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कोरोना महामारी में रामपुर में चौपट हो गया करोड़ों का लकड़ी कारोबार

कोरोना काल में न तो किसानों से लकड़ी मिल पा रही है और न ही तैयार माल की डिमांड आ रही है। इस समय लकड़ी कोरोबार 25 फीसदी रह गया है।

By Narendra KumarEdited By: Published: Thu, 30 Jul 2020 01:25 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2020 09:05 AM (IST)
कोरोना महामारी में रामपुर में चौपट हो गया करोड़ों का लकड़ी कारोबार
कोरोना महामारी में रामपुर में चौपट हो गया करोड़ों का लकड़ी कारोबार

रामपुर, मुस्लेमीन। कोरोना काल में लकड़ी कारोबार भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। फैक्ट्रियों में पर्याप्त लकड़ी नहीं पहुंच पा रही है और बाहर से भी डिमांड कम हो गई है। ऐसे में इस कारोबार से जुड़े लोग परेशान हैं। हजारों मजदूर बेरोजगार हो गए हैं।

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लकड़ी कारोबार में रामपुर प्रदेश में नंबर वन है। जिले में 12 प्लाइवुड फैक्ट्रियों के साथ ही 73 विनियर मशीनें हैं और 211 आरा मशीनें हैं। इनके जरिये तैयार माल देश के कौने-कौने में पहुंचता है। यहां लकड़ी बेचने के लिए भी आसपास के जिलों के लोग आते रहे हैं। कई जगह लकड़ी की मंडी लगती हैं। लेकिन, अब लकड़ी बेचने वाले भी नहीं आ पा रहे हैं। रामपुर का सालाना लकड़ा कारोबार तीन हजार करोड़ है, किंतु कोरोना काल में बाहर से लकड़ी की डिमांड घटी है। इस कारण इस कारोबार पर बुरा असर पड़ा है। अब 25 फीसदी कारोबार ही रह गया है। इस काम से जुड़े हजारों लोग आर्थिक रूप से परेशान हैं।

लकड़ी की खेती कर रहे किसान

रामपुर में किसान लकड़ी की खेती भी कर रहे हैं। लकड़ी कारोबारी फैसल लाला बताते हैं कि उनकी भी विनियर मशीन है। तराई क्षेत्र होने की वजह से पहले रामपुर में पहले यहां गन्ना बहुत पैदा होता था। लेकिन, सरकारी चीनी मिलें बंद हो गईं और प्राइवेट मिलें मनमानी करने लगीं। किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान समय से नहीं मिला। इस कारण हजारों किसानों ने अपने खेतों में पापुलर और यूकेलिप्टिस की खेती शुरू कर दी। खेतों में लकड़ी पैदा हुई तो लोगों ने लकड़ी कारोबार शुरू कर दिया। आज रामपुर प्रदेश की नंबर वन लकड़ी मंडी है। यहां रोज कई करोड़ का कारोबार होता रहा है और दस हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता रहा है। 

दूसरे प्रदेशों को सप्लाई

किट प्लाई गणपति प्लाइवुड के डायरेक्टर अश्विनी अग्रवाल बताते हैं कि कोरोना काल में लकड़ी कारोबार पर बुरा असर पड़ा है। लाक डाउन के दौरान तो फैक्ट्री बंद रही। अब भी काम बहुत कम है। उनके यहां 250 लोग काम करते रहे हैं। लेकिन, अब 125 ही काम कर रहे हैं। बाहर की लेबर चली गई है। उनका सालाना करीब 45 करोड़ का कारोबार होता रहा है। किंतु इस साल कम रहेगा। उनकी फैक्ट्री में छह एमएम से 18 एमएम तक के प्लाई बोर्ड आठ गुणा चार फीट साइज में तैयार होते हैं, जो कोलकाता, बेंगलूरु, सूरत, चेन्नई आदि स्थानों पर सप्लाई होते हैं। 


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