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अपनों से मिलने की बेकरारी, कदम नहीं बढऩे दे रही भूख और लाचारी Moradabad News

रोटी और गुड़ लेकर बागपत से पैदल चलकर मुरादाबाद पहुंचे नसीम और मनोज। लॉकडाउन के बाद से मजदूरों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

By Ravi SinghEdited By: Published: Mon, 18 May 2020 09:28 AM (IST)Updated: Mon, 18 May 2020 09:28 AM (IST)
अपनों से मिलने की बेकरारी, कदम नहीं बढऩे दे रही भूख और लाचारी Moradabad News
अपनों से मिलने की बेकरारी, कदम नहीं बढऩे दे रही भूख और लाचारी Moradabad News

मुरादाबाद(मोहन राव)। लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों की दास्तां में बस भूख, बेबसी और लाचारी है। गांव से कमाने गये मजदूरों को जब काम का पैसा नहीं मिला तो उन्हें गांव याद आ रहा है। सड़कों पर निकला मजदूरों का हुजूम इस बात की तस्दीक कर रहा है कि जहां वे काम करते रहे, उनके मालिकों ने मजदूरों के दर्द को नहीं समझा है।बागपत से जीरो प्वाइंट तक पैदल पहुंचे नसीम और मनोज के झोले में रोटी और गुड़ था। मालिक ने कहा कि लॉकडाउन के बाद पैसा मिलेगा, हालत इस कदर खराब हुई कि आठ हजार की जगह दोनों सात हजार महीना ही मांगने लगे, इसके बाद भी इनको फूटी कौड़ी नहीं मिली। बताया कि शनिवार की सुबह ही बागपत से पैदल निकले थे और दोपहर तक मुरादाबाद पहुंचे हैं। यहां से सीतापुर जाना है।

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हरिद्वार से पैदल चलकर तीन दिन में पहुंचे मुरादाबाद

सूर्यांश पब्लिक स्कूल को आश्रय स्थल बनाया गया है, यहां पर हरिद्वार से पैदल चलकर छह लोग तीन दिन में मुरादाबाद तक पहुंचे हैं। किसी को कुशीनगर तो किसी को महराजगंज और किसी को लखनऊ जाना है। मंजेश ने बताया कि उत्तराखंड बार्डर पर मौजूद पुलिस ने बताया कि यूपी के लिए कोई बस नहीं है, पैदल जाना है तो जाओ। इसके बाद सभी लोग 15 मई की रात को हरिद्वार से पैदल चल दिये। सूर्यांश में ठहरे इन मजदूरों का दोपहर ढाई बजे तक मेडिकल चेकअप नहीं किया गया था।

लुधियाना से साइकिल चलाकर पहुंचे मुरादाबाद :

लुधियाना से साइकिल चलाकर तीन लोग मुरादाबाद पहुंचे। साइकिल खरीदने के लिए इनको घर से ही पैसा मंगाना पड़ा। विपिन भाष्कर, वैभव कुमार एवं प्रदीप कुमार जौनपुर के रहने वाले हैं। पहली बार कमाने लुधियाना गये और लॉकडाउन में फंस गए। घर से पैसा मंगाकर हमलोगों ने साइकिल खरीदी, उसके बाद 15 मई की रात को लुधियाना से घर जाने के लिए निकल पड़े, अब जितना समय लगे, घर पहुंचने के बाद ही मन को सकून मिलेगा।

कुछ भी हो घर पहुंचना है

दलपतपुर पुलिस चौकी पर हरिद्वार जाने के लिए बस का इंतजार कर रहे बिरजू ने बताया कि पीलीभीत में रिश्तेदारी में गया था। लॉकडाउन के चलते फंस गया। पत्नी की तबीयत ठीक नहीं है, इसीलिये घर जा रहा हूं। पुलिस ने ट्रक पर बैठाकर यहां तक भिजवाया है।

मिला खाना तो खिल उठे चेहरे

जीरो प्वाइंट पर मजदूरों को खाना खिलाने पहुंचे ट्रांसपोर्टर अरुण कोहली और पम्मी चड्ढा ने जैसे ही इनके हाथों में खाने का पैकेट दिया, चेहरे खिल उठे। बिरजू के साथ ही उसकी पत्नी और बेटी के अलावा बागपत से आने वाले मजदूरों को भी भोजन का पैकेट दिया। बताया कि अपनी गाड़ी में भोजन के पैकेट रखकर घूमते रहते हैं, जहां भी मजदूर या भूख से पीडि़त व्यक्ति दिखाई देता है उसे भोजन का पैकेट देते हैं।  


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