निजी चिकित्सकों का मानवीय चेहरा आया सामने, मरीजों से आने वाली फीस राहत कोष में जमा करेंगे डॉक्टर Rampur News
लॉकडाउन में प्रशासन के बनाए चार अस्थायी अस्पतालों में मरीज देख रहे निजी चिकित्सक। सरकारी चिकित्सक भी कोरोना के प्रकोप को कम करने के लिए जुटे हुए हैं।
रामपुर (भास्कर ङ्क्षसह)। कोरोना वायरस के खिलाफ जंग लड़ रहे चिकित्सकों की देश भर में प्रशंसा हो रही है। जिले में भी सरकारी चिकित्सक कोरोना को हराने में बुलंद इरादों के साथ डटे हुए हैं। ऐसे माहौल में निजी चिकित्सकों का भी मानवीय चेहरा सामने आया है। लॉकडाउन में निजी चिकित्सक प्रशासन द्वारा बनाए अस्थायी अस्पतालों में मरीज देख रहे हैं। इसके बदले मरीजों से मोटी फीस नहीं ली जा रही। फीस के नाम पर न्यूनतम शुल्क 250 रुपये निर्धारित किया है और इसे भी चिकित्सक अपनी जेब में नहीं रख रहे, बल्कि तय किया है कि लॉकडाउन के बाद इस तरह इक_ा होने वाली रकम को कोरोना रिलीव फंड में दान किया जाएगा। इनमें ज्यादातर शहर के नामचीन डॉक्टर हैं। इनके पास ज्यादातर मरीज भी ऐसे आते हैं जो आर्थिक रूप से संपन्न हैं। अगर कोई गरीब मरीज आता है तो उससे फीस भी नहीं लेते हैं।
बीमार लोगों की परेशानी को देखते हुए उठाया कदम
जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार ङ्क्षसह कहते हैं कि लॉकडाउन में सबसे ज्यादा दिक्कत बीमार लोगों को हो रही थी। उन्हें इलाज नहीं मिल रहा था। इस परेशानी को देखते हुए हमने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन के पदाधिकारियों से बात की। उनके सहयोग से शहर में चार स्थानों पर अस्थायी अस्पताल बनाए। शहर के निजी चिकित्सक रोजाना दो घंटे इन अस्पतालों में मरीज देख रहे हैं। ये अस्पताल रजा डिग्री कॉलेज, रजा इंटर कॉलेज, हामिद इंटर कॉलेज और जिला पंचायत में बनाए गए हैं।
कोरोना से जंग में प्रशासन के साथ हैं निजी चिकित्सक
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. हिमांशु गुप्ता बताते हैं कि कोरोना से जंग में हम सभी चिकित्सक प्रशासन के साथ हैं। प्रशासन के सहयोग से यहां अस्थायी अस्पतालों में मरीज देख रहे हैं। दूसरे जिलों के चिकित्सक भी इस कार्य की सराहना कर रहे हैं। 25 मार्च से प्रशासन द्वारा बनाए अस्थायी अस्पतालों में ओपीडी कर रहे हैं। इसके लिए मात्र 250 रुपये फीस निर्धारित की है। लॉकडाउन के बाद इस तरह ओपीडी से जितना भी धन इक_ा होगा, उसे कोरोना रिलीव फंड में जमा कराएंगे। इसके अलावा डॉक्टर अपने पास से भी कुछ पैसा जमा करेंगे। गरीब मरीजों से फीस भी नहीं ले रहे हैं।