नगर निगम मेरठ की गाड़ी से मुरादाबाद में उठा रहे थे कूड़ा, अफसरों के रहम से बचे
मुरादाबाद मेरठ नगर निगम की गाड़ी को मुरादाबाद नगर निगम के नाम से चलाने के मामले में अफस बैकफुट पर।
मुरादाबाद: मेरठ नगर निगम की गाड़ी को मुरादाबाद नगर निगम के नाम से चलाने के मामले में अफसर बैकफुट पर आ गए। इंटरनेट पर गाड़ी का नंबर नगर निगम मेरठ के नाम पर पंजीकृत होने व मुरादाबाद में चलते हुए पकड़े जाने के बाद तहरीर दी गई और कुछ ही देर में वापस ले ली। वाल्मीकि समाज ने अफसरों पर दबाव बनाया कि कार्रवाई हुई तो सफाई ठप की जाएगी। जिससे तहरीर देने के आधा घंटा बाद कोई कार्रवाई नहीं करने को सिविल लाइंस थाने में बोला गया। फिर पांच घंटे बाद तहरीर वापस ले ली गई। भले कारण दबाव रहा लेकिन, नगर नगर निगम मेरठ की गाड़ी अनाधिकृत रूप से चलने के मामले को मुरादाबाद नगर निगम प्रशासन ने हलके में लिया है। दरअसल, मेरठ में भी एटूजेड कंपनी कूड़ा उठाती थी। वहां से भुगतान लेकर कंपनी छोड़कर चली गई थी। कूड़ा उठाने वाले कर्मचारियों की गाड़ियों का संचालन करने वाले रोहित व रोबिन ने गाड़ी अपने कब्जे में ले ली। बाद में मुरादाबाद में उस गाड़ी से डोर-टू डोर कूड़ा उठा रहे थे। रोहित व रोबिन दोनों ही मुरादाबाद के रहने वाले हैं। इसलिए मेरठ नगर निगम की गाड़ी से अपने शहर में कूड़ा उठाने का काम आसानी से चला रहे थे। हर घर से सौ रुपये, फैक्ट्री और अन्य प्रतिष्ठानों से 150 से 500 रुपये तक कूड़े की मात्रा के ऊपर निर्धारित थे। करीब एक साल से दिल्ली रोड व कांठ रोड से कूड़ा उठा रहे हैं, जबकि नगर निगम द्वारा हाल ही में हिदुस्तान सिक्योरिटी कंपनी को हटा दिया है।
एटूजेड कंपनी से छुड़ाए थे 20 वाहन
भ गतान को लेकर नगर निगम व एटूजेड कंपनी के बीच तकरार 2014 से चली आ रही है। इसी को लेकर एटूजेड ने करीब एक करोड़ रुपये का भुगतान न मिलते देख चुपके से गाड़ियां अलीगढ़ भेजना शुरू कर दी थी। डेढ़ साल पहले नगर निगम ने 20 वाहन ले जाते एटूजेड कंपनी को पकड़ा था और एफआइआर कराई थी। कंपनी 2014 में जब काम छोड़कर गई थी, तब कर्मचारियों का 1.50 लाख रुपये भुगतान का बकाया था। इसी को लेकर रोबिन व रोहित ने स्पष्टीकरण दिया है कि एटूजेड से उनके वेतन का भुगतान दिलाया जाए। गाड़ी नगर निगम को सौंप दी है। इसी स्पष्टीकरण को आधार बनाकर नगर निगम अफसरों ने तहरीर वापस ले ली।