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अब हाईकोर्ट में पहुंच सकता है नवाब खानदान का संपत्ति बंटवारा, ज‍िला जज ने खार‍िज क‍िया प्रार्थना पत्र

Partition of property of Rampur Nawab family नवाब खानदान की संपत्ति बंटवारे के मामले में जिला जज ने आदेश वापसी का प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया। माना जा रहा है क‍ि अब यह मामला हाईकोर्ट में पहुंच सकता है।

By Narendra KumarEdited By: Published: Wed, 03 Feb 2021 06:05 AM (IST)Updated: Wed, 03 Feb 2021 06:05 AM (IST)
अब हाईकोर्ट में पहुंच सकता है नवाब खानदान का संपत्ति बंटवारा, ज‍िला जज ने खार‍िज क‍िया प्रार्थना पत्र
बंटवारे की जिम्मेदारी जिला जज को सौंपी गई।

मुरादाबाद, जेएनएन। Partition of property of Rampur Nawab family। रामपुर नवाब खानदान की संपत्ति बंटवारे के मामले में जिला जज ने मंगलवार को आदेश वापस लेने संबंधी प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया। अब यह मामला हाईकोर्ट पहुंच सकता है। हालांकि दूसरा पक्ष सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है।

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रामपुर में नवाब खानदान की 26 अरब से ज्यादा की संपत्ति है, जिसके बंटवारे की प्रक्रिया चल रही है। अगस्त 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने शरीयत के हिसाब से बंटवारा करने के आदेश दिए थे। साथ ही बंटवारे की जिम्मेदारी जिला जज को सौंपी गई। आदेश मिलते ही जिला जज ने संपत्ति के सर्वे और मूल्यांकन के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किए, जिन्होंने सारी संपत्ति का मूल्यांकन करने के बाद रिपोर्ट भी अदालत को सौंप दी। पहले इस मामले में 18 पक्षकार थे, जिनमें दो की मौत हो चुकी है। 11 पक्षकारों की ओर से पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता हर्ष गुप्ता वकील हैं। उन्होंने बताया कि इस मामले में दो पक्षकार मुराद मियां और उनकी बहन निगहत बी की ओर से आपत्ति दाखिल की गई थी कि मुकदमे का ट्रायल हाईकोर्ट में हुआ है, इसलिए बंटवारा भी हाईकोर्ट में किया जाए। इस पर जिला जज ने 28 फरवरी 2020 को आदेश जारी किया, जिसमें हाईकोर्ट को ही ट्रायल कोर्ट माना। लेकिन, बंटवारे की प्रक्रिया जारी रखी। उस आदेश के मुताबिक हाईकोर्ट द्वारा ही बंटवारा किया जाना चाहिए। इस आदेश को वापस लेने के लिए अधिवक्ता हर्ष गुप्ता ने जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र दिया। इस पर दोनों पक्ष की ओर से बहस हुई। सोमवार को बहस की प्रक्रिया पूरी हो गई। मंगलवार को जिला जज ने उनका प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया। अदालत ने विलंब से प्रार्थना पत्र देने की बात कही है। अगली सुनवाई के लिए चार फरवरी लगी है। अब यह मामला हाईकोर्ट पहुंच सकता है। श्री गुप्ता का कहना है कि वह सुप्रीम कोर्ट जाएंगे, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने जिला जज को ही बंटवारा कराने की जिम्मेदारी सौंपी है। 

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