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मी-टू : टूट रहीं सामाजिक बंदिशें, सोशल मीडिया बन रहा सबसे अच्छा माध्यम

सहायक पुलिस अधीक्षक अपर्णा गुप्ता ने दैनिक जागरण के अकादमिक बैठक में किया संबोधित।

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 Oct 2018 11:05 AM (IST)Updated: Tue, 30 Oct 2018 11:05 AM (IST)
मी-टू : टूट रहीं सामाजिक बंदिशें, सोशल मीडिया बन रहा सबसे अच्छा माध्यम
मी-टू : टूट रहीं सामाजिक बंदिशें, सोशल मीडिया बन रहा सबसे अच्छा माध्यम

मुरादाबाद : सोशल साइट्स पर अपने दिल की बात कहने की पहल से साबित हो गया है कि महिलाएं मजबूत हुई है। दैनिक जागरण कार्यालय में मी-टू विषय पर अकादमिक बैठक में मुख्य वक्ता के तौर पर आइ आइपीएस अर्पणा गुप्ता ने अपनी बात रखी। कहा कि भारत में बदलाव देखने को मिल रहा है। महिलाएं अपने साथ हो रहे अत्याचार को सोशल मीडिया पर कह रही है। समाज में बदलाव तो हुआ है। अभी और भी बदलाव की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मी-टू को असरदार बनाने के लिए पुरुष वर्ग को भी महिलाओं का हौसला बढ़ाना होगा। कार्यस्थल पर महिला के साथ कोई गलत व्यवहार करता है तो उसके साथ परिवार और उसके दोस्तों को भी आगे आना चाहिए। इससे नजरिया बदलेगा। तनुश्री दत्ता और नाना पाटेकर का दिया उदाहरण उन्होंने मी-टू को लेकर तनुश्री दत्ता द्वारा नाना पाटेकर पर लगाए आरोप का उदाहरण देते हुए कह कि पहले लोग अपनी बात सामाजिक बंदिशों की वजह से नहीं कह पाते थे, लेकिन अब उनके पास सोशल मीडिया सबसे बढि़या माध्यम है। इसके लिए परिवार में ये बताना होगा कि बेटा-बेटी बराबर हैं। जिस तरह बेटी से सवाल किए जाते हैं, उसी तरह बेटे से भी सवाल पूछे जाएं। बराबरी इससे ही साबित होगी। बेटियों के साथ कोई गलत करता है तो परिवार की महिलाएं और पुरुषों के साथ पुरुष साथी भी उसके साथ खड़े हो जाएं। इसके बाद ही गलत करने वालों का हौसला पस्त होगा। विषय प्रवर्तन करते हुए संपादकीय प्रभारी संजय मिश्र ने कहा कि मी-टू के माध्यम से महिलाओं ने अपनी बात कही है। उनका स्वागत है। बराबरी का दर्जा तभी मिलेगा जब उन्हें अपनी बात कहने का पूरा अवसर मिलेगा। खुशी की बात ये है कि महिलाएं अब अपनी बात कह रहीं है। सोशल मीडिया सबसे बढि़या माध्यम है। यूनिट प्रबंधक अनिल अग्रवाल ने आभार जताया। संचालन डॉ. मनोज रस्तोगी ने किया। गांव में भी हों सुविधाएं आइपीएस अर्पणा गुप्ता ने कहा कि शहर और गांव के परिवेश में फर्क है। गांव से आने वाले लोगों को जब शहर में जींस-टॉप पहने लड़कियां मिलती है तो उन्हें अलग लगता है। गांव में भी वही सब बदलाव होगा तो सुधार होगा। गांव में व्यवस्थाएं और सुविधाएं होनी चाहिए। ये पूछे गए सवाल अकादमिक मीटिंग में संपादकीय टीम के सदस्यों ने आइपीएस अर्पणा गुप्ता से गांव-शहर का अंतर कैसे दूर होगा। पुलिस महकमें द्वारा मी-टू के प्रभावी बनाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं आदि सवाल पूछे। उन्होंने विस्तार से उन सवालों का जवाब दिया।

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