महिलाओं की परेशानी नहीं समझ पा रही मुरादाबाद पुलिस, हर माह उत्पीड़न की आ रहीं दो हजार शिकायतें, आंकड़ों पर एक नजर
महिला वादों के निस्तारण में बरती जा रही लापरवाही। समझौते की भेंट चढ़ रही आधी आबादी की वेदना। पहले पारिवारिक व घरेलू वादों का निस्तारण महिला थाना व नारी उत्थान केंद्र में करने का प्रयास होता है। बात न बनने पर पुलिस अभियोग पंजीकृत कर किनारा कर लेती है।
मुरादाबाद, जेएनएन। पश्चिम उत्तर प्रदेश का मुरादाबाद जिला महिला उत्पीड़न की घटनाओं में पीछे नहीं है। प्रतिमाह महिला उत्पीड़न के करीब दो हजार मामले पुलिस चौकी, थाने व एसएसपी कार्यालय पहुंचते हैं। महिलाओं से संबंधित वादों त्वरित निस्तारण के लिए मुरादाबाद पुलिस ने पहले से ही कार्ययोजना तैयार की है। इसके तहत सबसे पहले पारिवारिक व घरेलू वादों का निस्तारण महिला थाना व नारी उत्थान केंद्र में करने का प्रयास होता है। बात न बनने पर पुलिस प्रकरण में अभियोग पंजीकृत कर किनारा कर लेती है।
सेवानिवृत्त सीओ व पुलिस अकादमी के अतिथि प्रवक्ता बीके सिंह बताते हैं कि महिलाओं से संबंधित घटनाओं को संवेदनशीलता के साथ निस्तारित करने की बजाय जल्दबाजी होती है। काल्पनिक तथ्यों के आधार पर महिला वादों का निस्तारण करने की चूक ही वीभत्स घटनाओं को जन्म देती है। विवेचना के दौरान पुलिस जब तक साक्ष्यों को समेटने में संवेदनशील नहीं होगी, तब तक महिलाओं को न्याय नहीं मिलेगा।
एक जनवरी से 30 सितंबर तक महिला अपराध
हत्या - 12
दुष्कर्म - 47
दहेज हत्या - 17
पोक्सो एक्ट - 90
अपहरण - 85
महिलाओं से संबंधित वादों का निस्तारण प्रमुखता के आधार पर करने के आदेश दिए गए हैं। पॉक्सो एक्ट के मुकदमे में दो माह के भीतर चार्जशीट कोर्ट में दाखिल करने का आदेश विवेचक को पहले ही दिया जा चुका है। रही बात विवेचना में पुलिस की संवेदनशीलता की तो उच्चाधिकारी लगातार मुकदमे का पर्यवेक्षण करते हैं।
प्रभाकर चौधरी, एसएसपी मुरादाबाद