Move to Jagran APP

कोरोना की जांच नहीं हुई तो मां-बाप ने रखा दिल पर पत्थर,बेटे को नहीं आने दिया घर के अंदर Moradabad News

बोधगया से लौटे अशोक को नहीं आने दिया घर के अंदर । गांव के बाहर बगीचे में कराई ठहरने और खाने की व्यवस्था ।

By Ravi SinghEdited By: Published: Sun, 17 May 2020 09:20 AM (IST)Updated: Sun, 17 May 2020 09:20 AM (IST)
कोरोना की जांच नहीं हुई तो मां-बाप ने रखा दिल पर पत्थर,बेटे को नहीं आने दिया घर के अंदर Moradabad News
कोरोना की जांच नहीं हुई तो मां-बाप ने रखा दिल पर पत्थर,बेटे को नहीं आने दिया घर के अंदर Moradabad News

मुरादाबाद (मोहन राव)। मूढांपांडे ब्लाक का समदा रामसहाय गांव, ऐसे लोगों के लिए नजीर बन रहा है जो कोरोना जैसी महामारी पर उदासीनता बरत रहे हैं। मां के लिए बच्चे दुनिया में सबसे ज्यादा प्यारे होते हैं, उन्हें सूखे में सुलाने के लिए खुद गीले में सोती है। सोचिए, उस मां के दिल पर क्या बीती होगी जब करीब 900 किमी दूर बोध गया से मुरादाबाद का सफर तय करके आए बेटे को कोरोना की जांच नहीं होने के कारण घर के बाहर रोकना पड़ा हो। मां का दिल तो खूब रोया पर पति और गांव वालों की बात भी रखनी थी। इसलिए गांव के बाहर बगीचे में बनी झोपड़ी में बेटे को ठहरा दिया। दिल नहीं मान रहा तो पूरे परिवार का समय उसके साथ ही बीत रहा है। मां मुन्नी देवी और पिता विशाल का कहना है कि बात पूरे गांव की सेहत की है तो फिर इतना कष्ट तो उठाना होगा।

loksabha election banner

बोध गया में एक फर्म में काम करने वाला अशोक लॉकडाउन में फंसा तो कंपनी वालों ने भी मुंह फेर लिया। घर पहुंचने की आस लिए अशोक जब बोध गया से चला तो उसे रास्ते में पुलिस और लोगों की मदद मिली। किसी ने ट्रक पर बिठाया तो किसी ने नाश्ते-पानी के लिए पैसे भी दिये। अशोक को यह नहीं मालूम था कि घर पहुंचने पर उसे बगीचे में रहना पड़ेगा।

मुश्किल भरे सफर से पहुंचा घर

यूपी बार्डर से बनारस और बनारस से इलाहाबाद पहुंचा। इलाहाबाद से लखनऊ। इस दौरान ट्रक पर भी कई जगह पुलिस ने बिठाया। लखनऊ में पैसा समाप्त हुआ तो पैदल ही घर के लिए निकल पड़ा। पुलिस की नजर पड़ी तो खाना खिलाया। बताने पर पुलिस ने उसे ट्रक में बैठाकर मुरादाबाद भेज दिया।

पुलिस, प्रधान और सचिव को बताने के बावजूद नहीं हुई जांच

ट्रक से उतरने के बाद अशोक सबसे पहले दलपतपुर पुलिस चौकी पर पहुंचा। पुलिस ने कहा कि प्रधान को बताओ, वही जांच करायेंगे। प्रधान और सचिव भी एक-दूसरे पर टाल-मटोल करते रहे, और 24 घंटे बाद भी अशोक की जांच नहीं हो सकी। मच्छरों के बीच बाग में ही उसे रात काटनी पड़ी। मां-बाप और छोटा भाई भी वहीं आ गए। मां घर से खाना लेकर आ जाती हैं और सब साथ ही बैठकर खा रहे हैं। हालांकि राशन नहीं मिल पाने की शिकायत अशोक के पिता जरूर करते हैं। वहीं पुलिस चौकी इंचार्ज ने मामले दूसरे क्षेत्र का बताकर पल्ला झाड़ लिया। ग्राम प्रधान राकेश कुमार ने बताया कि एडीओ पंचायत को सूचना दी थी लेकिन कोई व्यवस्था नहीं की गई।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.