कोरोना वायरस से डरने की नहीं, सावधान रहने की जरूरत Rampur News
कोरोना वायरस के कारण दुनिया में रोजाना कई हजार लोगों की जान जा रही है। भारत में भी यह तेजी से पांव पसार रहा है। मुरादाबाद मंडल में भी इसका कहर है।
रामपुर (क्रान्ति शेखर सारंग)। आज पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है। मरने वालों के रोज बढ़ते आंकड़े लोगों के दिलों में दहशत पैदा कर रहे हैं। ऐसे में हमें डरने की नहीं बल्कि सकारात्मक रुख अपनाने की आवश्यकता है। यह समझने की जरूरत है कि अन्य बीमारियों की तरह कोरोना भी एक बीमारी है। जैसे हम अन्य बीमारियों से डरने के बजाय उनसे लड़ते हैं, उनसे बचने का प्रयास करते हैं, ठीक उसी प्रकार हमें इस त्रासदी से भी डरे बिना इसका सामना करना होगा। हमें इससे स्वयं बचने तथा औरों को भी बचाने की दिशा में प्रयास करते हुए सावधानी बरतनी होगी।
इसका मतलब यह नहीं कि कोरोना को हल्के में लें या फिर इसके प्रति लापरवाह हो जाएं, बल्कि यह समझें कि कोरोना ही एकमात्र और सबसे बड़ी त्रासदी नहीं है। राजकीय रजा डिग्री कॉलेज में मनोविज्ञान की प्रोफेसर डॉ. मीनाक्षी गुप्ता कहती हैं कि मृत्यु एक शाश्वत सत्य है, यह सब जानते हैं। किसी न किसी रूप में हमें इसका वरण करना ही होता है। कई बार कई भयंकर लाइलाज बीमारियां मौत का कारण बन जाती हैं। आज देश में जाने कितने लोग टीबी, खसरा, मलेरिया, कालाजार, डेंगू, चिकनगुनिया एवं कैंसर जैसी बीमारियों के साथ जीवनयापन कर रहे हैं। जाने कितनी मौतें इन बीमारियों के कारण हो जाती हैं, लेकिन इसके चलते हम दहशत में न आकर उनसे बचने की दिशा में कार्य करते हैं। वैसे ही कोरोना से भी डर कर नहीं, बल्कि सावधान होकर जीने की आवश्यकता है। वह कहती हैं कि मौत के भयावह आंकड़ों ने भी जनता को दहशत में ला दिया है। इसके लिए सबसे पहले हमें सकारात्मक सोच को अपनाना होगा। समझना होगा कि महामारियां पहले भी आ चुकी हैं, लेकिन समय के साथ हर एक का हल भी निकलता है। बीमारियां खत्म भी होती हैं। इससे डरना नहीं मुकाबला करना है। लोगों को जागरूक करें, लेकिन दहशत न फैलाएं। तनाव से निकलने के लिए सुबह में जल्दी उठें और योग करें।
दो माह में हुई मौतों के आंकड़ों पर एक नजर
रामपुर नगर में दो माह में हुई मौतों के आंकड़ों पर नजर डालें तो अब तक 96 मौतें हो चुकी हैं। इनमें कोरोना से मरने वाला कोई नहीं है। नगर में स्वर्गधाम जीर्णोद्धार समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजीव मांगलिक के अनुसार मार्च में 47, अप्रैल में 36 तथा मई में 13 शवों का दाह संस्कार स्वर्गधाम में किया गया। इनमें कोरोना से किसी की मृत्यु नहीं हुई थी। वहीं अधिशासी अधिकारी इंदु शेखर मिश्रा के अनुसार लॉकडाउन से पहले तक मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए 42 आवेदन पत्र प्राप्त हुए थे, उनके मार्च में प्रमाण पत्र बनाए गए थे। लॉकडाउन के कारण अब कोई प्रमाण पत्र नहीं बना है।