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Indigenous Oxygen Generator : बेटा हुआ कोरोना संक्रम‍ित तो मुरादाबाद के वरिष्ठ प्रवक्‍ता ने बना डाला स्वदेशी आक्सीजन जनरेटर

TMU Spokesman oxygen generator प्रवक्‍ता ने बताया क‍ि आक्सीजन जनरेटर पानी के इलेक्ट्रोलीसिस के सिद्धांत पर काम करता है। जबकि इम्पोर्टेड आक्सीजन कान्सेंट्रेटर्स पीएसए तकनीक पर कार्य करते हैं। उनके पुर्जे भारत में उपलब्ध नहीं हो पाते हैं।

By Narendra KumarEdited By: Published: Wed, 22 Sep 2021 03:10 PM (IST)Updated: Wed, 22 Sep 2021 03:10 PM (IST)
Indigenous Oxygen Generator : बेटा हुआ कोरोना संक्रम‍ित तो मुरादाबाद के वरिष्ठ प्रवक्‍ता ने बना डाला स्वदेशी आक्सीजन जनरेटर
कोरोना की दूसरी लहर में जब बेटा हुआ कोरोना संक्रमित तब आया आइडिया।

मुरादाबाद, जागरण संवाददाता। TMU Spokesman oxygen generator : टीएमयू में 10 वषों से कार्यरत एनीमेशन के वरिष्ठ प्रवक्ता प्रदीप कुमार गुप्ता ने ऑक्‍सीजन जनरेटर का एक प्रोटोटाइप बनाया है। अप्रैल 2021 में उनके बेटे की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई, उस समय स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं चरमरा रहीं थीं, आक्सीजन की भयंकर किल्लत थी। तभी उनके दिमाग में आक्सीजन घर में ही बनाने का ख्याल आया और तीन दिन के अथक प्रयास से कुछ मात्रा में ऑक्सीजन बनाने में वह कामयाब हो गए।

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लाकडाउन के कारण सामान न मिलने की वजह से सीमित संसाधनों से उन्होंने यह सफलता प्राप्त की। तीन महीने और तकरीबन 50 असफलताओं के बाद उन्‍होंने इस आक्सीजन जनरेटर का कामर्शियल प्रोटोटाइप बना लिया। बाजार में उपलब्ध आक्सीजन कान्सेंट्रेटर जहां 50000 रुपये से शुरू होकर 150000 रुपये तक के आते हैं वहीं इस आक्सीजन जनरेटर की कीमत मात्र 15000 रुपये है। यह पूर्णतया स्वदेशी पुर्जो से बना है और इसकी मेंटेनेंस भी आसान है। यह अस्थमा के रोगियों के लिए भी सहायक है और कोरोना के होम क्वारंटाइन मरीज के लिए तो वरदान के सामान है। प्रदीप कुमार गुपता ने बताया कि आक्सीजन जनरेटर पानी के इलेक्ट्रोलीसिस के सिद्धांत पर काम करता है। जबकि इम्पोर्टेड आक्सीजन कान्सेंट्रेटर्स पीएसए तकनीक पर कार्य करते हैं। उन्हें चीन से मंगाया जाता है और उनके पुर्जे भारत में उपलब्ध नहीं हैं। इनके पुर्जों के लिए भी चीन पर निर्भर होना पड़ता है। फिलहाल यह आक्सीजन जनरेटर तीन लीटर प्रति मिनट की दर 70 प्रतिशत आक्सीजन बनाता है। लेकिन इसकी क्षमता को कई गुना बढ़ाया जा सकता है। इस यंत्र के विकास में उनकी टीम के सदस्यों अनुभव गुप्ता, अर्चना रविंद्र जैन, अंकित कुमार ,अरुण कुमार पिपरसेनिआ , नवनीत कुमार विश्नोई , विनीत सक्सेना, ज्योति रंजन और संदीप सक्सेना का सक्रिय सहयोग रहा। टीम ने इस अविष्कार को पेटेंट के लिए भारत के बैद्धिक संपदा विभाग में प्रक्रिया की गई है। इसका पेटेंट भी प्रकाशित कर दिया गया है।

पोर्टेबल आक्सीजन भी जल्दी ही मिलेगा : प्रदीप कुमार गुप्ता अब इस आक्सीजन के पोर्टेबल एडिशन को विकसित करने में जुट गए हैं। यह पोर्टेबल आक्सीजन मरीज को घर से अस्पताल ले जाने में प्राण रक्षक की भूमिका अदा करेगा। बैटरी से चलने वाला यह आक्सीजन हल्का होगा और एक बार की चार्जिंग में करीब चार घंटे चलने में सक्षम होगा। इसके अतिरिक्त इसे कार के मोबाइल चार्जर पोर्ट के द्वारा भी चलाया जा सकेगा।


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