रेलवे का दामन दागदार कर रहा लोकोशेड पुल moradabad news
पुल की डिजाइन को लेकर रेल प्रबंधन सिविल प्रशासन और इंजीनियर विभाग में सहमति नहीं बन पाई। जिससे पुल का निर्माण देरी से शुरू हुआ।
मुरादाबाद : वर्ष 2015 में प्रस्ताव और दो साल बाद भी मौके पर कार्य की शुरुआत। इसके बाद भी पुल की डिजाइन को लेकर रेल प्रबंधन, सिविल प्रशासन और इंजीनियर विभाग में सहमति नहीं बन पाई। जिससे पुल का निर्माण देरी से शुरू हुआ।
अब सियासी दबाव के आगे रेल प्रबंधन ने दिसंबर तक पुल तैयार करने का ऐलान किया है। लेकिन मौके के हालात इस बात की गवाही दे रहे हैं कि पुल का 40 फीसदी काम अभी तक नहीं हुआ है। अफसरों के गलत दावों के चलते एक बार फिर रेलवे मुंह की खाने को तैयार है। मार्च 2018 में तत्कालीन जीएम आरके कुलश्रेष्ठ ने पुल चालू कराने का ऐलान किया था। दो साल के कार्यकाल में डीआरएम एके सिंघल, सांसद, जनसामान्य और अन्य संगठनों को वित्तीय वर्ष 2019 के आखिरी दिनों तक पुल बना लेने का दावा करते रहे।
पांच खंभों वाले इस पुल के दो स्पैन की छत तक नहीं बन पाई है। रेलवे लाइन के ऊपर 47.5 मीटर गार्डर पर पुल बनना है। जबकि कंटेनर डिपो और दिल्ली रोड साइड के 21.6 मीटर पुल की छत अभी बाकी है। रेलवे लाइन के ऊपर पुल की छत बनाने और इस कार्य के लिए रेलवे मुख्यालय से ब्लाक जारी कराने की फाइल अभी अफसरों के मेज पर रुकी पड़ी है।
उधर, रेलवे लाइन के दोनों ओर रेलवे हिस्से के पुल को सेतु निगम के निर्माण जोडऩे को लेकर एजेंसी ने कोई एक्शन प्लान तक नहीं बनाया है।
लाखों की उम्मीद पर फिरा पानी: सड़क जाम और दिल्ली जाने वालों को सुकून देने वाला यह पुल लाइनपार क्षेत्र के पांच लाख को लोगों को सुगम यातायात देने वाले का साधन है। यहां हर दिन एम्बुलेंस में कराहते मरीज और जाम से बेसुध होते नौनिहाल हर दिन जिम्मेदारों को कोसते हंै। पर, सुनने वाला कोई नहीं। सच तो यह कि रेलवे के अफसरों से मिलकर पुल की मांग करने वाले मीडिया में बयान जारी करने के बाद गुम हो जाते हैं।
फैक्ट फाइल: लाकोशेड पुल
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प्रस्ताव वर्ष 2015
एजेंसी- रेलवे और सेतु निगम
लागत- 40 करोड़ रुपए
निर्माण अवधि- दो साल
कुल लंबाई- साढ़े छह सौ मीटर
रेलवे हिस्से का पुल- 115 मीटर
वित्तीय प्रबंधन- राज्य सरकार
दो स्लैब तैयार हो गए हैं। पांच खंभे का पुल है। गार्डर निर्माण नब्बे प्रतिशत पूरा हो गया है। जनवरी तक पुल चालू हो जाएगा। दिसंबर तक काम पूरा करने में जुटे हैं। फंड देर से मिलने की वजह से काम ही दो साल रुका रहा। दो स्लैब का निर्माण बाकी है।
अतुल गुप्ता, डिप्टी चीफ मैनेजर रेलवे
बोले सांसद, हमें तो लिखित दिया है
उमरा को सऊदी गए सांसद डा.सैय्यद तुफैल हसन इस मसले पर कहते हैं कि यह पुल अब तक रेलवे और तमाम पैरोकारों को छका चुका है। तभी जीएम की बैठक में हमने इस प्रकरण को उठाया था। मुझे तो दिसंबर तक काम पूरा करने और पुल चालू करने का लिखित आश्वासन दिया है। अब देखते हैं रेलवे के इस दावे में कितना दम है।