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कोरोना वायरस को निष्प्रभावी बनाएगा एमएचएससी का नया स्प्रे

जिन धातुओं पर नतीजा संतोषजनक आया है उनके लिए 15 तक यह रसायन निर्यातकों को उपलब्ध करा दिया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Fri, 05 Jun 2020 02:56 AM (IST)Updated: Fri, 05 Jun 2020 02:56 AM (IST)
कोरोना वायरस को निष्प्रभावी बनाएगा एमएचएससी का नया स्प्रे
कोरोना वायरस को निष्प्रभावी बनाएगा एमएचएससी का नया स्प्रे

तरुण पाराशर, मुरादाबाद : मुरादाबाद से निर्यात होने वाले हैंडीक्राफ्ट के उत्पाद को लेकर आयातक देश के क्रेता उसके कोरोना वायरस फ्री होने की गारंटी भी माग रहे हैं। ऐसे में मेटल हैंडीक्राफ्ट्स सर्विस सेंटर (एमएचएससी) की रिसर्च, टेस्टिंग एंड कैलीब्रेशन लेबोरेटरी ने ऐसा केमिकल (सुरक्षा-24) तैयार करने का दावा किया है, जिसके स्प्रे से कोरोना वायरस निष्प्रभावी हो जाएगा।

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सैनिटाइजेशन में प्रयोग होने वाले सोडियम हाइपोक्लोराइड की तरह यह रसायन क्लोराइड ग्रुप से भी नहीं है। इससे वायरस के निष्प्रभावी होने की की पुष्टि हो चुकी है। विभिन्न प्रकार की धातुओं से बने प्रोडक्ट की चमक, इलेक्ट्रोपेंटिंग, फिनिशिग पर पड़ने वाले प्रभाव का नतीजा भी संतोषजनक आया है। जिन धातुओं पर नतीजा संतोषजनक आया है, उनके लिए 15 जून तक यह रसायन निर्यातकों को उपलब्ध करा दिया जाएगा। अभी इसकी कीमत तय होनी बाकी है।

ऐसे तैयार हुआ प्रोडक्ट

यूरोप के खरीदारों ने भारत से बनकर जाने वाले उत्पाद पर कोरोना फ्री नहीं होने की बात उठाई थी। इसे देखते हुए एमएचएससी ने कोरोना को निष्प्रभावी करने वाला केमिकल तैयार करने की योजना बनाई। शोध संस्था के महाप्रबंधक डॉ. रवींद्र शर्मा ने बताया कि इसके लिए केमिकल मेन्यूफेक्चरिग कंपनी के साथ मिलकर स्प्रे तैयार किया गया है। प्रयोगशाला में इसका परीक्षण संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए वस्तुओं पर करके भी देखा गया है।

20 बार तक नहीं होता संक्रमण का खतरा

डॉ. रवींद्र शर्मा बताते हैं कि यह स्प्रे एक बार प्रयोग करने के बाद लंबे समय तक काम करता रहेगा। अगर प्रोडक्ट को उस स्थान पर रख दिया जाता है, जहा वायरस होने की आशंका हो तो वह इस पर चिपक नहीं सकता। किसी संक्रमित व्यक्ति के हाथ से भी होकर गुजरता है तो वायरस प्रभावकारी नहीं रह सकेगा। 20 बार टच करने का प्रतिरोध इस केमिकल की चेन करती है। सैनिटाइजर से सामान की चमक जा सकती है। धब्बे भी पड़ जाते हैं। इससे वह सब नहीं होगा।

एमएचएससी पहले भी कर चुका निर्यातकों की समस्या का समाधान

रवींद्र शर्मा बताते हैं कि यूरोप ने छह साल पहले भी भारत में बनने वाले मेटल हैंडीक्रॉफ्ट आइटम में लेड, क्रोमियम, मरकरी सहित अन्य कैंसर कारक धातुओं के मिक्स होने की बात कहकर आर्डर कैंसिल करना शुरू कर दिए थे। तब निर्माण से पूर्व धातु में इन तत्वों के होने की पुष्टि करने वाली जाच की विधि तैयार की थी। इसके बाद कोबाल्ट रेडिएशन का मुद्दा उठा तो भाभा रिसर्च सेंटर के साथ मिलकर जाच की तकनीक उनके संस्थान ने तैयार की। फिर तीन साल पहले उठे 'रीच' (लकड़ी के उत्पाद में एक वायरस) की समस्या के लिए बैक्टीरिया नाशक केमिकल और कोटिंग लेयर तैयार की थी।

एमएचएससी के महाप्रबंधक रवींद्र शर्मा ने बताया कि अभी हमारी चिंता निर्यातकों के प्रोडक्ट को सुरक्षित बनाने की है। हमारी संस्था प्रमाणन का कार्य भी करेगी, जिसमें स्प्रे के बाद कोविड-19 फ्री होने की गारंटी दी जाएगी।


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