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जानिए कैसे महिला पुलिसकर्मियों के दुख-दर्द का इलाज बनी सहेली Amroha news

अब महिला पुलिसकर्मियों के हर दुख-दर्द का इलाज बन चुकी हैं सहेली।

By Narendra KumarEdited By: Published: Tue, 07 Jan 2020 02:30 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jan 2020 02:30 PM (IST)
जानिए कैसे महिला पुलिसकर्मियों के दुख-दर्द का इलाज बनी सहेली Amroha news
जानिए कैसे महिला पुलिसकर्मियों के दुख-दर्द का इलाज बनी सहेली Amroha news

अनिल अवस्थी (अमरोहा) : अब महिला पुलिसकर्मियों के हर दुख-दर्द का इलाज बन चुकी हैं सहेली। अब उन्हें पुरुष अफसरों के सामने अपनी समस्या बताने में झिझकना नहीं पड़ रहा। साथ ही उनकी समस्या भी आसानी से अफसरों तक पहुंच रही है। इन समस्याओं का तत्काल निस्तारण भी कराया जा रहा है। पुलिस विभाग में लागू की गई यह व्यवस्था काफी सराही जा रही है।

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बनाई गईं हैं महिला पुलिस कर्मियों की टीमें 

पुलिस विभाग की नौकरी चुनौतियों से भरी है। इसमें महिलाओं के लिए दुश्वारियां और भी अधिक हैं। इसके बावजूद यहां नौकरी करने में महिलाएं पीछे नहीं हैं। हालांकि नई भर्ती के बाद थानों में तैनात की गईं कई युवतियां विभाग में घुलमिल नहीं पा रही हैं। वह अपनी दुनियां में ही खोई हैं। इसके चलते कुछ के अवसाद ग्रस्त होने की आशंका भी बनी हुई है। इससे निपटने को पुलिस अधीक्षक डॉ. विपिन ताडा ने नई व्यवस्था लागू कर दी है। उन्होंने जिले भर में 15-15 महिला पुलिसकर्मियों की कुल 15 टीमें गठित कर दी हैं। 

इंस्पेक्टर व सब इंस्पेक्टर को सौंपी गई टीम की कमान 

प्रत्येक टीम की कमान महिला पुलिस निरीक्षक या उप निरीक्षक को सौंपी है। इन्हें आपस में वाट््सएप ग्रुप से भी जोड़ा गया है। टीम लीडर प्रत्येक सप्ताह अपनी टीम के सदस्यों के साथ बैठक कर उनके सुख-दुख व समस्या पूछती हैं। साथ ही समस्या निवारण को हर संभव मदद मुहैया कराती हैं। निजी व पारिवारिक समस्याओं पर भी सलाह मशविरा की जाती है। वहीं अंत्याक्षरी प्रतियोगिता, पिकनिक के साथ फिल्म भी दिखाई जाती है। जिस टीम की जिस दिन मीङ्क्षटग होती है उस दिन महिला पुलिसकर्मियों को ड्यूटी से मुक्त रखा जाता है। इससे महिला पुलिसकर्मी आपस में घुलने मिलने के साथ ही बिना झिझक अपनी समस्या बता रही हैं। वहीं विभागीय कामकाज में उनका मन भी लगने लगा है।

अधिकांश महिला पुलिसकर्मी चाहती हैं कार्यालय ड्यूटी 

 एसपी डॉ. विपिन ताडा बताते हैं कि सहेली टीम गठित किए हुए डेढ़ माह बीत चुका है। प्रत्येक 15 दिन में टीम लीडर अपने ग्रुप की बैठक करती हैं। प्रत्येक महीने सभी टीमों से सीओ धनौरा मोनिका यादव भी रूबरू होती हैं। इसके बाद रिपोर्ट तैयार कर मेरे पास भेजी जाती है। इसमें सामने आने वाली विभागीय समस्याओं का तत्काल निस्तारण कराया जाता है। बताया कि अब तक जो रिपोर्ट मिली है उसके मुताबिक अधिकांश महिला पुलिसकर्मी कार्यालय ड्यूटी करने की इच्छुक हैं। इनमें जिन्हें कंप्यूटर की जानकारी थी, उन्हें कंप्यूटर ड्यूटी दी जा चुकी है। कहा कि इस पहल का बेहतर प्रभाव देखने को मिल रहा है। जल्द ही पूरी कार्ययोजना उच्चाधिकारियों को भी भेजी जाएगी।


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