अधिकारियों ने पेंशन देने के बजाय नेत्रहीन को बताया फिट
उत्तर रेलवे महाप्रबंधक नेत्रहीन व दिव्यांग को देखकर हैरान हो गए कैसे रेलवे अधिकारियों ने पेंशन देने के बजाय काम करने के लिए फिट दिखा दिया।
By Narendra KumarEdited By: Published: Thu, 21 Mar 2019 02:25 AM (IST)Updated: Fri, 22 Mar 2019 09:10 AM (IST)
मुरादाबाद । उत्तर रेलवे महाप्रबंधक नेत्रहीन व दिव्यांग को देखकर हैरान हो गए, कैसे रेलवे अधिकारियों ने पेंशन देने के बजाय काम करने के लिए फिट दिखा दिया। रेलवे अधिकारियों को आदेश दिया कि नियमानुसार कार्रवाई कर दिव्यांग को पेंशन दिलाई जाए। रामपुर के मिलक निवासी कुलदीप रात में उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक से मिलने स्टेशन पहुंचे। अधिकारियों ने दिव्यांग को पहले तो मिलने से रोकने का प्रयास किया, लेकिन यूनियन नेताओं के हस्तक्षेप के बाद उनसे मिल पाया। कुलदीप का कहना था कि उसके पिता मदन लाल धमौरा में रेलवे के गेट मैन थे, उनकी मृत्यु वर्ष 2010 में हो गई थी। पिता के मौत के बाद मां सुद्रा को परिवारिक पेंशन मिलने लगी। 2013 में सड़क दुर्घटना में कुलदीप का एक पैर कट गया और दूसरा खराब। आंख की रोशनी भी चली गई। इससे वह वहां कोई काम कर पाने की स्थिति में नहीं है। मां को मिलने वाली पेंशन से गुजरा हो रहा था। मां की वर्ष 2017 में मौत हो गई और पेंशन मिलना बंद हो गई। रेलवे के नियमानुसार मां की मौत के बाद अक्षम दिव्यांग पुत्र को परिवारिक पेंशन मिलने का प्रावधान है। कुलदीप के परिवारिक पेंशन आवेदन पर रेलवे अधिकारियों ने उसे काम के लिए स्वस्थ्य घोषित कर दिया। कुलदीप कहते हैं कि वह केवल भीख मांग सकते हैं। रेलवे अधिकारी पेंशन देने के बजाय भीख मांगने की सलाह देते हैं।
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