घर से शुरू हुआ पार्लर बन गया मेकअप एकेडमी
मुरादाबाद मुरादाबाद में मेकअप की दुनिया के जाने पहचाने नाम एंजेल सैलून की कहानी बड़ी दिल
मुरादाबाद :मुरादाबाद में मेकअप की दुनिया के जाने पहचाने नाम एंजेल सैलून की कहानी बड़ी दिलचस्प है। घर में शुरू हुआ एक छोटा सा ब्यूटी पार्लर देखते ही देखते कब सौंदर्य की दुनिया का भरोसेमंद नाम बन गया, लोगों को पता ही नहीं चला। आज, मुरादाबाद में तीन ब्रांच के अलावा बिजनौर व बरेली में इस सैलून की ब्रांच दूल्हा या दुल्हन के लिए भरोसे का एक मात्र नाम है। इसके अलावा एंजेल एकेडमी से भी करीब दो दर्जन लड़कियां निकलकर अपना-अपना पार्लर खोलकर इस भरोसे को आगे बढ़ा रही हैं।
एंजेल सैलून की स्वामिनी ममता माहेश्वरी बताती हैं कि उन्होंने बड़ी बहन ऊषा माहेश्वरी और उनके पति हरि किशन माहेश्वरी की प्रेरणा से ब्यूटी पार्लर का कोर्स कर 1986 में हरपाल नगर में छोटा सा ब्यूटी पार्लर खोला और दिल्ली, मुंबई, कनाडा व यूरोप के कई देशों से ब्यूटी कोर्स की ट्रेनिग लेती रही। इसके बाद आठ अक्टूबर को 1999 में उन्होंने इस ब्यूटी पार्लर को अपने रामगंगा विहार स्थित घर पर शिफ्ट किया और यहीं से उनकी सफलता की कहानी शुरू हो गई। पति सुनील कुमार गुप्ता से मिले साथ की बदौलत उन्होंने रामगंगा विहार में ही 2015 में ही एंजेल सैलून को शुरू किया। कस्टमर सैटिस्फैक्शन और असली प्रोडक्ट के प्रयोग के भरोसे की बदौलत हर दिन नए ग्राहक उनसे जुड़ते गए, जिसके बाद उन्होंने दिल्ली रोड और गांधी नगर में भी एंजेल शोरूम की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने पांच नवंबर 2018 व सात जुलाई 2019 को बिजनौर व बरेली में भी इसकी शाखाएं खोलीं। पूरे परिवार की बदौलत चढ़ी सफलता की सीढ़ी
ममता माहेश्वरी की इस सफलता के पीछे उनके पूरे परिवार का साथ रहा है। वह बताती हैं कि शुरुआत में बड़ी बेटी नेहा ने ब्यूटी पार्लर में उनका साथ दिया और इसके बाद छोटी बेटी सोनम, दामाद प्रवीण सिंह व बेहा हर्ष माहेश्वरी व बहू मीनाक्षी भी इसी पेशे से जुड़ गए और एंजेल सैलून एक ब्रांड बन गया। अब उनका अगला ध्येय रामपुर, चन्दौसी और रुद्रपुर में सैलून की शाखाएं स्थापित करने का है।
लाकडाउन में टूटने नहीं दिया एंजेल परिवार
एंजेल सैलून के सभी कर्मचारी एक परिवार के सदस्य हैं। ममता बताती हैं कि जब उन्होंने घर में काम शुरू किया था, तो तीन से चार लोग साथ काम करते थे। आज, 40 से ज्यादा कर्मचारी सैलून पर काम कर रहे हैं। वह बताती हैं कि लाकडाउन में तीन महीने की बंदी के बावजूद उन्होंने किसी भी कर्मचारी को कोई कमी नहीं होने दी, जिसकी बदौलत सभी साथ जुड़े रहे।