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सरकारी डॉक्टर मरीजों को लिखते रहे बाहर की ब्रांडेड दवाएं, 14 लाख रुपये की दवाएं हो गईं एक्सपायर

Moradabad Health Department Negligence लाखों रुपये की दवा स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की भेंट दवाएं चढ़ गईं। हृदय उल्टी-दस्त एंटी बायोटिक एंटी सेप्टिक लोशन समेत तमाम दवाएं एक्सपायर हो गईं। 29 प्रकार की दवा मंडलीय औषधि भंडार में 13 लाख 99 हजार 691 एक्सपायर हो गई।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Sun, 22 May 2022 06:59 AM (IST)Updated: Sun, 22 May 2022 06:59 AM (IST)
सरकारी डॉक्टर मरीजों को लिखते रहे बाहर की ब्रांडेड दवाएं, 14 लाख रुपये की दवाएं हो गईं एक्सपायर
Moradabad News : दवाएं 2019-20 से मंडलीय औषधि भंडार में रखी हैं।

मुरादाबाद, (मेहंदी अशरफी)। Moradabad Health Department Negligence : लाखों रुपये की दवा स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की भेंट दवाएं चढ़ गईं। हृदय, उल्टी-दस्त, एंटी बायोटिक, एंटी सेप्टिक लोशन समेत तमाम दवाएं एक्सपायर हो गईं। 29 प्रकार की दवा मंडलीय औषधि भंडार में 13 लाख 99 हजार 691 एक्सपायर हो गई। इन दवाओं की कीमत 16 लाख 89 हजार 266 रुपये 97 पैसे पोर्टल पर दर्ज हैं। यह दवाएं 2019-20 से मंडलीय औषधि भंडार में रखी हैं। उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लायर्स कारपोरेशन की ओर से सभी दवाएं भेजी गई थीं।

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मंडलीय औषधि भंडार से इन दवाओं को प्राथमिक-सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भेजा ही नहीं गया। सवाल यह है कि लचर सिस्टम को यह नहीं पता कि दवाएं गरीबों को बांट दी जातीं तो उन्हें उपचार मिल सकता था। 2021 नवंबर और मार्च 2022 तक की एक्सपायर हो गईं। न तो इसकी फिक्र जिला मुख्यालय स्तर पर हुई और न ही इसकी सुध भंडारण प्रभारी ने की। पब्लिक की गाड़ी कमाई का पैसा ऐसे ही बर्बाद कर दिया गया। इसका जिम्मेदार कौन है। जिसने समय रहते दवाओं का वितरण नहीं किया। कोरोना काल में लाखों रुपये की दवा बेकार कर दी गईं।

ये दवाएं हुईं एक्सपायरः मंडलीय औषधि भंडार में एम्पीसिलिन सोडियम आइपी 500 एमजी, आर्टेसूनेट आइपी 60 एमजी, ड्राइ पाउडर, बीटामिथासन 0.5 एमजी टेबलेट, सेफोटेक्सिम सोडियम आइपी-250, सीफ्लेक्सिन ड्राइ सीरप 125 एमजी, सीफ्लेक्सिन ड्राइ सीरप 125 एमजी, सीफ्लेक्सिन ड्राइ सीरप 125 एमजी, डेक्सामीथासन सोडियम फासफेट आइपी 4एमजी, डोबूटामिन हाइड्रोक्लोराइड यूएसपी 50 एमजी, डोमपेरीडोन 10 एमजी टेबलेट, फ्रसमाइट आइपी 10 एमजी 2 एमएल, हाइड्रोकोर्सटिन 5 एमजी, आयरन सोर्स, कांटेनिंग, 20 एमजी 2.5 एमएल इंजेक्शन, मिसोप्रोस्टाेल 200 एमसीजी टेबलेट, ओमिप्राजोल 20 एमसी कैप्सूल, फेनिरामाइन मेलेट इंजेक्शन 22.75 एमजी 2 एमएल, सल्बुटामोल रेस्प्यूल 5 एमजी 15 एमएल बोतल, प्रोवाइड आयोडीन सोल्यूशन आदि दवाएं शामिल हैं।

क्या कहते हैं अधिकारीः मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एमसी गर्ग ने बताया कि औषधि भंडार में उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लायर्स कारपोरेशन की ओर से सभी दवाएं भेजी गईं थीं। एक्सपायर दवाओं के लिए कारपोरेशन ने निजी संस्था को टेंडर दिया है। हमारे यहां से तीन सदस्यीय टीम दवाओं को चेक करेगी। इसके बाद सभी एक्सपायर दवाएं कारपोरेशन तक ले जाने की जिम्मेदारी भी उन्हीं की है।

रिपोर्ट मिलने के बाद होता है दवा का वितरणः उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लायर्स कारपोरेशन की ओर से जनपदों के लिए दवा कंपनियों को आर्डर दे दिया जाता है। आर्डर के बाद दवा कंपनी संबंधित जनपद को दवा सीधे भेज देती हैं। इसके बाद पूरी दवा को अलग रखने की व्यवस्था है। इसके बाद बैच नंबर के हिसाब से नमूने लेकर लखनऊ जांच के लिए भेजे जाते हैं। वहां से रिपोर्ट मिलने के बाद दवा का वितरण किया जाता है।

एक साल तो जांच में ही लग गयाः कारपोरेशन के आर्डर पर मिली दवा में दो माह का समय लगा। इसके बाद जांच के लिए जो दवा के नमूने भेजे गए थे। उसमें भी चार से पांच माह का समय लग गया। इसके बाद दवा बंटने में भी पूरी तरह लापरवाही बरती गई। जिसकी वजह से दवा रखे-रखे एक्सपायर हो गई।

चीफ मेडिकल आफिसर जिम्मेदारः जिला स्तर पर पूरी जिम्मेदारी चीफ मेडिकल आफिसर यानी मुख्य चिकित्सा अधिकारी की होती है। कारपोरेशन के औषधि भंडार का प्रभारी फार्मासिस्ट डीएस नेगी को बना दिया गया। इसके बाद सीएमओ ने भी कोई सुध नहीं ली कि दवा का क्या हाल है।

औषधि विभाग ने लिए नमूनेः औषधि विभाग के निरीक्षक मुकेश जैन ने शनिवार को कारपोरेशन के औषधि भंडार से दवाओं के नमूने लिए हैं। यह नमूने उन्होंने डिप्टी सीएम एवं स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक के दवा को लेकर निर्देश के बाद सभी अलर्ट मोड पर आ गए हैं। एहतियातन तौर पर औषधि निरीक्षक ने भी नमूने लेकर जांच के लिए भेज दिए हैं। जिससे कोई बात बने बिगड़े तो जवाब दिया जा सके।


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