ट्रेन हादसे में जान गंवाने वाले कई लोगों को है अपनों की तलाश, जानिए क्या है पूरा मामला Moradabad News
हादसों में पिछले दो वर्षों में 114 रेलयात्री हो चुके है दिव्यांग। आरटीआइ के तहत मिली सूचना में सौ लोगों की मौत नहीं हुई शिनाख्त।
मुरादाबाद(प्रदीप चौरसिया)। ट्रेन से सफर करने के दौरान हादसे में मौत होने वाले कई लोगों की शिनाख्त नहीं हो पाती। रेल प्रशासन ने ऐसे गुमनाम यात्री की तलाश के बजाय फाइल में कैद कर रखा है। फाइलों में कैद सौ गुमनाम यात्री बाहर निकलकर परिवार तक पहुंचने को छटपटा रहे हैं।
दैनिक जागरण ने सूचना का अधिकार के तहत जनवरी 2017 से मार्च 2019 तक ट्रेन से गिरकर मरने व घायल होने वालों यात्रियों से संबंध में सूचना मंडल रेल प्रशासन से मांगी थी।
आरपीएफ के सहायक सुरक्षा अधिकारी अभय प्रताप सिंह ने अधिकांश की सूचना दी लेकिन, कुछ की जानकारी नहीं दी है। सूचना में इस दौरान विभिन्न ट्रेनों से 321 यात्री गिरे। जिसमें 207 यात्रियों की मौत हो गई। इसमें 107 यात्रियों की पहचान हो पाई है। सौ यात्रियों की पहचान नहीं हो पायी है। इन हादसों में 114 यात्री गिर कर दिव्यांग हो गए हैं।
पंजाब से लौटने वाले श्रमिक सबसे ज्यादा हादसे का शिकार
ट्रेन से गिरने वाले 90 फीसद यात्री पंजाब में मजदूरी कर पूर्वी उत्तर प्रदेश व बिहार लौटने वाले होते हैं। दिल्ली से दस फीसद यात्री पूर्वी उत्तर प्रदेश व बिहार की ओर जाने वाले होते हैं। ट्रेन से गिरने वाले ज्यादातर यात्रियों के साथ कोई नहीं होता है, इसलिए गिरने के बाद पहचान नहीं हो पाती है। जबकि अज्ञात यात्री की पहचान करने की जिम्मेदारी रेलवे पुलिस जीआरपी व आरपीएफ की होती है। ऐसे यात्रियों के कपड़े आदि पुलिस संभाल कर रखती है।
कारण बताए पर नहीं दी हादसे रोकने के उपाय की सूचना
सूचना का अधिकार के तहत ट्रेन से गिरने का कारण यात्रियों द्वारा कोच के दरवाजे, पायदान पर लटक कर यात्रा करना व चलती गाड़ी में चढऩा उतरना बताया है। जबकि इसे रोकने के लिए रेलवे पुुलिस व टीटीई को विशेष अधिकार है, उसके द्वारा क्या कार्रवाई की गई इसकी जानकारी नहीं दी गई है।
मुआवजा देने की सूचना नहीं दी
सूचना का अधिकार के तहत पहचान किए गए कितने यात्रियों को मुआवजा दिया गया है। कितनों ने मुआवजे के लिए आवेदन किया है। इस पर रेल प्रशासन ने कोई सूचना नहीं दी है। जवाब में लिखा है कि यह सूचना वाणिज्य विभाग से संबंधित है।