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संक्रमित खून चढ़ाकर नर्क बना दी मां-बेटी की जिंदगी, जानिए क्या है मामला Amroha News

जांच में पता चला कि मां-बेटी दोनों हैं एचआइवी से पीडि़त ग्रस्त। प्रसव से पूर्व झोलाछाप ने चढ़ा दिया था खून। अब परिवार पर टूट पड़ा है दुखों का पहाड़।

By Narendra KumarEdited By: Published: Thu, 16 Jan 2020 08:12 AM (IST)Updated: Thu, 16 Jan 2020 06:45 PM (IST)
संक्रमित खून चढ़ाकर नर्क बना दी मां-बेटी की जिंदगी, जानिए क्या है मामला  Amroha News
संक्रमित खून चढ़ाकर नर्क बना दी मां-बेटी की जिंदगी, जानिए क्या है मामला Amroha News

अमरोहा (अनिल अवस्थी)। झोलाछाप के इलाज ने एक मजदूर के परिवार को तबाह कर दिया। चौधरपुर में चार साल पहले मजदूर ने पत्नी के प्रसव के लिए झोलाछाप पर भरोसा किया था। प्रसव से दो दिन पहले झोलाछाप ने महिला को संक्रमित खून चढ़ा दिया। ऑपरेशन के दौरान उसके पेट में रुई भी छोड़ दी। इससे उसे दोबारा ऑपरेशन कराना पड़ा और बमुश्किल जान बची। बाद में पता चला कि उसे एचआइवी हो गया है। बेटी भी इस रोग से ग्रस्त है। तब से ङ्क्षजदगी नर्क बन गई है। शर्म व संकोच छोड़कर अब उसके पति ने सीएमओ से शिकायत की है। 

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यह है पूरा मामला 

डिडौली थानाक्षेत्र में रहने वाले मजदूर की पत्नी को चार साल पहले जब प्रसव पीड़ा हुई तो वह चौधरपुर स्थित एक झोलाछाप के क्लीनिक में भर्ती करा दिया। वहां उसे संक्रमित खून चढ़ा दिया गया। इसके दो दिन बाद झोलाछाप पति-पत्नी ने ही उसका ऑपरेशन कर दिया। बेटी ने जन्म लिया। 22 हजार रुपये लेने के बावजूद अस्पताल से उन्हें एक भी पर्चा नहीं दिया गया। घर पहुंचने पर पत्नी के पेट में दर्द शुरू हो गया। दोबारा झोलाछाप के यहां पहुंचे तो उसने इलाज से मना कर दिया। इसके बाद अमरोहा के एक नर्सिंग होम में दोबारा ऑपरेशन हुआ। तब पता चला कि पेट के अंदर रुई छूट गई थी। दोबारा ऑपरेशन करके रुई निकाली गई। दो साल बाद पत्नी फिर से गर्भवती हुई तो खून की जांच में पता चला कि वह एचआइवी संक्रमित हो गई है। इससे परिजनों के पैरों तले जमीन खिसक गई। आनन फानन में बेटी व पति का खून जांचा गया। बेटी तो एचआइवी ग्रस्त मिली लेकिन, पति नहीं। इसके बाद से यह परिवार खौफ में जी रहा है। सीएचसी में इलाज चल रहा है। शर्म व संकोच के कारण उस समय कहीं शिकायत नहीं की। अब स्थिति बिगडऩे पर पीडि़ता के पति ने मंगलवार को सीएमओ से मिलकर आपबीती सुनाई। इस पर सीएमओ ने प्रकरण की जांच शुरू करा दी है।

सम्भल की सीमा में संचालित है क्लीनिक

सीएमओ डॉ. रमेश चंद्र शर्मा ने बताया कि एक झोलाछाप के खिलाफ संक्रमित खून चढ़ाने की शिकायत मिली है। मां-बेटी एचआइवी संक्रमित हो गई हैं। महिला के पति की रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होगी इसलिए उसे संक्रमण नहीं हुआ। मामले की जांच शुरू करा दी गई है। हालांकि डिडौली थानाक्षेत्र के बार्डर पर जहां झोलाछाप से इलाज कराने की बात बताई है, वह सम्भल की सीमा में आता है। प्राथमिक जांच के बाद अग्रिम कार्रवाई के लिए रिपोर्ट सम्भल भेजी जाएगी।

खून लेने से पहले बरतें सावधानी

लाल खून का काला कारोबार करने वाले लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। अवैध ब्लड बैंकों से साठगांठ करके झोलाछाप को खून उपलब्ध कराया जा रहा है। मरीज को खून चढ़ाने के लिए लोग ये भी नहीं देखते की ये सही है या गलत। बिना जांच किए खून मरीज को चढ़ा दिया जाता है। खून लेने से पहले ये देख लें कि ब्लड बैंक सही है या नहीं। बेहतर तो ये है कि जिला अस्पताल के ब्लड बैंक से खून लें। इसके अलावा इस बात की पुष्टि कर लें कि रक्तदान जिसने किया है उसकी जांच हुई है या नहीं। खून किसी झोलाछाप से न चढ़वाएं। खून चढ़वाने के लिए या तो सरकारी अस्पताल जाएं या फिर निजी प्रतिष्ठित अस्पताल में संपर्क करें। चिकित्सक मरीज और रक्तदान करने वाले के पत्रों को देखने के बाद और जांच के बाद ही खून चढ़ाएंगे। 


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