ट्रेन की साइड बर्थ पर नहीं होगा कमर दर्द, रेलवे ने बनाई ये योजना Moradabad News
सीट के दोनों पल्ले नीचे आते ही हो जाएंगे फिक्स सभी ट्रेनों में बदली जाएंगी साइड लोअर बर्थ। रेलवे की इस कवायद से यात्रियों को मिलेगी राहत।
मुरादाबाद (प्रदीप चौरसिया)। ट्रेन की साइड लोअर बर्थ पर सफर करने में लोगों को कमर दर्द होने लगता है। ऐसी कई शिकायतें रेल प्रशासन को मिली हैं। इसको ध्यान में रखते हुए अब रेल प्रशासन इस सीट को आरामदायक बनाने की तैयारी में है। नई सीट में लेटने पर लोगों कमर दर्द की शिकायत नहीं होगी।
ट्रेनों की आरक्षण बोगी में साइड लोअर बर्थ होती है। पुराने स्लीपर व एसी थ्री कोच में आठ और नए कोच में नौ लोअर बर्थ होती हंै। जबकि एसी टू में छह बर्थ होती हैं। साइड लोअर बर्थ रिजर्वेशन अगेंस्ट कौसिलेंशन (आरएसी) वाले यात्रियों को आवंटित की जाती हैं। इसमें दो यात्रियों के बैठने की व्यवस्था होती है। बीच रास्ते में बर्थ खाली होने पर आरएसी वाले एक यात्री को खाली बर्थ व दूसरे यात्री को साइड लोअर बर्थ आवंटित की जाती है। दोनों बैठने वाली सीट को जोड़ कर एक बर्थ बनाई जाती है। जोडऩे की प्रक्रिया में बर्थ ऊंची नीची रह जाती है, जिससे उस पर सोने वाले यात्रियों की कमर में दर्द हो जाता है। इसकी कई शिकायतें रेल मंत्रालय तक पहुंची हैं। कुछ यात्रियों ने ट्वीट करके भी रेल मंत्री से शिकायत की थी। यात्रियों की शिकायत थी कि साइड लोअर बर्थ पर सो नहीं पाते हैैं और कमर दर्द हो जाता है। इन शिकायतों को देखते हुए रेल मंत्रालय के आदेश पर अब साइड लोअर बर्थ को आरामदायक बनाया जा रहा है।
ब्लॉक सिस्टम से तैयार होगी बर्थ
साइड लोअर बर्थ को ब्लॉक सिस्टम से तैयार किया जाएगा। जब दोनों सीट को जोडऩे के लिए पल्ला नीचे लाया जाएगा तो ब्लाक आपस में जुड़ जाएगा। नीचे सपोर्ट देने की व्यवस्था होगी, जिससे बर्थ ऊपर नीचे नहीं होगी। साइड लोअर व अपर बर्थ की लम्बाई 176 सेंटीमीटर होती है। प्रवर मंडल वाणिज्य प्रबंधक रेखा ने बताया कि नए कोच में आरामदायक साइड लोअर बर्थ लगाई जा रही हैं। पुराने कोचों में भी आधुनिक बर्थ लगाई जाएगी।
चिकित्सक की राय
साइड लोअर बर्थ की दोनों सीटें ऊपर नीचे होती हैं, इससे सोने पर कमर की हड्डी पर भार पड़ता है। जिसके चलते यात्रियों को कमर दर्द होता है। सीटों के ऊपर नीचे होने से यात्रियों को असहज महसूस होता है और नींद नहीं आती है।
- डॉ. शेर सिंह कक्कड़, वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ, जिला अस्पताल मुरादाबाद।