Lockdown:रमजान से पहले ही जकात-फितरा दे रहे मुसलमान Amroha News
लॉकडाउन के दौरान ही जकात- फितरा के रूप में मदद कर रहे अमरोहा के मुसलमान। रजा रुयते हिलाल कमेटी ने भी मुसलमानों से की अपील। हर तरफ हो रही है तारीफ।
अमरोहा (आसिफ अली)। कोरोना वायरस जैसी महामारी से देश जंग लड़ रहा है। सभी का संकल्प है कि इसके खत्म होने तक पीछे नहीं हटेंगे। इन हालात में तमाम परिवार ऐसे भी हैं जिन्हें सरकार व समाजसेवी संगठनों द्वारा राशन व मदद मुहैया कराई जा रही है। अब रमजान का मुकद्दस महीना भी आने वाला है। इसमें संपन्न परिवार जरूरतमंद लोगों को जकात व फितरा देते हैं। अमरोहा में लॉकडाउन के दौरान मुस्लिम परिवारों ने रमजान से पहले ही जकात व फितरा देकर जरूरतमंद लोगों की मदद करने की शुरुआत कर दी है। रजा रुयते हिलाल कमेटी ने भी इसकी पैरवी करते हुए लोगों से मदद के लिए आगे आने की अपील की है।
इस वर्ष आगामी 24- 25 अप्रैल से रमजान का मुकद्दस महीना शुरू होगा। इस महीने में मुसलमान रोजा रखने के साथ ही इबादत में रहते हैं। साथ ही पूरा महीना जरूरतमंद लोगों को जकात व फितरा के रूप में दान भी देते हैं। ताकि उनकी मदद हो जाए। अब कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते देशभर में लॉकडाउन है। लोग घरों में हैं। तमाम परिवार ऐसे हैं जिनके सामने आर्थिक समस्या भी बन गई है। उनके घर का चूल्हा जलाने के लिए सरकारी स्तर के साथ ही सामाजिक संगठनों द्वारा मदद की जा रही है। उन्हें घरों पर ही राशन उपलब्ध कराया जा रहा है। देश पर आई विपत्ति की इस घड़ी में अमरोहा के मुसलमानों ने अच्छी पहल की है। उन्होंने रमजान के महीना से पहले ही जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए जकात व फितरा देना शुरू कर दिया है। ताकि परेशानी के इस वक्त में उन्हें राहत मिल जाए। लोग नियमानुसार जकात व फितरा का दान कर रहे हैं।
अमरोहा की धार्मिक संस्था रजा रुयत हिलाल कमेटी ने इसकी पैरवी करते हुए मुसलमानों से रजमान से पहले ही जरूरतमंद लोगों को जकात व फितरा देने की पैरवी की है। कमेटी द्वारा कहा गया है कि मुल्क में पैदा हुए आज के हालात में मुसलमान रमजान से पहले भी जकात व फितरा देकर मुल्क के लोगों की मदद कर सकते हैं।
लॉकडाउन चल रहा है। हमें कोरोना वायरस से मिलकर लड़ाई जीतनी है। मजहब कोई भी हो, सभी को साथ चलना है। एक दूसरे की मदद करें। मुसलमान रमजान के मुकद्दस महीने में दिए जाने वाली जकात व फितरा को अभी जरूरतमंद को दे दें तो बहुत अच्छा रहेगा। बेहतर रहेगा कि राशन के रूप में जकात व फितरा दें। ताकि देश का कोई भी जरूरतमंद परिवार भूखा न रहे। हमें अपने मुल्क की हिफाजत करनी है।
कारी मैराजुल हसन रिजवी, सचिव रजा रुयते हिलाल कमेटी अमरोहा।
क्या है जकात
कारी मैराजुल हसन रिजवी बताते हैं कि हदीस के मुताबिक जकात उन मुसलमानों पर फर्ज है जो साहिब- ए- निसाब यानि मालदार हैं। शरीयत के मुताबिक साहिब-ए-निसाब वो औरत या मर्द होता है, जिसके पास साढ़े सात तोला सोना (75 ग्राम) या 52 तोला चांदी हो या फिर जिसकी आमदनी से सालाना बचत 75 ग्राम सोने की कीमत के बराबर हो। तो उस इंसान को अपनी कुल बचत का 2.5 फीसदी जकात के तौर पर देना होता है।
क्या है फितरा
फितरा भी एक तरह का दान है जो सिर्फ ईदुल फितर मतलब ईद से पहले गरीबों को पैसा या अनाज के रूप में देना होता है। ताकि ईद के दिन कोई भीख ना मांगे। वैसे तो फितरा के लिए गेहंू, किशमिश, जौ दे सकते हैं, लेकिन वक्त के साथ अनाज के बदले पैसे देने का चलन आ गया। मतलब एक शख्स को दो से ढाई किलो गेहूं की कीमत के बराबर पैसे देने होंगे। इसके अलावा अपनी मर्जी के मुताबिक भी दान कर सकते हैं।