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Independence Day : सम्‍भल के बुजुर्गों ने सुनाई कहानी, बहुत अत्‍याचारी होते थे अंग्रेज

क्षेत्र के कुछ बुजुर्गों ने अंग्रेजी शासन काल में अपनी आंखों देखा हाल बताते हुए देश की आजादी के लिए के लिए किए गए आंदोलन के बारे में बताया।

By Narendra KumarEdited By: Published: Sat, 15 Aug 2020 07:21 PM (IST)Updated: Sat, 15 Aug 2020 07:21 PM (IST)
Independence Day : सम्‍भल के बुजुर्गों ने सुनाई कहानी, बहुत अत्‍याचारी होते थे अंग्रेज
Independence Day : सम्‍भल के बुजुर्गों ने सुनाई कहानी, बहुत अत्‍याचारी होते थे अंग्रेज

सम्भल। देश पर अंग्रेजों ने अपना कब्जा किया हुआ तब क्रांतिकारियों ने आंदोलन कर देश को उनकी गुलामी से आजादी दिलाई थी। उस समय के युवा आज के बुजुर्ग है, लेकिन उन्हें अंग्रेजों के जुल्म व क्रांतिकारियों का पूरा आंदोलन याद है, जिसके बारे में वह अपने घर परिवार के बच्चों को अंग्रेजों से देश को आजाद कराने की बाते बताते है।

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गांवों में आज भी चौपाल लगती है तो वहां पर गांव के बुजुर्ग बैठ जाते है और हुक्का गुडगुड़ाते हुए अपनी पुरानी बातों को लेकर आपस में बाते करते रहते है। कुछ गांवों में बच्चे इन बुजुर्गों की बातों को बहुत ही ध्यान से सुनते है, जिसमें उनके द्वारा अंग्रेजों से आजादी लेने के लिए किए गए आंदोलन की बात में वह आंखों देखी घटनाओं का हाल बताते है, जिससे बच्चों में भी एक नया उत्साह भर जाता है। 

उस दिन बहुत खुशी का दिन था, उस दिन हम अपने देश का तिरंगा लेकर कलेक्ट्रेट पहुंच गए और वहां उसे वहां पर लहराया। लोगों ने देश के आजाद होने की खुशी में खूब मिठाईयां बांटी थी। वह आजादी के जश्न को नाचते गाते हुए मना रहे थे। वह आजादी की खुशी में इतने मतवाले हो रहे थे कि एक दूसरे के गले लग रहे थे।

हरपाल सिंह , उम्र 90 वर्ष निवासी पुरसानी सम्भल

मैं उस समय कक्षा पांच में पढ़ता था। रात को अंग्रेज देश छोड़कर चले गए तो 15 अगस्त की सुबह को स्कूल, थाने, स्टेशन, डाकखाना समेत अन्य सरकारी इमारतों पर तिरंगे को फहराया था। जबकि इसी दिन शाम को मोमबत्ती व दिए जलाकर लोगों ने आजादी की खुशी को मनाया। इससे चारों तरफ रोशनी रोशनी हो रही थी।

मथुरा सिंह, उम्र 92 वर्ष निवासी निबौरा सम्भल

देश आजाद होने के समय में हम नाबालिग थे, परन्तु समझदारी थी। अंग्रेजों का अत्याचार बहुत था। पुराने दिन यादकर रोना आता है। मां बाप घर से बाहर नहीं निकलने देते थे। उन्हें डर रहता था कि कहीं अंग्रेज जेल ना भेज दे। क्योंकि सभी जगह अंग्रेजों का शासन था। गांव में जब चौकीदार आता था तो पूरा गांव जंगल की तरफ भाग जाता था। बहुत दहशत का माहौल था। अंग्रेजों से मुक्ति मिली परन्तु अब भी व्यवस्थाओं को देखकर अंग्रेजों की याद आ जाती है।

गुलफान सिंह, उम्र 102 वर्ष निवासी निजामपुर रजपुरा

अंग्रेजों के शासन काल की यादें हिला देती हैं और मन विचलित हो जाता है। क्रूर शासक के रूप में अंग्रेजों का देश में शासन रहा था। जब भी कर के लिए हरकारे गांव में आते थे तो रोंगटे खड़े हो जाते थे। आमदनी ज्यादा नहीं थी, ऐसे में कर चुका पाना असम्भल था। फिर भी किसी तरह कर चुकाना ही पड़ता था।

उदयवीर, उम्र 98 निवासी पाठकपुर रजपुरा 


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