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दादी की रसोई से भरता है हर जरूरतमंद का पेट, पांच रुपये में म‍िलता है भरपेट खाना

निस्वार्थ भाव से सेवा में लगे हैं बिलासपुर के मन्नू शर्मा। पूरे लॉकडाउन में गरीब परिवारों को घर बैठे उपलब्ध करवाया भोजन। मन्नू बताते हैं कि प्रतिदिन डेढ़ हजार से दो हजार रुपये का खर्च आता है जबकि आय केवल पांच से छह सौ रुपये तक ही हो पाती है।

By Narendra KumarEdited By: Published: Mon, 12 Oct 2020 01:29 PM (IST)Updated: Mon, 12 Oct 2020 01:29 PM (IST)
दादी की रसोई से भरता है हर जरूरतमंद का पेट, पांच रुपये में म‍िलता है भरपेट खाना
रामपुर में दादी की रसोई में निस्वार्थ भाव से जरूरतमंदों को भोजन उपलब्‍ध कराते बिलासपुर के मन्नू शर्मा। जागरण

रामपुर (क्रान्ति शेखर सारंग)। कोरोना काल में कई लोगों ने बढ़चढ़कर गरीबों की सेवा की है। लेकिन, बिलासपुर के मन्नू शर्मा ने गरीबों की भूख मिटाने में अहम रोल अदा किया है। इस वर्ष जनवरी में उन्होंने दादी की रसोई नाम से भोजनालय खोला। यहां पर प्रतिदिन तमाम दिव्यांग और लाचार ऐसे लोग भोजन के लिए आते हैं जो दाने-दाने को मोहताज हैं। इनके अलावा आम आदमी को मात्र पांच रुपये में वह कभी राजमा चावल तो कभी दाल चावल उपलब्ध करवाते हैं।

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बताते हैं कि कुछ पैसे जमा किये थे तीर्थोंं पर जाने के लिए। एक रात अचानक विचार आया कि ये पैसे घूमने में कुछ दिनों में ही खत्म हो जाएंगे, क्यों न पुण्य का कुछ कार्य किया जाए, जिससे भगवान वास्तविक रूप में खुश हूं। तब ही अचानक इस रसोई का विचार उनके मन मे आया।

माता-पिता और अन्य लोगों के सहयोग से चल रही यह रसोई

कहते हैं कि जब आप सेवा भाव की दिशा में कदम बढ़ाते हैं तो रास्ते अपने आप बनते चले जाते हैं। ऐसा ही उनके साथ भी हुआ। जब इसे शुरू करने की बात उन्होंने परिवार एवं दोस्तों को बताई तो सबका यही कहना था कि दिवालिया हो जाओगे। पर मन्नू को लगन लगी थी कि करना है तो करना है। इस उत्साह को देख कर सबसे पहले चंडीगढ़ में रह रही उनकी स्टाफ नर्स बहन ने उनका हौसला बढ़ाया। तब से अब तक वह उन्हें दो हजार रुपये प्रतिमाह भेजती हैं। उनके अलावा माता-पिता भी सहयोग करते हैं। इसके साथ ही नगर के चिकित्सक केवी सिंह भी उनके इस पुण्यकार्य में प्रतिमाह कुछ न कुछ सहयोग करते रहते हैं। मन्नू बताते हैं कि प्रतिदिन डेढ़ हजार से दो हजार रुपये का खर्च आता है, जबकि आय केवल पांच से छह सौ रुपये तक ही हो पाती है।

लॉकडाउन में गरीबों को घर बैठे निश्शुल्क पहुंचाया भोजन

लॉकडाउन के समय में उनके इस भाव को देखते हुए प्रशासन ने भी उन्हें इसे खोलने की अनुमति दे दी थी। उस दौरान उन्होंने बाहर से आने वाले श्रमिकों की तो निश्शुल्क सेवा की ही। साथ ही नगर के उन परिवारों को जिनके पास भोजन की व्यवस्था के लिए भी पैसे नहीं थे, उन्हें बना बनाया भोजन सुबह-शाम उपलब्ध करवाया। इसका रिकॉर्ड प्रतिदिन प्रशासन उनसे लेता था।


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