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Amroha News: काल के गाल से बचे बारहसिंगा को 'हजम' कर गया वन दारोगा, डीएफओ ने बैठाई जांच

जिला वन अधिकारी ने बारहसिंगा के गायब होने के मामले में वन दारोगा के खिलाफ जांच के आदेश दे दिए हैं। वन दारोगा ने घायल मिले बारहसिंगा का ना तो इलाज कराया था और न ही डीएफओ को सूचना दी थी

By Vivek BajpaiEdited By: Published: Sat, 21 May 2022 02:25 PM (IST)Updated: Sat, 21 May 2022 02:25 PM (IST)
Amroha News: काल के गाल से बचे बारहसिंगा को 'हजम' कर गया वन दारोगा, डीएफओ ने बैठाई जांच
घायल बारहसिंगा को चौकीदार ने वन दारोगा के सुपुर्द किया था

अमरोहा, (अनिल अवस्थी)l काल के पंजों से बचा एक बारहसिंगा घायल अवस्था में रात में वासुदेव तीर्थस्थल पहुंच गया। यहां चौकीदार ने अन्य लोगों के सहयोग से उसे रात में ही वन विभाग के दारोगा बिलाल के हवाले कर दिया। वन दारोगा ने न तो इसकी जानकारी डीएफओ को दी और न ही उसका ब्योरा सरकारी रिकार्ड में दर्ज किया। इलाज भी नहीं कराया। सुबह तक बारहसिंगा रहस्यमय तरीके से लापता हो गया। जानकारी मिलने पर डीएफओ ने जांच पड़ताल शुरू कर दी है।

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16 मई की रात लगभग 11 बजे वासुदेव तीर्थस्थल पर घायल अवस्था में एक बारहसिंगा पहुंच गया। उसकी गर्दन से खून बह रहा था। जिससे जाहिर था कि जंगली कुत्तों या भेड़ियों ने उस पर हमला किया था। जिनसे बचकर वह यहां तक पहुंच गया था। यहां मौजूद चौकीदार अमर सिंह ने सहयोगी राज के साथ मिलकर बारहसिंगा को पकड़ लिया। इसके बाद इसकी सूचना वन विभाग को दी। मौके पर पहुंचे वन दारोगा बिलाल ने यह कहकर बारहसिंगा को अपने कब्जे में ले लिया कि उनके पास इसे रखने व इलाज कराने के पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं।

चौकीदार ने पकड़े गए बारहसिंगा का वीडियो भी बना लिया था। सुबह उसने इसकी जानकारी तीर्थस्थल ट्रस्ट के अध्यक्ष शिवस्वरूप टंडन को दी। इस पर उन्होंने वन विभाग से बारहसिंगा के बारे में जानकारी कराई। मगर वहां से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। डीएफओ देवमणि मिश्रा ने बताया कि उन्हें भी बारहसिंगा के मिलने की कोई जानकारी नहीं है। इसके बाद डीएफओ ने वन दारोगा से पूछताछ की तो उसने बताया कि रात में ही बारहसिंगा काे जटी वन में छोड़ दिया था।

सवाल उठता है कि वन दारोगा ने सरकारी रिकार्ड में इसका उल्लेख किए बिना और अधिकारियों को बगैर जानकारी दिए उसे कैसे छोड़ दिया। जबकि घायल अवस्था में मिले बारहसिंगा को बगैर इलाज के नहीं छोड़ा जा सकता है। इसके चलते वन दारोगा संदेह के दायरे में आ गया है।

चार-पांच लाख में बिकते हैं सींग: संरक्षित वन्य प्रजातियों में शामिल बारहसिंगा के सींग बहुत कीमती माने जाते हैं। यही वजह है कि कई बार तस्करों को इनके सींग के साथ पकड़ा जा चुका है। बताते हैं कि बारहसिंगा के सींग चार से पांच लाख रुपये में बिकते हैं। इसीलिए मंदिर में मिले बारासिंहा की भी सौदेबाजी की आशंका जताई जा रही है।

डीएफओ देवमणि मिश्र ने कहा कि वन दारोगा बिलाल ने बताया है कि बारहसिंगा को रात में ही जटी वन में छोड़ दिया था। नियमत: उसे इसकी जानकारी मुझे देने के साथ ही इसका उल्लेख सरकारी रिकार्ड में भी करना चाहिए था। अगर वह घायल था तो पहले उसका इलाज कराया जाना चाहिए था। पूरे प्रकरण की जांच की जा रही है, जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। 

वासुदेव तीर्थस्थल ट्रस्ट के अध्यक्ष शिवस्वरूप टंडन ने कहा कि मंदिर के चौकीदार अमर सिंह व सहयोगी राज ने रात में घायल मिले बारहसिंगा को वन दारोगा बिलाल के हवाले कर दिया था। इसके बाद रहस्यमय तरीके से बारासिंहा गायब हो गया। वन विभाग के अधिकारी भी जवाब नहीं दे पा रहे हैं। आशंका है कि रुपयों के लालच में उसका शिकार कर दिया गया। प्रकरण की जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।


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