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फैक्ट्री से गैस रिसाव से सांस लेना हो गया था मुश्किल, एनजीटी ने जांच के लिए गठित की टीम

अमरोहा के गजरौला में फैक्ट्री से गैस रिसाव की घटना को एनजीटी ने गंभीरता से लिया है। रिसाव किस वजह से हुआ इसकी जांच के लिए टीम गठित कर दी गई है।

By Narendra KumarEdited By: Published: Fri, 19 Jun 2020 08:02 AM (IST)Updated: Fri, 19 Jun 2020 08:02 AM (IST)
फैक्ट्री से गैस रिसाव से सांस लेना हो गया था मुश्किल, एनजीटी ने जांच के लिए गठित की टीम
फैक्ट्री से गैस रिसाव से सांस लेना हो गया था मुश्किल, एनजीटी ने जांच के लिए गठित की टीम

अमरोहा, जेएनएन। गजरौला के तेवा एपीआइ फैक्ट्री की प्रदूषित गैस का मामला एनजीटी के समक्ष पहुंच गया है। एक अधिवक्ता के माध्यम से दायर इस वाद की ऑनलाइन सुनवाई करते हुए एनजीटी ने जांच केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम का गठन किया है। इससे यह मामला एक बार फिर ताजा हो गया है। 

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यह वाद खादगूजर रोड निवासी व्यापारी जितेंद्र सिंह ने सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता मानसी चाहल के माध्यम से दायर किया। वाद में चांदपुर रोड स्थित तेवा एपीआइ फैक्ट्री की  गैस का जिक्र करते हुए केद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड , राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सचिव, यूपी सरकार की ओर से जिला अधिकारी और तेवा एपीआइ को आरोपित पार्टी बनाया है। वाद में कहा गया है कि सात जून व दस जून को फैक्टरी से प्रदूषित गैस रिसाव के कारण लोगों को खासी परेशानी हुई। जितेंद्र को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत से जूझना पड़ा। चूंकि प्रदूषित गैस के कारण वातावरण में धुंध छा गई थी। सांस लेने में दिक्कत होने के साथ आंखों में जलन भी महसूस हो रही थी। इस मामले की एनजीटी के न्यायाधीश ने ऑनलाइन सुनवाई की। अधिवक्ता मानसी चाहल के तर्क सुनने के बाद एजजीटी ने जांच के लिए टीम गठित करने आदेश पारित किए। अधिवक्ता ने बताया कि  चेयरमैन न्यायमृर्ति  आर्दश कुमार गोयल की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय कोर्ट ने सुनवाई कर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को संयुक्त रूप से टीम बनाकर जांच कर रिपोर्ट देने के लिए दो माह का समय दिया है। अधिवक्ता ने वाद में अपने तर्क के साथ समाचार पत्रों की कटिंग के साथ काफी साक्ष्य भी प्रस्तुत किए हैं। 

यह है मामला 

गजरौला : सात जून को प्रदूषित गैस महसूस होने पर लोगों को सांस लेने में परेशानी हुई थी। इसके बाद चीफ फायर आफिसर के वर्मा फैक्ट्री जांच को पहुंचे थे। उन्हें रिसाव के संकेत मिलने पर उन्होंने रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी थी। प्रशासन ने पहले प्रदूषण नियंत्रण विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय से जांच कराई कराई। उसकी जांच के बाद एसडीएम शशांक चौधरी के नेतृत्व में पांच विभाग के अधिकारियों की टीम ने पहुंचकर जांच की थी। उस दौरान गड़बड़ी सामने आने पर रिपोर्ट राज्य प्रदेश नियंत्रण बोर्ड को भेजी गई थी। वहां से कंपनी को नोटिस भी जारी हुआ है। अब यह मामला जितेंद्र के द्वारा इससे होने वाली परेशानी को लेकर एनजीटी के समक्ष भी पहुंचा दिया है। 


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