मुरादाबाद का बढ़ रहा प्रदूषण, कोरोना के खिलाफ जंग में आएगी बाधा, पिछले एक सप्ताह के प्रदूषण के आंकड़ों पर एक नजर
Moradabad increasing pollution 234 रहा शनिवार को हवा का गुणवत्ता सूचकांक। सर्दी में प्रदूषण रोकने को प्रशासन ने बढ़ाई सख्ती। शहर में बढ़ता प्रदूषण कोरोना के खिलाफ जंग में बन सकताा है रुकावट। अब बरतनी होगी विशेष सावधानी।
मुरादाबाद, जेएनएन। धान की कटाई के बाद किसान अक्सर खेतों में ही पराली जलाए जाने से प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। सर्दी के मौसम शुरू होने जा रहा है। इस मौसम में प्रदूषण के कणों के हवा में ऊपर नहीं जाने के कारण आम तौर पर परेशानी बढ़ जाती है। ऐसे में पराली जलाने से फैलने वाले प्रदूषण से लोगों की जान को और अधिक खतरा बना हुआ है। अभी तक वातावरण में प्रदूषण का स्तर कम होने के कारण लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता ठीक रही है।
पिछले सालों की तुलना में इस बार ओपीडी भी कम हुई है। मुरादाबाद की हवा में प्रदूषण घुलना शुरू हो गया है। शनिवार को मुरादाबाद की हवा का गुणवत्ता सूचकांक 234 रहा। इससे प्रदूषण ओरेंज जोन में पहुंच गया है। अब प्रदूषण का स्तर बढ़ा तो कोरोना से जंग में हालात खराब करने वाला साबित हो सकता है। पिछले साल सेटेलाइट के जरिए मूूंढापांडे और ठाकुरद्वारा के 18 किसान को चिह्नित करके प्रशासन ने उन पर जुर्माना लगाया था। साथ ही उन्हें हिदायत दी कि आगे से वह पराली खेत में नहीं जलाएंगे। इस साल शासन ने कहा कि जिन किसानों के पास पराली फालतू है, उनकी जब्त करके गोशालाओं में पहुंचा दी जाए। ताकि उसमें रहने वाले पशुओं के लिए पराली चारे के तौर पर इस्तेमाल हो सके। जिला कृषि अधिकारी ऋतुषा तिवारी ने बताया कि शासन ने पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम के लिए जिले में एक सेल का गठन होना है। पराली जलाने से मिट्टी, जलवायु एवं मानव स्वास्थ्य को बड़ा खतरा है। इसलिए ऐसा करने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई भी होगी। फिजीशियन डॉ. नितिन बत्रा का कहना है कि हवा में प्रदूषण बढ़ने से फेफड़ों पर अधिक जोर पड़ता है। जबकि कोरोना संक्रमण होने पर वायरस गला और फेफड़ों को सर्वाधिक नुकसान पहुंचाता है। ऐसे में जरूरी है कि प्रदूषण का स्तर नीचे रहना चाहिए।
पिछल एक सप्ताह के प्रदूषण स्तर
तीन अक्टूबर 234
दो अक्टूबर 219
एक अक्टूबर 176
30 सितंबर 164
29 सितंबर 151
28 सितंबर 137
27 सितंबर 120
26 सितंबर 244