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Maha Yojana 2031 : क्रिएटिव सर्किल कंपनी के कार्यालय में फंसी मुरादाबाद के विकास की योजना, लग सकते हैं छह और महीने

विकास का खाका क्रिएटिव सर्किल कंपनी के दफ्तर में फंस गया है। मार्च के अंत तक महायोजना 2031 बनकर तैयार होनी थी। लेकिन अभी इसे तैयार होने में छह महीने का समय और लग सकता है। मार्च में महायोजना 2021 खत्म हो रही है।

By Narendra KumarEdited By: Published: Sun, 07 Mar 2021 01:40 PM (IST)Updated: Sun, 07 Mar 2021 01:40 PM (IST)
Maha Yojana 2031 : क्रिएटिव सर्किल कंपनी के कार्यालय में फंसी मुरादाबाद के विकास की योजना, लग सकते हैं छह और महीने
अभी तक उसका प्राइमरी खाका भी खाका ही तैयार नहीं हो पाया है।

मुरादाबाद, जेएनएन। महानगर के नियोजित विकास का खाका क्रिएटिव सर्किल कंपनी के दफ्तर में फंस गया है। मार्च के अंत तक महायोजना 2031 बनकर तैयार होनी थी। लेकिन, अभी इसे तैयार होने में छह महीने का समय और लग सकता है। कोरोना काल की वजह से भी काम में देरी हुई है। लेकिन, ऐसे में शहर का नियोजित विकास किस तरह होगा। एमडीए सचिव ने महायोजना में लेटलतीफी करने पर नाराजगी जताते हुए कंपनी को पत्र लिखा है।

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मुरादाबाद विकास प्राधिकरण ने महायोजना 2031 बनाने की जिम्मेदारी क्रिएटिव सर्किल नाम की कंपनी को दी है। मार्च में महायोजना 2021 खत्म हो रही है। इसके बाद नई महायोजना को लागू होना था। लेकिन, अभी तक उसका प्राइमरी खाका भी खाका ही तैयार नहीं हो पाया है। कंपनी सेटेलाइट से मिली महानगर की तस्वीरों को शीट्स पर उतार कर अपने डाटा से मिलान कर रही है। महायोजना पर काम करने वाली कंपनी के एक अधिकारी ने एमडीए सचिव से मुलाकात की। इस दौरान उनका दावा था कि सेटेलाइट से मिली तस्वीरों की 250 शीट्स पर काम हो रहा है जबकि महायोजना 800 शीट्स पर तैयार होगी। इस तरह अभी तक कंपनी ने आधा काम भी नहीं किया है। सचिव ने इस पर नाराजगी जताई। इतना ही नहीं उन्होंने महायोजना बनाने का काम करने वाली कंपनी के अधिकारियों को पत्र लिखा है। एमडीए सचिव स‌र्वेश कुमार गुप्ता ने बताया कि महायोजना अब तक तैयार हो जानी चाहिए थी। इसे लेकर हीलाहवाली की जा रही है। कंपनी को पत्र लिखकर आगाह कर दिया गया है। महायोजना बनाने में देरी करने का कोई ठोस कारण नहीं बताने पर शासन को रिपोर्ट भेज दी जाएगी।

इस तरह बनती है महायोजना

कंपनी सेटेलाइट के जरिए प्राधिकरण क्षेत्र की तस्वीरें शीट्स पर ले लेती है। शीट्स की तस्वीरों में दिखाई देने वाले भवनों, व्यवसायिक क्षेत्रों को चिह्नित करने के बाद कंपनी अपने कर्मचारियों के सर्वे से उनका मिलान कराती है। इसके बाद तय होता है कि किस क्षेत्र का क‍िस के लिए वर्गीकृत होना है। ग्रीन बेल्ट क्षेेत्रों में होने वाले निर्माणों को भी चिह्नित किये जाने का काम होता है। महायोजना में सबका उल्लेख होता है।

मार्च के बाद प्रभावित होगा नियोजित विकास

मार्च के अंत में महायोजना 2021 खत्म हो रही है। ऐसे में नई महायोजना नहीं आई तो भवनों के नक्शे किस तरह से पास हो गए। यह बड़ा सवाल है। ऐसे में बिना नक्शे के भवनों का निर्माण होता रहेगा। अवैध तरीके से कॉलोनियां बसती रहेंगी। 


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