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जानिये, सम्भल के परतापुर गांव के बाशिंदे शाम होते ही क्यों नाचने लगे

आजादी के ७१ वर्षों बाद सम्भल के परतापुर गांव में बिजली सप्लाई शुरू हुई तो लोग खुशी में नाचने लगे। बिजली की समस्या को दैनिक जागरण ने भी प्रमुखता से उजागर किया था।

By RashidEdited By: Published: Fri, 19 Oct 2018 02:18 AM (IST)Updated: Fri, 19 Oct 2018 10:15 AM (IST)
जानिये, सम्भल के परतापुर गांव के बाशिंदे शाम होते ही क्यों नाचने लगे
जानिये, सम्भल के परतापुर गांव के बाशिंदे शाम होते ही क्यों नाचने लगे

मुरादाबाद (जेएनएन)। सम्भल जिले के गांव परतापुर में पहली बार बिजली की रोशनी पहुंची तो लोग खुशी से झूम उठे। आजादी के बाद से इस गांव में अब बिजली पहुंची है। इस गांव के लोग बिजली के लिए तरस रहे थे। गांव में बिजली के पोल तो पहले लगा दिए गए थे, लेकिन सप्लाई सुचारू नहीं की गई थी। दैनिक जागरण ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया तो अधिकारियों ने सुध ली।

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आजादी के 71 साल बाद मिली बिजली

रजपुरा विकास खंड के गांव परतापुर के लोग आजादी के दशकों बाद भी मोमबत्ती और लैंप के सहारे रातें काट रहे थे। गांव में लगभग 1300 की आबादी है। यहां पर लगभग 150 परिवार रहते हैं। ज्यादातर लोग खेती पर ही निर्भर हैं। कुछ घरों में ही सोलर लाइट की रोशनी थी। जंगली जानवरों के भय से ग्रामीण शाम होते ही घरों में दुबकने को मजबूर थे। वर्षों मांग के बाद सरकार ने गांवों के विद्युतीकरण की योजना बनाई। गांव में कुछ जगहों पर पोल तो लगा दिए गए हैं लेकिन बिजली आपूर्ति नहीं शुरू की गई। कागजों में गांव को संतृप्त करने के लिए जरूर विभाग ने पोल लगाए हैं।

जागरण ने जोरशोर से उठाई थी समस्या

दस जुलाई को सम्भल में मुख्यमंत्री का दौरा निश्चित हुआ तो नौ जुलाई के अंक में दैनिक जागरण ने इस मामले को प्रमुखता से उठाते हुए सीएम साहब, हमारे गांव में भी पहुंचाओ बिजली शीर्षक के साथ खबर प्रकाशित की थी।गांव के ही वीरपाल, आदेश, देवराज, राजपाल, तीर्थ कुमार, सुनील कुमार, आदि ने मुख्यमंत्री से गांव में विद्युतीकरण कराने की मांग को पत्र भी भेजा था। इसके बाद गांवों के विद्युतीकरण की योजना बनाई। गुरुवार को विद्युत आपूर्ति चालू कर दी गई। गांव में पहली बार बिजली के बल्ब जलते ही ग्रामीण खुशी से झूम उठे।

अब धूमधाम से मनाएंगे दीपावली 

परतापुर के यादराम सिंह का कहना है कि हमारे गांव में पहली बार बिजली आई है। लोग घर पर झालर लगा दीपावली मनाएंगे। गांव की छात्र-छात्राओं को इसका काफी फायदा मिलेगा और उन्हें पढ़ाई करने के लिए अब मोमबत्ती या लैम्प की जरूरत नहीं पड़ेगी। देशराज सिंह का कहना है कि हमारी परेशानी को दैनिक जागरण ने प्रकाशित किया तो गांव में बिजली पहुंचाने के लिए अधिकारियों ने सुध ली। बिजली आई तो हम लोगों को काफी खुशी हुई।


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