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मुरादाबाद में एमबीए और एमकॉम पास करेंगे नालों की सफाई, जानिए क्या है वजह Moradabad News

मृतक आश्रित कोटे में दोनों युवाओं को मिली नौकरी। दोनों के पिता नगर निगम में थे स्थायी सफाई कर्मचारी।

By Narendra KumarEdited By: Published: Sun, 22 Sep 2019 01:08 AM (IST)Updated: Sun, 22 Sep 2019 12:10 PM (IST)
मुरादाबाद में एमबीए और एमकॉम पास करेंगे नालों की सफाई, जानिए क्या है वजह Moradabad News
मुरादाबाद में एमबीए और एमकॉम पास करेंगे नालों की सफाई, जानिए क्या है वजह Moradabad News

मुरादाबाद (तेज प्रकाश सैनी)। एमबीए और एमकॉम पास युवा अब शहर के नाले और नालियों की सफाई करेंगे। दरअसल दोनों उन सात मृतक आश्रितों में शामिल हैं, जिन्होंने बेरोजगारी की बजाय सफाई कर्मचारी के पद पर नौकरी करना ही बेहतर समझा।

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ये है मामला

उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले दो युवाओं समेत सात लोगों को नगर निगम ने मृतक आश्रित कोटे में सफाई कर्मचारी पद पर नियुक्ति दी है। इन कर्मचारियों में शामिल एक युवा एमबीए तो दूसरा एम कॉम पास है। दोनों ने बड़े संस्थान में प्रबंधन और अहम जिम्मेदारी निभाने का सपना संजोया था लेकिन, बेरोजगारी को देखते हुए हालात से समझौता करना ही विकल्प था। 

 एमबीए पास रोहित बोले, बेरोजगारी से भली नौकरी

 इंद्रा चौक निवासी स्व. सतीश की  नगर निगम में सफाई कर्मचारी पद पर तैनाती थी। कई माह पहले उनकी मृत्यु हो गई। सतीश के पुत्र रोहित पांच से सात साल तक नौकरी तलाशते रहे लेकिन कुछ नहीं मिला। इसके बाद उसने पिता की जगह नौकरी के लिए प्रपत्र नगर निगम में जमा किए। सत्यापन में एमबीए पास मिला। नगर आयुक्त संजय चौहान ने नियुक्ति पत्र देने से पहले पूछा कि उच्च शिक्षा प्राप्त हो, सफाई कर सकते हो। रोहित का जवाब था बेरोजगारी से सफाई कर्मचारी की नौकरी अच्छी है।  2014 में एमबीए करने के बाद किसी भी कंपनी में नौकरी नहीं मिली। 

 झाड़ू थामने का विकल्प बुरा नहीं

 दूसरा मामला नागफनी निवासी स्वर्गीय रामौतार के पुत्र गोविंद का है। गोविंद एमकॉम पास हैं। कई वर्ष तक नौकरी की आस में समय बीता। उन्होंने भी पिता के स्थान पर सफाई कर्मचारी बनना मंजूर कर लिया। नगर आयुक्त का उससे भी वही सवाल था, तो गोविंद का कहना था नौकरी नहीं मिली तो झाड़ू ही थामने में क्या बुराई है। काम तो काम होता है। यहां बता दें कि चार साल पहले भी सफाई कर्मचारियों के साक्षात्कार में 50 से ज्यादा ऐसे आवेदक थे, जो एमएससी, बीटेक, एमबीए, बीएसए कर चुके थे। 

 सात मृतक आश्रितों को नियुक्ति पत्र दिए गए हैं। इनमें दो उच्च शिक्षा प्राप्त हैं। दोनों के पिता जिस पद पर थे, उसी पद पर नियुक्ति दी गई है।

संजय चौहान, नगर आयुक्त।  


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