रामपुर में सामूहिक दुष्कर्म में समझौता कराने में फंसे दारोगा और सिपाही
ज्यादती होने के बाद लोग पुलिस के पास न्याय के लिए पहुंचते हैं लेकिन कई मामलों में पुलिस सही तरीके से अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं करती।
रामपुर, जेएनएन। सामूहिक दुष्कर्म के मामले में पुलिस ने आरोपितों पर कार्रवाई करने के बजाय पीड़ित पक्ष को धमकाकर समझौता करा दिया। तब पीड़िता ने इंसाफ के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रमोद कुमार शर्मा ने पुलिस अधीक्षक को समझौता कराने के आरोपित दारोगा और सिपाही के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं।
घटना शहर कोतवाली के मुहल्ला कोलकाता नई मस्जिद की है। इस मोहल्ले की युवक का निकाह 16 मार्च 2020 को गंज थाना क्षेत्र के मोहल्ला तीन रंगों वाली मस्जिद के पास हुआ था। लड़की वालोंं नेे हैसियत के मुताबिक दान दहेज दिया था। आरोप है कि ससुराली दहेज से खुश नहीं थे। कार और 500000 की मांग कर रहे थे मांग पूरी ना होने पर उसके साथ मारपीट की। 19 मार्च को जब पीड़िता घर में अकेली थी तो उसका जेठ और नंदोई घर में घुस आए। तमंचे के बल पर उसके साथ दुष्कर्म किया। महिला ने शिकायत पति से की तो उसने चुप रहने को कहा। महिला ने मायके वालों को जानकारी दी। इसकी जानकारी मिलने पर ससुरालियों ने उसे मारपीट कर घर से निकाल दिया। पीड़िता ने एसपी कार्यालय पहुंचकर शिकायती प्रार्थना पत्र दिया जिसे शहर कोतवाली भिजवा दिया गया। कोतवाली पुलिस ने कार्रवाई का आश्वासन दिया लेकिन बाद में लॉकडाउन के नाम पर पीड़िता को टरकाते रहे। 27 मई को 9:00 धारा चौकी के सिपाही जबर सिंह ने फोन करके महिला को थाने बुलाया। अगले दिन पीड़िता अपने भाई के साथ चौकी पहुंची जहां सिपाही के अलावा चौकी प्रभारी भी मौजूद थे। इन दोनों ने पीड़िता से जबरन समझौतानामा लिखवा लिया। ऐसा न करने पर भाई को झूठे आरोप में जेल भेजने की धमकी दी। इस पर पीड़िता ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से अदालत में प्रार्थनापत्र दिया। अधिवक्ता ने बताया कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने चौकी प्रभारी के खिलाफ जांच कर रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं। अदालत 18 अगस्त को सुनवाई करेगी।