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कोरोना काल में तो चाय की गुमटी की भी बदल गई है सूरत, गुमटियों पर बिक रहे मास्क और दस्ताने

कोरोना संक्रमण की चुनौती के बीच जीवन अपनी राह बनाते चल रहा है दर्द है तो दवा भी कोरोना ही। पहले जहां चाय गुटखा पान की अटाटूट बिक्री होती थी आज नहीं कोई खरीदार।

By Ravi SinghEdited By: Published: Wed, 17 Jun 2020 07:32 AM (IST)Updated: Wed, 17 Jun 2020 01:02 PM (IST)
कोरोना काल में तो चाय की गुमटी की भी बदल गई है सूरत, गुमटियों पर बिक रहे मास्क और दस्ताने
कोरोना काल में तो चाय की गुमटी की भी बदल गई है सूरत, गुमटियों पर बिक रहे मास्क और दस्ताने

मुरादाबाद (रितेश द्विवेदी)। कोरोना संक्रमण की चुनौती के बीच जीवन अपनी राह बनाने में लगा हुआ है। बड़े-बड़े उद्योग-धंधों से लेकर छोटी-मोटी गुमटियों तक, बदलाव का यह दौर हर जगह दिखने लगा है। लोगों ने कारोबार का तरीका बदल दिया है। ढाई माह के लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर मध्यम वर्गीय परिवारों पर देखने को मिला है। कोरोना महामारी का असर नए-नए रूप में सामने आ रहा है। छोटे दुकानदार, रेहड़ी-पटरी, गुमटी वाले अब पुराने काम-धंधे छोड़कर ऐसे काम खोजने में जुट गए हैं, जिससे उनकी प्रतिदिन की बिक्री के साथ ही परिवार का भरण-पोषण हो सके। पहले जहां चाय, गुटखा, पान की अटाटूट बिक्री होती थी, आज इन सामानों का कोई खरीदार नहीं है।

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अनलॉक के क्रम में चाय-पान की गुमटियां भी खुल रही हैं, लेकिन इन गुमटियों में अब चाय-पान-गुटखा कम और मास्क, दस्ताने, सैनिटाइजर जैसे सामान अटाटूट बिक रहे हैं। अच्छी बात यह है कि इसी बहाने लोगों को गुटखा, पान, सिगरेट जैसी चीजें आसानी से मयस्सर नहीं हो पा रही हैं, लिहाजा लत छूट जाए तो बेहतर।

चाय कम बिकती है और मास्क ज्यादा

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद स्थित रामगंगा विहार में दूरसंचार कॉलोनी के सामने रोड के किनारे गुमटी लगाकर चाय बेचने वाले पूरन यादव अब चाय के साथ मास्क, दस्ताने और सैनिटाजर बेचने लगे हैं। चाय कम बिकती है और यह सामान ज्यादा। गुरहट्टी निवासी पूरन ने बताया कि जब से दुकान खुली है। कोरोना का भय सबको सताता है। चाय की बिक्री बहुत कम हो गई है। पहले आसपास के सरकारी और निजी कार्यालयों के कर्मचारी उनसे चाय मंगाते थे, लेकिन संक्रमण के खतरे से अब कार्यालयों के अंदर ही चाय बनाई जा रही है। ऐसे में उनकी दुकानदारी लगभग खत्म हो गई है।

परिवार चलाने के लिए बदला कारोबार का तरीका

यही हाल इलाके में चाय-पान की गुमटी लगाने वाले अन्य लोगों का है। ऐसे में परिवार का पेट पालने के लिए चाय की गुमटी में ही अब मास्क और इस तरह के अन्य उपयोगी सामान की बिक्री शुरू कर दी है। पूरन ने बताया कि अब चाय से ज्यादा मास्क बिक जाते हैं, जिससे उनका घर का खर्च निकल आता है। चाय बनाना नहीं बंद किया है। सरकार हालांकि रेहड़ी-पट्टी दुकानदारों को एक-एक हजार रुपये की आॢथक मदद का दावा कर रही है। अभी हजारों ऐसे लोग होंगे जिन तक यह मदद नहीं पहुंची है। चाय विक्रेता पूरन भी इन्हीं लोगों को सूची में शामिल हैं। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन की घोषणा होने के कुछ दिनों बाद घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया। ऐसे में उन्होंने बेटी की शादी के लिए जमा किए गए 27 हजार रुपये की एफडी को कैश करा लिया था। इससे उन्होंने घर का खर्च चलाने के साथ ही दुकान का सामान और मास्क-दस्ताने खरीदे। अब धीरे-धीरे बेटी की शादी के लिए पैसा बचाकर जमा कर रहे हैं।

बदला-बदला सा है बाजार का नजारा

बहरहाल, बाजार पूरी तरह से बदला नजर आ रहा है। छोटी दुकानों पर हैंड सैनिटाइजर के साथ मास्क तो बिक ही रहे हैं, व्यापारियों ने दूसरे कारोबार की ओर अपना रुख किया है। अनलॉक 1.0 में सब कुछ खुल गया तो अपने हिसाब से कारोबार कर रहे हैं। किसी ने अपनी जमा पूंजी का इस्तेमाल किया है, तो किसी ने डीलर से कमीशन के आधार पर काम शुरू किया है। कूलर की डिमांड बढ़ी है। इसके चलते बाजार में हर पांचवा कारोबारी कूलर बेचने लगा है। कूलर कारोबारियों की संख्या में इजाफा हो गया है, अब कम मुनाफे में कूलर बिक रहे हैं।


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