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सर्राफ हत्याकांड के आरोपित इंस्पेक्टर फिर बर्खास्त

शहर के बहुचर्चित सर्राफ सतेंद्र रस्तोगी हत्याकांड के मुख्य आरोपित तत्कालीन थाना प्रभारी को डीआइजी ने बर्खास्त कर दिया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 19 Sep 2021 09:30 PM (IST)Updated: Sun, 19 Sep 2021 09:30 PM (IST)
सर्राफ हत्याकांड के आरोपित इंस्पेक्टर फिर बर्खास्त
सर्राफ हत्याकांड के आरोपित इंस्पेक्टर फिर बर्खास्त

जागरण संवाददाता, मुरादाबाद : शहर के बहुचर्चित सर्राफ सतेंद्र रस्तोगी हत्याकांड के मुख्य आरोपित मूंढापांडे थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष को डीआइजी ने दोबारा बर्खास्त कर दिया। इस मामले में हाईकोर्ट ने आरोपित इंस्पेक्टर के पक्ष को दोबारा सुनने के निर्देश दिए थे। हाईकोर्ट के आदेश के बाद पुलिस विभाग ने उन्हें बहाल करने के साथ ही पक्ष रखने के लिए एक माह का समय दिया था लेकिन, वह तय समय पर जवाब देने नहीं पहुंचे। इसके बाद डीआइजी शलभ माथुर ने आरोपित इंस्पेक्टर को दोबारा बर्खास्त कर दिया।

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26 जनवरी 2014 को कानूनगोयान मुहल्ला निवासी सर्राफ सत्येंद्र रस्तोगी को एक मामले में पूछताछ के लिए मूंढापांडे थाने बुलाया गया था। आरोप है कि पूछताछ के दौरान ही पुलिस ने सर्राफ की पिटाई की थी। गंभीर चोट लगने से उनकी मौत हो गई। इस प्रकरण में शामिल पुलिस कर्मी सराफा कारोबारी के शव को जीप में रखकर ले गए और रामपुर जिले के पटवाई थाना क्षेत्र में फेंक दिया था। इस मामले में मूंढापांडे थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष सैय्यद मंसूर आबिद, सिपाही राहुल यादव, मुनेंद्र, अमरपाल व अमित को नामजद किया गया था। पुलिस ने दो फरवरी 2014 को सिपाही अमरपाल व अमित को गिरफ्तार कर लिया था। बाकी तीनों को कोर्ट ने भगोड़ा घोषित कर संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई की थी। 29 दिसंबर 2014 को मझोला थाना पुलिस ने फरार सिपाही राहुल को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था। जबकि, चौथे हत्यारोपित सिपाही मुनेंद्र और इंस्पेक्टर पर 15 हजार का इनाम घोषित किया गया था। इनाम घोषित होने के कुछ दिनों बाद दोनों आरोपितों ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया था, इसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया था। इस मामले में बर्खास्त इंस्पेक्टर सैय्यद मंसूर आबिद हाईकोर्ट चले गए थे। बीते दिनों हाईकोर्ट ने पुलिस विभाग के अधिकारियों को आरोपित इंस्पेक्टर को बहाल करके उनका पक्ष सुनने के निर्देश दिए थे। डीआइजी शलभ माथुर ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर आरोपित इंस्पेक्टर को नोटिस जारी करते हुए पक्ष रखने के लिए बुलाया था लेकिन, तय समय के बाद भी कोई जवाब न मिलने पर उन्हें दोबारा बर्खास्त कर दिया गया।


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