लॉकडाउन में मनरेगा से मिला प्रवासी मजदूरों को सहारा,कई मजदूर लगा रहे सब्जी और फल का ठेला Moradabad News
कुंदरकी ब्लाक की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत महमूदपुर माफी। लॉकडाउन के कारण बाहर से आए मजदूरों के सामने रोजी और रोटी का गंभीर संकट पैदा हो गया है।
मुरादाबाद,जेएनएन। कुंदरकी विकास खंड की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत महमूदपुर माफी में सवा दौ सौ प्रवासी मजदूरों को मनरेगा से सहारा मिला है। करीब तीन सौ मजदूर अब भी रोजगार के लिए लॉकडाउन खुलने का इंतजार देख रहे हैैं। सौ से ज्यादा मजदूर ऐसे भी हैैं, जिन्होंने फल और सब्जी के ठेले लगाकर अपने परिवार को पालना शुरू किया है।
सम्भल रोड पर जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर महमूदपुर माफी गांव के करीब दो हजार लोग दिल्ली, केरल, हरियाणा, पंजाब और मुंबई में काम करने जाते हैैं। इनमें सैलून पर काम करने वालों की संख्या ही 500 से अधिक है। बाकी मजदूरों में लकड़ी का काम करने वाले, कपड़ों की फेरी लगाने और राजमिस्त्री करने वाले आदि हैैं। कुछ लोगों ने दिल्ली में ही अपने घर बना लिए हैैं। लॉकडाउन में करीब सवा छह सौ प्रवासी मजदूर दूसरे प्रदेशों से घर लौटे हैैं। यहां आने के बाद इन मजदूरों के घरों में खाने-पीने के सामान के अलावा रोजमर्रा के खर्च की भी दिक्कत थी। ग्राम पंचायत का दावा है कि सवा दो सौ प्रवासी मजदूरों को मनरेगा में काम दिया गया है। इससे उनके घरों का चूल्हा चल रहा है। ग्राम प्रधान के पति हाजी शकील उर्फ बाबू अंसारी और रोजगार सेवक राकेश कुमार ने बताया कि प्रवासी मजदूरों की हर परेशानी का ख्याल रखा जा रहा है। जिन लोगों को मनरेगा में काम नहीं मिला है। वे फल और सब्जी के ठेले लगा रहे हैैं। कुछ मजदूरों ने कपड़े की फेरी आदि का काम शुरू कर दिया है। मजदूर इतने डरे हैं कि फिलहाल वापसी का किसी ने फैसला नहीं किया है।
दिल्ली में कपड़े की सिलाई का काम करते थे। कारखाना बंद हो गया। वहां घर के हालात खराब थे, इसलिए घर लौट आए। मनरेगा में काम मिलने से घर का खर्च तो चलने ही लगा।
राजीव कुमार
केरल में सैलून का काम सही चल रहा था। सैलून बंद होने पर परेशान हो गए। लॉकडाउन के पहले हफ्ते में घर आ गया था। परिवार के पेट पालने के लिए कोई रोजगार नहीं था। मजबूरी है मनरेगा में काम कर रहा हूं।
मुहम्मद फरमान
दिल्ली में मजदूरी मजदूरी करते थे। लॉकडाउन में परिवार के साथ घर लौटना पड़ा। बमुश्किल घर आए। यहां मनरेगा में काम मिलने पर बच्चों का खर्चा चला तो कुछ परेशानी कम हुई है।
आशीष कुमार
कोरोना से पूरी दुनिया मुसीबत में है। हालत ठीक होने पर ही वापसी के बारे में सोचेंगे। फिलहाल मनरेगा में काम करके परिवार पाल रहे हैैं। यहीं कुछ और काम करने का इरादा बना रहा हूं।
सुनील कुमार