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प्रभु श्याम में ऐसा रमा मन कि बन गईं मीरा जैसी

मुरादाबाद : श्री कृष्ण भक्ति में रमी इंदौर की मूल निवासी सोना जाधव किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Nov 2018 10:09 AM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 10:09 AM (IST)
प्रभु श्याम में ऐसा रमा मन कि बन गईं मीरा जैसी
प्रभु श्याम में ऐसा रमा मन कि बन गईं मीरा जैसी

मुरादाबाद : पूरी तरह श्री कृष्ण भक्ति में रमी मध्य प्रदेश के इंदौर की मूल निवासी सोना जाधव किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। 23 साल से भगवान कृष्ण की भक्ति में रमीं सोना खुद को मीरा जैसी भक्ति के लायक तो नहीं मानती लेकिन भगवान के प्रति समर्पित जरूर हैं। महज 11 वर्ष की उम्र से ठाकुर जी को ही अपने जीवन का हिस्सा मानने वाली सोना ने श्री कृष्ण को ही अपना माना है। वही उनके लिए भगवान भी हैं और पिता भी। उनका परिवार भी श्री कृष्ण में ही रमा है। देश के विभिन्न हिस्सों में अपनी प्रस्तुति दे चुकीं सोना ने अमेरिका, थाइलैंड, लंदन में भी श्री कृष्ण भक्ति से ओतप्रोत भजन संध्या की प्रस्तुति दी है। शुक्रवार की शाम वह सम्भल के एचोड़ा कम्बोह में आयोजित कल्कि महोत्सव में शामिल हुईं। यहा दैनिक जागरण से बातचीत में उन्होंने कहा कि उनकी कर्मस्थली तो इंदौर है लेकिन ठाकुर जी की सेवा पूरे ब्रह्माड में करती हैं। मेरा पूरा परिवार धार्मिक विचारधारा का रहा। हर सप्ताह भगवान श्री हरि की कथा का आयोजन होता था। घर में कुछ दिक्कत हुई तो भगवान से मेरी विरक्ति हो गई। करीब 23 साल पहले की इस घटना के बाद अचानक से भगवान में लीन होने के बाद मुझे शाति भी मिली, फिर भगवान में ही रमी। इसके बाद न शादी की और न ही भगवान को छोड़ा। आज श्याम ही मेरे लिए सब कुछ हैं। बिहार के नवादा जिले में उन्हें इसी भक्ति के कारण मीरा नाम से भी नवाजा गया है। लोगों तक पहुंच चुकी है दो सौ से अधिक सीडी

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सोना दो सौ से अधिक सीडी और कैसेट के जरिए अपने भजन का एलबम आम जनमानस तक पहुंचा चुकी हैं। सूफी, साईं और पंजाबी भजन के जरिए भी सोना ने अपनी अमिट छाप छोड़ी है। चलो चले मन गुरु शरण में, राधे का चोर कन्हैया, कमाल जैसे एलबम छाए हुए हैं। अब तक यूरोप, अमेरिका देशों में तकरीबन 750 भजन संध्या कर चुकी हैं। संत समागम में भजनों से बाधा समा

असमोली के एचोड़ा कम्बोह में कल्कि महोत्सव के तीसरे दिन श्रद्धालुओं ने यज्ञ में आहुतिया देकर सुख समृद्धि और विश्व कल्याण की कामना की। इसके बाद दोपहर में संत समागम का आयोजन किया गया। इसमें साधु संतों ने भजन प्रस्तुत कर समा बाधा दिया। संत राजेश नाथ ने श्री कल्कि शरणागत कल्कि, आखे तरस रहीं. भजन की प्रस्तुति दी। कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम् व आचार्य केशवदेव शर्मा ने गुरु वंदना के साथ महायज्ञ शुरू कराया। इसके बाद भूमि पूजन, देव पूजन आदि के बाद गायत्री महामंत्र, महामृत्युंजय मंत्र, वेद मंत्रों के साथ विश्व कल्याण व सुख समृद्धि के लिए यज्ञ में आहुतिया दी गईं।


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