क्षेत्र के गांव-गांव में दिखेगा मेरे काम का निशान, इकराम कुरैशी Moradabad news
योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली सरकार के तीन साल पूरे होने वाले हैं।
मुरादाबाद: योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली सरकार के तीन साल पूरे होने वाले हैं। ऐसे में चालू वर्ष के फंड और अगले साल का बजट विधायकों की प्राथमिकता और जनता से वायदे का आइना दिखाएगा। विधायक सत्ता पक्ष के हों या विपक्ष के सभी। सभी अगले चुनावी रण की तैयारी में अभी से जुट गए हैं। कोई अभी से सियासत के रंग समझने में जुटा है तो कोई इस जुगत में है कि वर्ष 2022 में फिर हमें नुमाइंदगी मिल जाए। पर, सियासत तो सियासत है, इसमें किसी बात की गारंटी नहीं होती। माना जाता है कि राजनीति के गलियारे और क्रिकेट के खेल में बहुत कुछ अनिश्चित होता है। अब तक के विकास कार्य और आगामी कार्ययोजना को लेकर मुरादाबाद देहात विधान सभा क्षेत्र के सपा विधायक हाजी इकराम कुरैशी से दैनिक जागरण संवाददाता आशुतोष मिश्र ने विस्तार से बातचीत की। प्रस्तुत हैं उसके खास अंश-
सवाल: अब तक विकास के कौन से काम किए हैं, और आगे किस पर फोकस होगा?
जवाब: मेरी नजर में सड़क से ही विकास के दरवाजे खुलते हैं लेकिन, अफसोस प्रदेश सरकार अपने एलान पर खरा नहीं उतर पाई है। मुख्यमंत्री का गढ्ढामुक्त सड़क का एलान ढकोसला साबित हुआ है। हमने इस साल फंड का 1.90 करोड़ रुपये सड़कों के लिए खर्च किया है। इस स्थान पर हाई-मास्ट लैंप लगवाए हैं। अगले साल का पूरा फंड सड़कों के नाम करूंगा। इस कार्यकाल में हर गांव में अपने काम का शिलापट्ट लगवा दंूगा।
सवाल: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के काम और सरकार को कितने नंबर देते हैं?
जवाब: जीरो। मेरा मानना है कि वह बाबा हैं और उन्हें मठ में रहना चाहिए। यूपी की सरकार चलाना उनके वश की बात नहीं है। उनके राज में भाजपा विधायकों की भी बात नहीं सुनी जाती। उनके एमएलए लोगों के साथ भी जुल्म हो रहा है। तभी तो भाजपा विधायक सदन में धरने पर बैठ गए थे।
सवाल: खुद जनता के हित के कितने कार्य कर पा रहे हैं और सीएम आपकी सुनते हैं कि नहीं?
जवाब: मेरे पास कुल दो करोड़ रुपये की निधि है। क्षेत्र के थिलिया-मुडिय़ा और गंजोवाली गांव के लिए पुल मांगा है। सिरसवा दोराहा और बाबूभूढ़ से भोजपुर की सड़क के लिए पत्र लिखा है। छह माह बीत गए हैं। सीएम से भी मिला था। सरकार की ओर से पत्र भेजा गया, मगर कोई फंड नहीं मिला। ढ़ेला नदी पर पुल के लिए पांच करोड़ रुपये चाहिए। इसके लिए फिर से अपनी बात रखूंगा। देखिए, क्या होता है।
सवाल: स्थानीय प्रशासन में कितनी सुनवाई हो रही है और अफसरों का रवैया कैसा है?
जवाब: विधायिका के सम्मान मेंं कोई कमी नहीं है। जिले के अफसर सूझबूझ वाले हैं। सीएए के मुद्दे पर मुरादाबाद अपने विरोध में पीछे नहीं रहा है। जो कुछ असहजता सामने आयी उसकी वजह कुछ सियासी लोगों की जल्दबाजी थी। मेरी नजर सीएए विरोध के दौरान यहां के हालात अफसरों की तत्परता से नहीं खराब हुए। कुल मिलाकर आला अफसर बेहतर हैं।