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गरीबी में सरकारी योजना के तहत मिला था मकान, सक्षम हुए तो जरूरतमंद के लिए कर दिया खाली Amroha News

सलीम बताते हैं कि अपना घर होने के बाद उन्हें लगा कि अब सरकारी मकान छोड़ देना चाहिए। इसकी चर्चा करने पर उनकी पत्नी परवीन व करीबी रिश्तदारों ने भी सराहते हुए सहमति जता दी।

By Narendra KumarEdited By: Published: Sun, 18 Aug 2019 01:03 AM (IST)Updated: Sun, 18 Aug 2019 10:07 AM (IST)
गरीबी में सरकारी योजना के तहत मिला था मकान, सक्षम हुए तो जरूरतमंद के लिए कर दिया खाली Amroha News
गरीबी में सरकारी योजना के तहत मिला था मकान, सक्षम हुए तो जरूरतमंद के लिए कर दिया खाली Amroha News

अमरोहा(राजेश राज)। एक तरफ जहां सरकारी व गैरसरकारी भूमि, संपत्ति हथियाने वालों की कमी नहीं है। वहीं दूसरे गरीबों व जरूरत मंदों की ङ्क्षचता करने वाले भी हैं। गजरौला के मुहल्ला जलालनगर के सलीम भी उन्हीं में से एक हैं। जब खुद जरूरतमंद थे तो सरकार की योजना से मिले मकान में गुजर बसर करते रहे और जब खुद सक्षम हो गए, निजी घर बन गया तो सरकारी योजना वाले मकान से यह सोच कर कब्जा छोड़ दिया कि वह अब किसी अन्य जरुरतमंद के काम आ सकेगा। 

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यह है पूरा मामला

एक नई मिसाल पेश करने वाले 35 वर्षीय सलीम हेयर कङ्क्षटग का व्यवसाय करते हैं। पहले अपने रिश्तेदार की दुकान पर कारीगर के तौर पर काम करते थे, लेकिन अब निजी दुकान खोल रखी है। 10-12 साल पहले उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। शादी हो चुकी थी। पत्नी-बच्चों के साथ अपने मामू स्व. कयामुद्दीन के घर के छोटे से कमरें में रहा करते थे। सरकार की योजना कांशीराम कालोनी आवासीय के तहत आवास बनाए गए। उन दिनों सलीम निजी आवास नहीं बना पा रहे थे। लिहाजा उन्होंने कांशीराम कालोनी की आवासीय योजना के लिए खुद को पात्र बताते हुए आवेदन किया। जांच-पड़ताल व सर्वे में सरकारी तंत्र के मापदंड पर वह पात्र पाए गए। इसी आधार पर उन्हें यहां गजरौला नगर पालिका क्षेत्र में अहरौला तेजवन रोड स्थित कांशीराम कालोनी आवासीय योजना के तृतीय ब्लाक में दूसरे तल का मकान संख्या 34, 28 मई 2010 को आंवटित संख्या 112 पर आंवटित कर दिया गया। वह अपनी पत्नी व बच्चों के साथ यहीं रहते रहे। इधर समय ने करवट बदली। कुछ जमा पूंजी होने पर उन्होंने अपने मामू की दुकान से कारीगरी का काम छोड़कर निजी दुकान कर ली। मेहनत से दुकान चलाने लगे। इसी मेहनत की कमाई से उन्होंने मुहल्ला जलाल नगर में भूमि खरीदकर अपना छोटा सा मकान भी बनवा लिया। यहां पत्नी-बच्चों के साथ रहने लगे। सलीम बताते हैं कि  पत्नी परवीन व करीबी रिश्तदारों ने भी सराहते हुए सहमति जता दी। इसके बाद उन्होंने कालोनी के इस मकान से कब्जा छोडऩे का शपथ पत्र तैयार कराकर पालिका के ईओ को सौंपा दिया। यह भी लिखा है कि इसे किसी अन्य जरूरतमंद को आवंटित कर दिया जाए, भविष्य में उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी। 

सलीम पुत्र मुन्ने खां को अहरौला तेजवन की कांशीराम कालोनी आवासीय योजना में एक मकान आंवटित था। अब उनका निजी घर बन जाने पर उन्होंने उससे कब्जा छोडऩे का प्रार्थना पत्र दिया है। उसमें लगे ताले की चाबी भी सौंप दी है। सलीम का यह कदम सराहनीय व एक मिसाल है। 

विजेंद्र ङ्क्षसह पाल, अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका परिषद गजरौला । 

पचास हजार रुपये के लालच में भी नहीं फंसे सलीम

गजरौला : अहरौला तेजवन मार्ग की कांशीराम कालोनी आवासीय योजना के आवंटित मकान से कब्जा छोडऩे की भनक लगने पर कुछ लोगों ने सलीम से संपर्क साधा। पचास हजार रुपये लेकर कब्जा उन्हें सौंपने की बात कही, लेकिन सलीम ने साफ मना कर दिया। 


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