अब वीडियो कांफ्रेंसिंग से होगी विकास कार्यों की समीक्षा, हर ब्लाक में शुरू हुआ कक्ष बनाने का कार्य
मुख्य वीडियो कांफ्रेंसिंग कक्ष विकास भवन सभागार में बनाए जाने का काम शुरू हो गया है। ब्लाकों में भी वीडियो कांफ्रेंस कक्ष की स्थापना का काम शुरू हो गया है। शासन स्तर से भी लिंक आने पर सभी ब्लाकों को बैठक से जोड़ दिया जाएगा।
मुरादाबाद, जागरण संवाददाता। अब समीक्षा बैठक के लिए फील्ड के अधिकारियों और कर्मचारियों को बार-बार जिला मुख्यालय तक नहीं दौड़ना पड़ेगा। हर ब्लाक में वीडियो कांफ्रेंसिंग कक्ष बनने शुरू हो गए हैं। मनरेगा समेत कई योजनाओं के प्रशासनिक मद से कंटीजेंसी धनराशि कक्ष तैयार करने में खर्च हो रही है। ग्राम पंचायत विकास अधिकारियों से भी शासन में बैठे अधिकारी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सीधी बात कर सकेंगे।
जिला मुख्यालय पर एनआइसी में बने कांफ्रेंसिंग कक्ष के माध्यम से ही लिंक मिलने पर जिले के अधिकारी मुख्यमंत्री और शासन स्तर के अधिकारियों की बैठक में जुड़ पाते हैं। ग्राम पंचायतों में तैनात सचिवों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए शासन के अधिकारियों को स्थानीय अधिकारियों का सहारा लेना होता है। लेकिन, अब ऐसा नहीं होगा। ग्राम पंचायत विकास अधिकारियों से भी शासन में बैठे अधिकारी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सीधी बात कर सकेंगे। इसके लिए हर विकास खंड में वीडियो कांफ्रेंसिंग कक्ष की स्थापना होनी शुरू हो गई है। मुख्य वीडियो कांफ्रेंसिंग कक्ष विकास भवन सभागार में बनाए जाने का काम शुरू हो गया है। ब्लाकों में भी वीडियो कांफ्रेंस कक्ष की स्थापना का काम शुरू हो गया है। शासन स्तर से भी लिंक आने पर सभी ब्लाकों को बैठक से जोड़ दिया जाएगा। सरकार के आला अधिकारी लखनऊ में बैठकर विकास कार्यों की समीक्षा कर लेंगे।
जेम पोर्टल से खरीदा जा रहा सामान : हर ब्लाक में वीडियो कांफ्रेंसिंग कक्ष बनाए जाने के लिए सामान जेम पोर्टल के माध्यम से खरीदा जा रहा है। डीएम शैलेंद्र कुमार सिंह ने एचडी प्रोजेक्टर की अनुमानित धनराशि 60 हजार रुपये रखी है। प्रोजेक्टर स्क्रीन की चार हजार, एलइडी 85 हजार, स्पीकर चार हजार, माइक सात हजार, कैमरा छह हजार और आल इन वन पीसी 60 हजार रुपये में खरीदी जाने की अनुमति है।
जिले के सभी आठों ब्लाकों में वीडियो कांफ्रेंसिंग कक्ष की स्थापना होनी शुरू हो गई है। कक्ष में 40 अधिकारियों और कर्मचारियों के बैठने की व्यवस्था होनी है। फर्नीचर की व्यवस्था रहेगी। कक्ष वातानुकूलित होगा। इसके बाद राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना आदि योजनाओं की समीक्षा करना आसान होगा।
सतीश कुमार मिश्र, परियोजना प्रबंधक, डीआरडीए
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