। 

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