वैश्विक आतंकी बने उमर के बड़े भाई के यहां टीवी न फ्रिज और न ही स्मार्ट फोन, Moradabad news
वैश्विक आतंकी शना-उल-हक उर्फ आसिम उमर के बड़े भाई के परिवार की आर्थिक स्थिति बदहाल है।
सम्भल : वैश्विक आतंकी शना-उल-हक उर्फ आसिम उमर के बड़े भाई के परिवार की आर्थिक स्थिति बदहाल है। आज के दौर में जहां स्मार्ट फोन, टीवी, फ्रिज आम आदमी की जरूरत बन चुका है, वहीं शना के बड़े भाई के पास ये जरूरी संसाधन भी नहीं है। इतने पैसे भी नहीं है कि वह अखबार खरीद सके और देश दुनिया के बारे में जान सके। शना के बड़े भाई 13 किलोमीटर दूरी एक निजी स्कूल में पढ़ाते हैं। वहां तक पैदल जाते और आते हैं। जो मानदेय मिलता है उससे परिवार का खर्च चलता है।
उमर का भाई बोला, मैं क्या जानू जो मरा वह कौन है
ऐसे में आतंकी उमर ने जो राह चुनी उससे इस परिवार का कोई सरोकार नहीं रह गया है। बड़े भाई स्पष्ट कहते हैं कि मैं क्या जानू जो मरा है वह कौन है? मैं इसे नहीं जानता। यही बातें उनकी पत्नी ने भी कही। दिल्ली से आए मीडिया के लोगों ने जब उनसे बात की तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि जिससे हमारा रिश्ता ही 28 साल पहले टूट गया था, उससे अब कौन सा सरोकार? कौन ङ्क्षजदा है? कौन मर गया? हमें इससे कोई मतलब न पहले था और न ही अब है।
हो गया था पिता का इंतकाल
आतंकी उमर ने न जाने कितने ही निर्दोष लोगों की जानें लेकर इंसानियत का कत्ल किया और आखिरकार अपनी करनी की सजा पा ही गया। पर अपने बेटे की इन करतूतों से पूरा परिवार अनजान था। खासकर वह पिता जो पहले दुनिया से विदा हो गए।
एक बार फिर खुफिया विभाग अलर्ट
अफगानिस्तान में अमेरिका और अफगानी सेना के संयुक्त ऑपरेशन में मारे गए वैश्विक आतंकवादी शान-उल-हक उर्फ आसिम उमर के बाद अब सम्भल में खुफिया एजेंसियां एक बार फिर अलर्ट हो गई हैं। आईबी के साथ ही देश के खुफिया तंत्र ने गोपनीय तौर पर सम्भल में अपना अपना नेटवर्क तेज कर दिया है। खुफिया विभाग ने अब पुराने रिकॉर्ड खंगालने शुरू कर दिए हैं।
खुफिया टीम ने मारा था छापा
इसके तहत करीब चार साल पहले सम्भल में खुफिया टीम ने छापा मारा था और चार से अधिक संदिग्धों पर अपनी पकड़ बनाई थी। इन संदिग्धों के साथी पिछले 30 साल के भीतर यहां से लापता हो गए हैं। ऐसे युवकों की सूची तैयार की जा रही है। उनका फीडबैक स्थानीय स्तर पर पुलिस ले रही है। इसके अलावा ऐसे लोगों की भी तलाश में पुलिस जुटी है जो ऐसे देशों की यात्रा पर गए जहां से भारत के संबंध सही नहीं है।
अंग्रेजों की हुकूमत में मजिस्ट्रेट थे उमर के बाबा
अफगानिस्तान में मारे गए आतंकी शना-उल-हक उर्फ आसिम उमर का परिवार सम्भल में जमींदार था। उसके बाबा (दादा) अंग्रेजी हुकूमत में सम्भल में मजिस्ट्रेट रहे हैं। शना के साथ बचपन गुजारने वाले एक युवक ने बताया कि वह इंटर कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उसका सीनियर था। स्वभाव में वह बेहद सीधा लगता था लेकिन, उसका दिमाग बहुत चलता था। उसको क्रिकेट का बहुत शौक था। अच्छी स्पिन बॉलिंग करने की वजह से उसे सम्भल का नरेंद्र हिरमानी कहा करते थे। शना के दादा अंग्रेजी हुकूमत के दौरान सम्भल में मुंसिफ मजिस्ट्रेट रहे हैं। उसके वालिद खेतीबाड़ी करते थे।
कब-कब सम्भल आया, इसकी जानकारी जुटा रहा खुफिया विभाग
आतंकी उमर के अफगानिस्तान में मारे जाने के बाद खुफिया विभाग को अलर्ट कर दिया गया है। यह भी पता लगाया जा रहा कि वह कब और कितनी दफा सम्भल आया था। सम्भल के कुछ लोगों के संपर्क में तो नहीं था। पुलिस ने भी सादे कपड़ों में सिपाहियों को लगाकर जानकारी कराई है। खुफिया एजेंसी भी उमर के घर के आसपास में लोगों से जानकारी जुटा रही है।