जौहर यूनिवर्सिटी की जमीनों के मुकदमे में आपत्ति दाखिल करने के लिए औखिरी मौका
MP Azam Khan सपा शासनकाल में जौहर विवि के लिए जमीनों की रजिस्ट्री कराई गई थी। उस दौरान सरकार ने स्टांप में छूट दी थी लेकिन जिस वजह से छूट मिली थी ऐसा कोई काम नहीं हुआ।
रामपुर। MP Azam Khan। मुहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी की जमीनों के मुकदमे में गुरुवार को भी आपत्ति दाखिल नहीं हो सकी। यूनिवर्सिटी की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने और समय की मांग की। इसपर अदालत ने आखिरी मौका देते हुए सुनवाई के लिए 17 सितंबर निर्धारित की है।
सांसद आजम खां की जौहर यूनिवर्सिटी की जमीनों को लेकर मुकदमेबाजी चल रही है। उनके खिलाफ पिछले साल 30 मुकदमे जमीनें कब्जाने के आरोप में दर्ज कराए गए थे। प्रशासन ने उन्हे भू माफिया भी घोषित कर दिया था। इस यूनिवर्सिटी का संचालन मौलाना मुहम्मद अली जौहर ट्रस्ट द्वारा किया जाता है और आजम खां इस ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं। उनकी पत्नी इसकी सचिव और बहन कोषाध्यक्ष हैं। दोनों बेटे भी सदस्य हैं। पुलिस ने अब ट्रस्ट के सभी सदस्यों को भी जमीन कब्जाने के मुकदमों में आरोपित करते हुए इनके खिलाफ चार्जशीट लगा दी है। दरअसल, यूनिवर्सिटी की जमीनें भी ट्रस्ट के नाम हैं। सपा शासनकाल में जब जमीनों की रजिस्ट्री कराई गई थी, तब सरकार ने उसे स्टांप में छूट दी थी। ट्रस्ट ने कहा था कि वह चैरिटी कार्य करती है और गरीब अल्पसंख्यकों को मुफ्त में शिक्षा देगी। लेकिन, सत्ता बदलने पर भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने मुख्यमंत्री और तमाम अफसरों से शिकायत कर दी कि ट्रस्ट कोई भी चैरिटी का कार्य नहीं कर रही है। इस कारण इसकी जमीनों का सरकार को अधिग्रहण कर लेना चाहिए। मामले की जांच पड़ताल हुई तो आरोप सही पाया गया। इसपर अपर जिलाधिकारी प्रशासन जगदंबा प्रसाद गुप्ता की अदालत में मुकदमा दायर किया गया। गुरुवार को इसकी सुनवाई हुई। आजम खां पक्ष की ओर से पेश हुए अध्वक्ता आरसी पाठक ने आपत्ति दाखिल करने के लिए और समय मांगा। कहा कि ट्रस्ट के सदस्यों के नाम चार्जशीट लगाई गई हैं। वे उसी में लगे हैं। एडीएम श्री गुप्ता ने बताया कि आपत्ति दाखिल करने के लिए अंतिम मौका देते हुए अगली सुनवाई के लिए 17 सितंबर लगाई है।