हिंदू कालेज में झगड़ा प्राचार्य की कुर्सी का
मुरादाबाद हिंदू कालेज में प्राचार्य पद के लिए प्रबंध समिति के फैसले पर सवाल
मुरादाबाद : हिंदू कालेज में प्राचार्य पद के लिए प्रबंध समिति के फैसले पर सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं। प्राचार्य की कुर्सी विवादों के बीच घिर गई है। प्राचार्य पद के लिए वाणिज्य विभाग के डॉ. केसी गुप्ता के चयन के बाद साख्यिकी विभाग के अतुल गुप्ता ने प्रबंध समिति के फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। भीतरखाने में भी डॉ. केसी गुप्ता के नाम पर मुहर लगने से विरोध शुरू हो गया है। अतुल गुप्ता ने प्रबंध समिति के फैसले को नियम विरुद्ध बताया। उन्होंने कहा कि नियम सबको मालूम है, उन्हें जबरदस्ती प्राचार्य बनाया गया है। न्याय के लिए उच्चाधिकारियों के सामने अपनी बात रखूंगा और जरूरी हुआ तो कोर्ट का भी सहारा लेंगे। अब देखना दिलचस्प होगा कि नए प्राचार्य को खिलाई गई मिठाई की मिठास कायम रहेगी या अतुल गुप्ता को मिठाई खाने का मौका मिलेगा। फिलहाल कुर्सी के झगड़े में कल तक साथ साथ रहने वाले अपने पराए हो गए है।
क्या है मामला
उच्च शिक्षा निदेशालय के नियम के मुताबिक अशासकीय कॉलेजों में कार्यवाहक प्राचार्य पद की जिम्मेदारी कॉलेज के वरिष्ठतम शिक्षक को दी जाएगी। वरिष्ठतम शिक्षक के मना करने पर अन्य वरिष्ठतम शिक्षक को प्रबंध समिति यह जिम्मेदारी दे सकती है। हिंदू कॉलेज की वरिष्ठता सूची में अतुल गुप्ता पहले नंबर पर आते हैं। इसी के तहत पूर्व प्राचार्य डॉ. आरके बंसल के छुट्टी पर रहने के दौरान वह कार्यभार संभालते थे। वरिष्ठता के मामले में डॉ. केसी गुप्ता दूसरे नंबर पर है। मामला तब दिलचस्प हो गया जब डॉ. केसी गुप्ता ने भी प्राचार्य पद के लिए अपनी दावेदारी ठोंक दी और तभी से दोनों के दीवार खींच गई। कॉलेज में शिक्षक दो धड़े में बंट गए। कारण डॉ. केसी गुप्ता के साथ पुराना विवाद भी जुड़ा है। हालाकि उनका कहना है कि विश्वविद्यालय ने उन्हें क्लीन चिट दे दी है। शिक्षकों का कहना है कि ऐसी स्थिति पहली बार उत्पन्न हुई है। हर बार वरिष्ठतम शिक्षक को दी जिम्मेदारी दी जाती थी। प्रबंध समिति का फैसला समझ से परे है।
नियमों की दे रहे दुहाई
अतुल गुप्ता कॉलेज में शिक्षकों में वह सबसे वरिष्ठ है। 38 वर्ष शिक्षण कार्य का अनुभव है। जबकि डॉ. केसी गुप्ता का कहना है कि प्राचार्य पद के लिए पीएचडी होना, 15 साल पीजी शिक्षण का अनुभव होना, एपीआइ को पूरा करना और एसोसिएट प्रोफेसर होना अनिवार्य है। वरिष्ठता क्रम पर अतुल गुप्ता के बाद वह दूसरे नंबर पर हैं। उन्होंने बताया कि प्राचार्य पद के लिए उनके पास सभी अर्हताएं हैं। अतुल गुप्ता अपनी बात रखने के लिए स्वतंत्र है।
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