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इबादत की एक राह, आधे पर हिंदू और आधे पर चले मुसलमान Moradabad News

सात संदूकों में भरकर दफ्न कर दो नफरतें आज इंसा को मुहब्बत की जरूरत है बहुत।। प्रख्यात शायर बशीर बद्र की उक्त पंक्ति यहां पर चरितार्थ हुईं।

By Narendra KumarEdited By: Published: Tue, 13 Aug 2019 10:19 AM (IST)Updated: Tue, 13 Aug 2019 10:19 AM (IST)
इबादत की एक राह, आधे पर हिंदू और आधे पर चले मुसलमान Moradabad News
इबादत की एक राह, आधे पर हिंदू और आधे पर चले मुसलमान Moradabad News

 मुरादाबाद : सात संदूकों में भरकर दफ्न कर दो नफरतें, आज इंसा को मुहब्बत की जरूरत है बहुत।। प्रख्यात शायर बशीर बद्र की उक्त पंक्ति यहां पर चरितार्थ हुईं जब  इबादत के एक ही रास्ते पर हिंदू और मुसलमान को एक साथ आगे बढ़ते देखा गया। बीते कई दिनों से मुरादाबाद के उन प्रशासनिक अफसरों के दिलो दिमाग में बार-बार कौंध रही थीं, जिनके कंधे पर सावन के अंतिम सोमवार को कांवडिय़ों की भारी भीड़  नियंत्रित करने व ईद उल अजहा की नमाज सकुशल संपन्न कराने का भार था। एक साथ मिली दो बड़ी जिम्मेदारी का असर अफसरों के चेहरे पर तनाव के रूप में देखने को मिला।

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छत्तीस घंटे से भी अधिक समय तक वह सोए ही नहीं। कर्तव्य पथ पर खड़े प्रशासनिक अफसरों ने सोमवार को सुबह तब राहत की सांस ली, जब  इबादत की एक ही रास्ते पर हिंदू और मुसलमान को एक साथ आगे बढ़ते उन्होंने देखा। सावन का अंतिम सोमवार व ईद उल अजहा एक ही दिन पडऩे से प्रशासनिक गलियारे में बीते कई दिनों से चिंता का माहौल था। इसकी बड़ी वजह यह रही कि सावन के अंतिम सोमवार के मौके पर शिव का जलाभिषेक करने हरिद्वार व ब्रजघाट से कांवडिय़ों की भारी भीड़ महानगर में प्रवेश कर रही थी। इधर, ईद उल अजहा की नमाज अदा करने वालों की तादाद भी लाखों में थी। तय हुआ कि ईदगाह में नमाज सुबह आठ बजे शुरू होगी। ईदगाह तक आने वाली सड़क की एक पटरी नमाजियों के सुपुर्द कर दी गई, जबकि दूसरी पटरी उन कांवडिय़ों के लिए आरक्षित की गई, जिन्हें गंगाजल लेकर महानगर के विभिन्न शिवालयों तक जाना था। प्रशासनिक अमले द्वारा की गई इस अभूतपूर्व व्यवस्था पर सभी की निगाह गड़ी हुई थी। खुद प्रशासनिक अफसर भी दम साध कर हालात पर नजर रखे हुए थे। पल पल की तस्वीर कैमरों में कैद हो रही थी। इस बीच सड़क की एक पटरी से कांवडिय़ों का जत्था गुजरता रहा, तो दूसरी पटरी से नमाजी ईदगाह की ओर जा रहे थे। शांति व सौहार्द के वातारण में अपने-अपने इबादतगाह की ओर बढ़ रहे दोनों धर्मों के लोगों ने बशीर बद्र सरीखा ही संदेश समाज को देने की कोशिश की। इसे प्रशासनिक अफसरों ने भी दिल से महसूस किया और दोनों धर्मों से जुड़े लोगों को तहेदिल से बधाई दी। 

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