पांच हजार लोगों से ऐंठ लिए पचास करोड़ रुपये
जागरण संवाददाता रामपुर लोगों के मेहनत की गाढ़ी कमाई लूटने वाली चिटफंड कंपनियां एक बार फिर जिले में सक्रिय हैं। पिछले दो-तीन सालों में इन कंपनियों ने पांच हजार लोगों के करीब 20 करोड़ रुपये अपनी तिजोरी में भर लिए हैं।
मुरादाबाद : रामपुर जिले के लोगों की मेहनत की गाढ़ी कमाई लूटने वाली चिटफंड कंपनियां जिले में सक्रिय हैं। पिछले दो सालों में इन कंपनियों ने पांच हजार लोगों के करीब 50 करोड़ रुपये अपनी तिजोरी में भर लिए हैं। अब धीरे-धीरे कंपनियों के दफ्तर बंद होने लगे, तब लोगों को ठगी का पता चला और इन चिटफंड कंपनियों की असलियत सामने आ रही है। अपनी मेहनत की कमाई अधिक मुनाफे के फेर में लुटा चुके लोग अब अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं।
इन चिटफंड कंपनियों को चलाने वालों ने इस बार नया तरीका अपनाया। इसमें ऐसे लोगों को शिकार बनाया, जिनके परिवार में बेटियां शादी लायक होती हैं। उन परिवार से एक मुश्त रकम ले ली जाती थी और छह माह या साल भर में उससे दुगनी रकम का दहेज का सामान दे दिया जाता। शुरुआत में कुछ परिवारों को सामान देकर विश्वास जीता और फिर जब लोगों ने पैसा लगाना शुरू किया तो कंपनियां अपने दफ्तर बंद करके फरार होने लगीं। जिले में इस तरह की दर्जनभर कंपनियां चल रही हैं, जिसमें पांच हजार लोगों का 50 करोड़ रुपये लगा है। इनमें दो माह में तीन कंपनियां भाग चुकी हैं। ऐसी ही एक कंपनी श्री गणेश जन कल्याण समिति है, जिसकी शिकायत लेकर कुछ लोग दो दिन पहले पुलिस अधीक्षक से मिले।
इनमें थाना शहजादनगर के जसमौली गांव के लाल सिंह पुत्र छत्रपाल भी थे। उन्होंने बताया कि इस कंपनी का संचालन बकनौरी गांव का देवेंद्र सिंह यादव करता था। उससे जान पहचान थी। उसने कपंनी में पांच हजार रुपये महीने की नौकरी पर मुझे रखा था। मेरे जरिए कंपनी में 28 लोगों के करीब 15 लाख रुपये लगे थे। इनका समय पूरा हो गया। जब सामान देने का समय आया तो वह दफ्तर बंद करके फरार हो गया। मेरा तीन माह का वेतन भी नहीं दिया। पुलिस अधीक्षक शिवहरि मीना ने बताया कि शिकायत की जांच कराई जा रही है। जांच के बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
20 दिन पहले एक चिटफंड कंपनी पर हुई थी रिपोर्ट
रामपुर : धन दोगुना करने का झांसा देकर फरार हुई एक चिटफंड कंपनी के खिलाफ 20 दिन पहले सिविल लाइंस कोतवाली में मुकदमा दर्ज हुआ था। यह मुकदमा शाहबाद के सैफनी निवासी राकेश कुमार जोशी ने कराया था। उनका कहना था कि सिविल लाइंस राधा रोड पर लेबर कोर्ट के पास पीअर्स एलाइड कारपोरेशन लिमिटेड एवं डीपीअर्स एलाइड कारपोशन कंपनी ने कार्यालय खोला था। कंपनी ने स्थानीय एजेंट तैयार किए। उनके माध्यम से अपनी स्कीम लांच की। लोगों को कम समय में धन दोगुना करने का लालच दिया। लोगों का पैसा कंपनी में जमा कराया गया। जब पैसा वापसी का समय आया तो कंपनी फरार हो गई। उनकी शिकायत पर पुलिस ने कंपनी स्वामी दुर्गा प्रसाद दुबे पुत्र विजय नरायन दुबे निवासी न्यू बेनाझबर कोलानी ईदगाह कानपुर एवं बृहम्मपाल सिंह पुत्र रणजीत सिंह निवासी जेपी गार्डन एस्टेट परशुनाथ पैराडाइस मोहन नगर गाजियाबाद के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। अभी तक इन कंपनियों के खिलाफ हुई है पैसा न देने की शिकायत
1. मानव सेवा जन कल्याण समिति इमरतपुर स्वार।
2. ओम सत्य सामाजिक सेवा संस्था देव विहार कालोनी कोसी बाइपास।
3. सत्यकाम सामाजिक सेवा देव विहार कालोनी कोसी बाइपास।
4. श्री गणेश जन कल्याण समिति बकनौरी शहजादनगर।
5. सत्यधाम सामाजिक सेवा जन कल्याण समिति।
6. पीअर्स एलाइड कारपोरेशन लिमिटेड एवं डीपीअर्स एलाइड कारपोशन कंपनी सिविल लाइंस। पैसा मांगने पर की थी एजेंट की हत्या
रामपुर : चिटफंड कंपनियां चलाने वालों के हौंसलें इतने बुलंद हैं कि वे रुपये मांगने वालों को धमका रहे हैं। साल भर पहले एक एजेंट की हत्या तक हुई थी। इसके अलावा दो सप्ताह पहले एक एजेंट को गोली मारी गई थी। संयोग से वह बच गया। साल भर पहले जिस एजेंट की हत्या हुई थी, वह थाना अजीमनगर के बहादुरगंज गांव निवासी जगदीश का 20 वर्षीय बेटा टिकू था, जो गांव में ही रेडीमेड कपड़ों की दुकान करता था। उसके पास स्वार के इमरतपुर गांव का प्रधान गजेंद्र सिंह लोधी आता था। प्रधान ने उसे बताया कि वह मानव सेवा जन कल्याण समिति चलाता है। यह समिति निर्धन परिवारों की बहन-बेटियों की शादी का दहेज कम दामों पर देने काम करती है, लेकिन इसके लिए संबंधित को अग्रिम भुगतान करना होता है। प्रधान ने टिकू को अपनी संस्था का एजेंट बना दिया। उसके माध्यम से कई लोगों की रकम जमा करा ली। यह रकम लगभग 20 लाख रुपये थी। समय आने पर प्रधान ने किसी का पैसा नहीं लौटाया और न ही दहेज का सामान दिया। पैसा जमा करने वाले टिकू को परेशान करने लगे। टिकू भी उनका पैसा दिलाने के लिए प्रधान से तकाजा करने लगा। इस पर प्रधान ने टिकू से छुटकारा पाने के लिए उसे 28 मई 2018 को अपने घर बुलाया। उसे कोल्ड ड्रिक में जहर मिलाकर पिला दिया। इससे उसकी मौत हो गई थी।
दूसरा मामला सिविल लाइंस क्षेत्र का है। पनवड़िया निवासी राकेश कुमार की पहचान एक साल सत्यकाम सामाजिक सेवा एवं जन कल्याण समिति चलाने वाले राजेश कोरेंगा, विनय यादव और जितेंद्र यादव से हुई थी। तीनों ने बताया कि उनकी संस्था सामाजिक कार्य करती है। जिन घरों में शादी लायक जवान बेटे-बेटियां हैं, उनसे एक मुश्त रकम लेती है और शादी के समय उससे दोगुनी कीमत का दहेज का सामान देती है। तीनों ने उसे अपनी संस्था में एजेंट बनाकर लोगों के रुपये जमा करा लिए। बाद में रुपये नहीं लौटाए। एजेंट द्वारा रुपये मांगने पर धमकाने लगे। छह मई की रात को एजेंट ने जब लोगों के रुपये लौटाने को कहा तो उस पर गोली चलाई, जिससे वह घायल हो गया। पुलिस ने उसकी तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर लिया था। इस मुकदमे में दो आरोपित जेल में बंद हैं। चिटफंड कंपनियों द्वारा पीड़ितों की बात
रामनाथ कालोनी के प्रदीप सिंह बताते हैं कि एक साल पहले वह ओम सत्य सामाजिक सेवा संस्था में एजेंट बने थे। उनके जरिए नौ लोगों के करीब छह लाख रुपये जमा हुए हैं। रुपये लौटाने का समय आने पर जब कंपनी संचालकों से बात की तो वे आनाकानी करने लगे। कंपनी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए तहरीर दी है। बकनौरी गांव के मुकेश कुमार श्री गणेश जन कल्याण समिति में एजेंट बने थे। उनके जरिए कई लोगों के पैसे समिति द्वारा जमा किए गए। शुरूआत में कुछ लोगों को सामान भी दिया, लेकिन 22 लोगों के पैसे कंपनी नहीं दे रही है। यह रकम 13 लाख है। जिनके रुपये लगे हैं, वे तकाजा करते हैं। समिति संचालक फरार हो गए हैं। गणेशघाट मूंढापांडे के गौतम सैनी कहते हैं कि उनकी बेटी की 17 जून को शादी है। एक साल पहले ओम सत्य सामाजिक संस्था में 72 हजार रुपये जमा किए थे। संस्था के एजेंट ने वादा किया था कि शादी के समय बाइक, फ्रिज, कूलर, एलईडी, अलमारी, डबल बेड, सोफा आदि सामान मिलेगा। शादी से कुछ दिन पहले संस्था के दफ्तर में संपर्क किया तो पता चला कि दफ्तर बंद है। फसल बेचकर रकम जमा की थी जो डूब गई। गणेश घाट मूंढापांडे के सोराम ने भी अपनी बेटी की शादी में दहेज का सामान देने के लिए ओम सत्य सामाजिक संस्था में 87 हजार रुपये जमा किए थे। बेटी की शादी 28 मई की है। दो दिन पहले जब वह संस्था के दफ्तर गया तो पता चला कि संस्था के लोग फरार हो गए हैं और दफ्तर बंद है। उसका कहना है कि अब दहेज के लिए रिश्तेदारों से उधार मांगकर बेटी की शादी करनी पड़ेगी।
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