Moradabad Liquor Smuggling Case : पूरे घर में शराब छुपाने की गोपनीय जगह, पिता ने बेटों के साथ मिलकर तैयार की थी ऐसी डिजाइन
शराब तस्कर राजेंद्र कुमार सैनी ने अपने नए आवास को बनवाने के लिए बाहर से किसी इंजीनियर या राजमिस्त्री को नहीं बुलाया था बल्कि अपने दो बेटों के साथ मिलकर खुद ही आवास का डिजाइन कर चिनाई की थी।
मुरादाबाद, जेएनएन। राजेंद्र कुमार सैनी ने अवैध शराब की तस्करी के हिसाब से ही अपने आवास को डिजाइन किया था। घर के हर कोने में शराब को छिपाने के लिए स्थान बनाए गए थे। शराब तस्कर राजेंद्र कुमार सैनी ने अपने नए आवास को बनवाने के लिए बाहर से किसी इंजीनियर या राजमिस्त्री को नहीं बुलाया था, बल्कि अपने दो बेटों के साथ मिलकर खुद ही आवास का डिजाइन कर चिनाई की थी। उसे डर था कि जिस डिजाइन से वह आवास तैयार कर रहा है, ऐसे में अगर कोई बाहर से आएगा तो उसे शक हो जाएगा। इसलिए, उसने अपने बेटे प्रीतम और हरकेश को राजमिस्त्री का काम सौंप दिया था।
करीब एक हजार गज में फैले आवासीय परिसर में बाहर की ओर छह दुकानें बनाइ गईं हैं। इनमें राजेंद्र ने टेंट के सामान के साथ सीमेंट और सरिया बिक्री का काम शुरू किया था। जबकि, घर के अंदर करीब आठ ऐसे गोपनीय स्थान बनाए गए थे, जिसमें आसानी से शराब की पेटियों को छुपाकर रखा जा सकता था। घर के अंदर पहले ही कमरे में दीवार पर एक छोटा से होल किया गया था। इस होल के रास्ते नींव भरने के स्थान को खाली छोड़ दिया गया था। यहां पर करीब सौ से सवा सौ शराब की बाेतलों को एकत्र किया जा सकता है, वहीं कोई इस होल को देख न सके इसके लिए वहां लोहे की अलमारी खड़ी की गई थी। तीन तहखानों के साथ ही छत पर वाली सीढ़ियों के नीचे भी शराब छिपाने की जगह बनाई थी। इन सभी स्थानों को ऐसे बनाया गया था, कि किसी की नजर भी न जाए।
शराब की दुकान में कैंटीन चलाकर बन गया तस्कर : राजेंद्र कुमार सैनी शराब तस्करी पांच साल से कर रहा था। शराब की तस्करी करने पहले वह गांव के बाहर शराब की दुकान में कैंटीन चलाता था। करीब तीन साल तक इन शराब की दुकान में कैंटीन चलाने के बाद उसे शराब के धंधे के बारे में अच्छी जानकारी हो गई थी। इसके बाद उसने अवैध शराब का काम शुरू कर दिया था। इस दौरान उसके खिलाफ दो मुकदमे दर्ज भी किए गए थे। गांव के लोगों ने बताया कि सात-आठ साल पहले तक राजेंद्र अपने खेत में सब्जी उगाने और उन्हें ठेला लगाकर बेचा करता था। शराब की दुकान में कैंटीन चलाने का ठेका उसे आबकारी विभाग की ओर से मिला। शराब की कैंटीन में भी वह लोगों को सस्ते रेट में अवैध शराब पिलाया करता था। इसकी भनक शराब ठेकेदार को लगी, तो उसने कैंटीन का ठेका समाप्त करा दिया था। इसके बाद उसने घर से ही अवैध शराब बेचने का काम शुरू कर दिया था।
सब्जी का ठेला लगाकर नौकर करता था शराब की सप्लाई : जिस ठेले पर राजेंद्र गांव में घूम-घूम कर सब्जी बेचा करता था, उस ठेले को उसने अपने नौकर रमेश को सौंप दिया था। नौकर भी शातिर निकला। ठेले के नीचे सब्जी की बोरियों में अवैध शराब की बोतल भरकर रखता था। दिनभर गांव में घूमने के साथ ही ठाकुरद्वारा हाईवे पर स्थित जटपुरा चौराहे पर सब्जी ठेले से अवैध शराब की सप्लाई करता। पुलिस अफसरों ने बताया कि स्थानीय स्तर पर अवैध शराब बेचने के साथ ही उत्तराखंड के बार्डर के क्षेत्रों में भी राजपुर केसरिया गांव से अवैध शराब भेजी जाती थी।