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पुलिस व वन विभाग की टीम का दो गांवों में छापा, दुर्लभ प्रजाति के 11 कछुए बरामद

उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड तस्करी के लिए ले जाए जा रहे 11 कछुओं को पुलिस ने छुड़ा लिया। दो तस्करों को बाइक समेत गिरफ्तार कर लिया।

By Narendra KumarEdited By: Published: Tue, 28 May 2019 12:33 PM (IST)Updated: Tue, 28 May 2019 12:33 PM (IST)
पुलिस व वन विभाग की टीम का दो गांवों में छापा, दुर्लभ प्रजाति के 11 कछुए बरामद
पुलिस व वन विभाग की टीम का दो गांवों में छापा, दुर्लभ प्रजाति के 11 कछुए बरामद

स्वार (रामपुर): उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड तस्करी के लिए ले जाए जा रहे 11 कछुओं को पुलिस ने छुड़ा लिया। दो तस्करों को बाइक समेत गिरफ्तार कर लिया। जानकारी पर वन विभाग की टीम भी आ गई। 

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गदरपुर गांव में पुलिस बल संग मारा छापा

 सोमवार को मुखबिर ने कोतवाल रवींद्र कुमार वर्मा को सूचना दी कि थाना अजीमनगर के गांव भोट बक्काल से कछुओं की तस्करी कर उत्तराखंड के थाना गदरपुर के गांव मेहतोष ले जाया जा रहा है। कोतवाल ने एसएसआइ विनोद कुमार पांडे, कांस्टेबिल हरपाल भाटी, विकास कुमार, सोमदत्त शर्मा, लोकेंद्र ङ्क्षसह की टीम गठित कर मुखबिर के बताए ठिकाने पर छापा मारने पहुंच गई। पुलिस रजानगर बिजड़ा मार्ग तक ही पहुंच सकी थी कि भोट बक्काल गांव की ओर से एक बाइक आती दिखी। बाइक पर दो लोग थे। 

बोरे में भरे थे सात कछुए 

पुलिस ने बाइक को रोकने का इशारा किया। इस पर बाइक सवार युवक भागने लगे। पुलिस ने उनका पीछा किया और दोनों को पकड़ लिया। उनके पास से मिले बोरे में पुलिस को सात कछुए मिले। पुलिस दोनों को बाइक और कछुए समेत कोतवाली ले आई। 

पता चलते वन विभाग के अफसरों में मची खलबली 

घटना की सूचना डीएफओ एके कश्यप को दी। डीएफओ ने तुरंत अपनी टीम वहां भेजी। वन रेंजर माजिद इब्राहिम वहां पहुंच गए। बाद में पुलिस और वन विभाग की टीम ने भोट वक्काल गांव में छापा मारा। पुलिस को देख वह भाग गया। उसके घर से भी चार कछुए मिले। पुलिस ने पकड़े गए दोनों तस्करों से पूछताछ की। उन्होंने अपना नाम थाना गदरपुर के मेहतोष निवासी रंजीत व युधिष्ठर बताया। 

आरोपितों पर दर्ज कराया मुकदमा 

डीएफओ ने बताया कि बरामद कछुए दुर्लभ प्रजाति के हैं। इनका शिकार करना, इन्हें पकडऩा या अपने पास रखना प्रतिबंध है। ऐसा करने पर सात साल तक की सजा का प्रावधान है। डीएफओ ने बताया कि इस मामले में आरोपितों के खिलाफ वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन और भारतीय वन अधिनियम की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया है। कोर्ट से अनुमति लेने के बाद सभी कछुओं को पीपली वन स्थित नदी में छोड़ दिया जाएगा।

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