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यहां पर बचना होता है मुश्किल, दो साल में जा चुकीं 45 श्रद्धालुओं की जान

पिछले दो साल में गंगा नदी में डूबने से करीब 45 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है। इसके बाद भी स्थानीय प्रशासन नहीं चेत रहा है।

By Narendra KumarEdited By: Published: Fri, 17 May 2019 12:19 AM (IST)Updated: Fri, 17 May 2019 01:20 PM (IST)
यहां पर बचना होता है मुश्किल, दो साल में जा चुकीं 45 श्रद्धालुओं की जान
यहां पर बचना होता है मुश्किल, दो साल में जा चुकीं 45 श्रद्धालुओं की जान

मुरादाबाद, (मोहित सिंह)। सम्भल जिले से गुजर रही नदियों में अगर कोई डूबता है तो उसे बचाना मुश्किल हो जाएगा। वजह जिले में एक भी एक्सपर्ट गोताखोर नहीं हैं। हादसे होने पर स्थानीय मल्लाह या फिर गोताखोरों की मदद से आपरेशन रेस्क्यू चलाया जाता है। मामला बड़ा हुआ तो पीएसी,मुरादाबाद से एक्सपर्ट गोताखोर बुलाए जाते हैं लेकिन आने तक बहुत देर हो चुकी होती है। यही वजह है गंगा नदी में लगातार हादसों का ग्राफ बढ़ रहा है। पिछले दो साल में गंगा नदी में डूबने से करीब 45 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है। इसके बाद भी स्थानीय प्रशासन नहीं चेत रहा है।

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यहां से गुजरती हैं यह नदियां

सम्भल जिले से पवित पावनी गंगा, महावा, सोत और वरदमान नदी होकर गुजरती हैं। सबसे प्रमुख गंगा नदी को छोड़कर अन्य नदियां तो केवल बारिश के मौसम में ही उफान पर आती हैं। गंगा नदी प्रमुख रूप से बबराला क्षेत्र से होकर गुजरती है जिस कारण यहां पर राजघाट बना हुआ है। विशेष मौके पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पर स्नान करने आते हैं जिस कारण नदी में होने वाले हादसों का ग्राफ भी बढ़ रहा है।

नहीं हैं सुरक्षा के प्रमुख इंतजाम

गंगा नदी में स्नान करने के लिए एक ही घाट है जिसे राजघाट कहते हैं। आए दिन होने वाले हादसों के बाद भी यहां पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। सोमवार को तीन लोगों के डूबने के बाद सुरक्षा का मुद्दा फिर जोर-शोर से उठा। स्थानीय लोगों के अनुसार सुरक्षा के नाम पर प्रशासन ने केवल नदी के बीच में बल्लियां गाड़कर बैरीकेङ्क्षटग बना दी है। जंजीर की भी व्यवस्था नहीं हैं। इसके अलावा यहां पर किसी एक्सपर्ट गोताखोर की तैनाती नहीं हैं। जरूरत पडऩे पर मुरादाबाद से गोताखोर बुलाए जाते हैं। तब तक स्थानीय गोताखोरों की मदद से आपरेशन रेस्क्यू चलाया जाता है। नदी में सुरक्षा के लिए जंजीर भी नहीं लगी है। यही वजह है कि दो साल में नदी में डूबने से 45 से अधिक श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है।

हरिद्वार की तर्ज पर सुरक्षा के इंतजाम करने की हुई थी कवायद

ऐसा नहीं हैं कि शासन ने सुरक्षा के उपाय नहीं किए। वर्ष 2018 में नमामि गंगे योजना के तहत राजघाट में हरिद्वार की तर्ज पर सुरक्षा के इंतजाम करने की कवायद की गई थी। प्राइवेट कंपनी को ठेका भी दे दिया गया था। कंपनी ने जेसीबी की जरिए गड्ढे भी खोद दिए थे। यह कवायद चल ही रही थी कि होली से एक दिन पहले बबराला के होनहार आईएएस की नदी में डूबकर मौत हो गई। इस हादसे के सुरक्षा के इंतजाम करने की कवायद तेज होने की बजाए और सुस्त हो गई।

गहरे पानी में जाकर अपनी जान गंवा बैठते हैं

गंगा तट पर घाट की सीढिय़ां ऊंचाई पर हैं और पानी दूर है। जिस कारण लोग नहाने के लिए नदी में उतर जाते हैं। संकेतक न होने के कारण वह गहरे पानी में जाकर अपनी जान गंवा बैठते हैं।

मोहन लाल

अनहोनी की घटनाएं बढ़ रही हैं

नमामि गंगे योजना के तहत घाट को हरिद्वार की तर्ज पर बनाने की कवायद शुरू हुई थी लेकिन कंपनी के कर्मचारी केवल गड्ढे करके चले गए। जिस कारण हादसे बढ़ रहे हैं। इससे भी अनहोनी की घटनाएं बढ़ रही हैं।

मान सिंह

जनप्रतिनिधि भी ध्यान नहीं दे रहे

पुल के नीचे करीब चालीस फीट की गहराई है। वहां पर कोई संकेतक भी नहीं लगा है। जिस कारण सबसे ज्यादा हादसे पुल के नीचे ही होते हैं। इसके बाद भी शासन और प्रशासन ने सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए हैं। जनप्रतिनिधि भी ध्यान नहीं दे रहे।

बंटी

अगर जंजीर लग जाए तो

नदी जहां पर गहरी है, वहां पर संकेतक लगाने चाहिए, लेकिन प्रशासन ने ऐसा नहीं किया। कहीं पर भी जंजीर व लोहे की जाली नहीं लगी है। अगर जंजीर लग जाए तो कम से कम डूबने वाला खुद को बचाने का प्रयास कर सकता है।

मूलचंद्र

श्रद्धालु भी स्नान करते वक्त एहतियात बरते

सुरक्षा के इंतजाम किए जा रहे हैं। जल्द ही यहां पर अतिरिक्त फोर्स भी तैनात की जाएगी। सुंदरीकरण कराने वाली कंपनी के खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है। एक्सपर्ट गोताखोंरों की कमी है, जिसे जल्द दूर कर दिया जाएगा। थोड़ा श्रद्धालु भी स्नान करते वक्त एहतियात बरते।

ओमवीर सिंह, एसडीएम गुन्नौर

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